वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के बिरला होस्टल के प्रांगण में लगा 'जनतंत्र वृक्ष.'
वाराणसी:
क्या आपने कभी 'जनतंत्र वृक्ष' का नाम सुना है? नहीं सुना होगा. लेकिन वाराणसी में एक 'जनतंत्र वृक्ष' मौजूद है जिसके सामने शिलालेख भी लगा हुआ है. जी हां, महामना मदन मोहन मालवीय की बगिया काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में ऐसा वृक्ष है जिसे जनतंत्र वृक्ष का नाम दिया गया है. यह जनतंत्र वृक्ष इस विश्वविद्यालय के बिरला हॉस्टल में है जिसके नीचे बैठकर आज भी लोग 26 जनवरी 1950 के गणतंत्र दिवस को याद करते हैं.
इस पेड़ के बारे में बताया जाता है कि 26 जनवरी 1950 को जब देश अपना पहला गणतंत्र दिवस मना रहा था तब बीएचयू के बिरला छात्रावास में इस पेड़ को लगाया गया. उस ऐतिहासिक क्षण की याद कहीं कालांतर में धूमिल न पड़ जाए इसके लिए बाकायदा इस वृक्ष के सामने पोडियम की शक्ल का एक स्तंभ बनाया गया और उस पर शिलालेख लगाया गया जिस पर लिखा गया 'जनतंत्र वृक्ष.' इस पेड़ को लगाने वाले कौन थे इसका तो नहीं पता लेकिन उस समय के छात्रावास के छात्रों और वार्डन ने मिलकर इस वृक्ष को लगाया होगा.
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आज यह वृक्ष 69 साल का हो गया और अपनी भरी पूरी शाखाओं के साथ न सिर्फ छांव दे रहा है बल्कि यहां आने वालों को वर्ष भर अपने गणतंत्र दिवस के ऐतिहासिक क्षण को याद भी दिला रहा है.
इस पेड़ के बारे में बताया जाता है कि 26 जनवरी 1950 को जब देश अपना पहला गणतंत्र दिवस मना रहा था तब बीएचयू के बिरला छात्रावास में इस पेड़ को लगाया गया. उस ऐतिहासिक क्षण की याद कहीं कालांतर में धूमिल न पड़ जाए इसके लिए बाकायदा इस वृक्ष के सामने पोडियम की शक्ल का एक स्तंभ बनाया गया और उस पर शिलालेख लगाया गया जिस पर लिखा गया 'जनतंत्र वृक्ष.' इस पेड़ को लगाने वाले कौन थे इसका तो नहीं पता लेकिन उस समय के छात्रावास के छात्रों और वार्डन ने मिलकर इस वृक्ष को लगाया होगा.
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