नई दिल्ली:
भारतीय महागाथाओं में से एक 'रामायण' के 'खलनायक' लंकाधिपति रावण पर लिखी गई एक नई पुस्तक में भारतीय मान्यताओं के विपरीत कहा गया है कि असुर सम्राट रावण बेहद प्रभावशाली राजा था, जिसने प्राचीन श्रीलंका के विशाल एवं समृद्ध साम्राज्य पर शासन किया, किताबें लिखीं और साम्राज्य की रक्षा के लिए भूलभूलैया जैसी सुरंगों का निर्माण भी कराया।
'रावण, किंग आफ लंका' शीर्षक वाली पुस्तक के अनुसार दरअसल रावण, अपनी पत्नी मंदोदरी और सौतेले भाई विभीषण के धोखे की वजह से ही युद्ध में हारा, जिन्होंने दुश्मनों को रावण के रहस्य बता दिए थे। 174 पृष्ठों वाली इस किताब को श्रीलंकाई लेखक मिरांदो ओबेशेकरे ने गहन शोध के बाद लिखा है, जो पुरातात्विक साक्ष्यों पर आधारित है।
श्रीलंका में प्रकाशित इस पुस्तक के मुताबिक, रावण का साम्राज्य विशाल क्षेत्र में फैला था, जिसमें आज के नुवारा एलिया, बादुला, पोलोन्नारुवा, अनुराधापुरा, कैंडी, मोनारागुला, मताले और चिलाव शामिल हैं। पुस्तक के मुताबिक, "रावण की सभ्यता काफी आधुनिक सभ्यता थी... इसकी संस्कृति काफी उन्नत थी, और इस सभ्यता ने श्रीलंका का विकास किया है... राम के नेतृत्व में आर्यों के आगमन की वजह से इस सभ्यता का विनाश हो गया..."
रावण, सिगिरिया में रहता था, जो यूनेस्को की वैश्विक धरोहरों में से है। रावण के प्रभाव की वजह से वहां कई स्थानों को उसका नाम दिया गया है। इस किताब में रावण द्वारा सीता के हरण किए जाने को स्वीकारा गया है, और साथ ही राम का भी उत्साहपूर्वक वर्णन किया गया है।
इसके अनुसार, "राम निरंहकारी ईमानदार व्यक्ति थे... राम के पास न तो विमान था, न ही वह रावण जितना अमीर थे... उनका 10 दिशाओं पर शासन नहीं था... उनका मुख्य सिद्धांत था - सत्य की विजय होगी।"
लेकिन पुस्तक में रावण का जिक्र इससे भी ज़्यादा शानदार तरीके से किया गया है। पुस्तक के अनुसार, रावण न सिर्फ एक कुशल योद्धा था, बल्कि वह चिकित्सकों, ऋषियों, ज्योतिषियों, नेताओं और संगीतज्ञों में भी सर्वश्रेष्ठ था। इस किताब में रावण के व्यक्तित्व के बारे में कुछ और रोचक बातें भी कही गई हैं, जो इस प्रकार हैं...
'रावण, किंग आफ लंका' शीर्षक वाली पुस्तक के अनुसार दरअसल रावण, अपनी पत्नी मंदोदरी और सौतेले भाई विभीषण के धोखे की वजह से ही युद्ध में हारा, जिन्होंने दुश्मनों को रावण के रहस्य बता दिए थे। 174 पृष्ठों वाली इस किताब को श्रीलंकाई लेखक मिरांदो ओबेशेकरे ने गहन शोध के बाद लिखा है, जो पुरातात्विक साक्ष्यों पर आधारित है।
श्रीलंका में प्रकाशित इस पुस्तक के मुताबिक, रावण का साम्राज्य विशाल क्षेत्र में फैला था, जिसमें आज के नुवारा एलिया, बादुला, पोलोन्नारुवा, अनुराधापुरा, कैंडी, मोनारागुला, मताले और चिलाव शामिल हैं। पुस्तक के मुताबिक, "रावण की सभ्यता काफी आधुनिक सभ्यता थी... इसकी संस्कृति काफी उन्नत थी, और इस सभ्यता ने श्रीलंका का विकास किया है... राम के नेतृत्व में आर्यों के आगमन की वजह से इस सभ्यता का विनाश हो गया..."
रावण, सिगिरिया में रहता था, जो यूनेस्को की वैश्विक धरोहरों में से है। रावण के प्रभाव की वजह से वहां कई स्थानों को उसका नाम दिया गया है। इस किताब में रावण द्वारा सीता के हरण किए जाने को स्वीकारा गया है, और साथ ही राम का भी उत्साहपूर्वक वर्णन किया गया है।
इसके अनुसार, "राम निरंहकारी ईमानदार व्यक्ति थे... राम के पास न तो विमान था, न ही वह रावण जितना अमीर थे... उनका 10 दिशाओं पर शासन नहीं था... उनका मुख्य सिद्धांत था - सत्य की विजय होगी।"
लेकिन पुस्तक में रावण का जिक्र इससे भी ज़्यादा शानदार तरीके से किया गया है। पुस्तक के अनुसार, रावण न सिर्फ एक कुशल योद्धा था, बल्कि वह चिकित्सकों, ऋषियों, ज्योतिषियों, नेताओं और संगीतज्ञों में भी सर्वश्रेष्ठ था। इस किताब में रावण के व्यक्तित्व के बारे में कुछ और रोचक बातें भी कही गई हैं, जो इस प्रकार हैं...
- युद्ध में रावण मरा नहीं था, बल्कि जहरीले तीर की वजह से बेहोश हो गया था...
- रावण के पास विमान था और उसके पास प्रशिक्षित नौसेना थी...
- अपराधियों को जिंदा दफन करने की शुरुआत रावण के शासनकाल में हुई थी...
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