उसे, यानि चुनमुन को, विरसे में 70 लाख रुपये कीमत वाला एक घर मिलने जा रहा है, और लगभग 20 लाख रुपये का बैंक बैलेंस भी, लेकिन चुनमुन बैंक के लिए चेक पर दस्तखत करना भी नहीं जानता है...
चौंक गए आप...?
दरअसल, चुनमुन एक बंदर है, जो उत्तर प्रदेश के रायबरेली शहर में बने एक घर के भीतर एयरकंडीशन्ड कमरे में रहता है, जिसके मालिक सविस्ता और ब्रजेश हैं, और इन्हीं लोगों ने अपना सब कुछ चुनमुन के नाम वसीयत में लिख दिया है...
सविस्ता का कहना है कि चुनमुन की मां ने उसे जन्म देते हुए दम तोड़ दिया था, और चूंकि सविस्ता-ब्रजेश की कोई संतान नहीं थी, इसलिए वे नवजात बंदर को अपने साथ अपने घर ले आए थे... उसके बाद से वे चुनमुन को अपनी संतान की तरह ही पाल रहे हैं, और यहां तक कि उन्होंने अपने घर का नाम भी 'चुनमुन हाउस' रखा हुआ है...
चुनमुन के मानव माता-पिता ने अब तय किया है कि बंदरों की भलाई के कामों के लिए चुनमुन के नाम से एक ट्रस्ट की स्थापना की जाए... सविस्ता के पति ने बताया, "जब हम नहीं रहेंगे, हम चाहेंगे कि यह ट्रस्ट उन बंदरों के लिए मचानों का निर्माण करे, जो मनुष्यों के साथ दोस्ताना ताल्लुकात रखते हैं, और पेड़ों की लगातार हो रही कटाई के कारण तकलीफ में हैं... मनुष्यों की गलतियों के कारण किसी बंदर को कष्ट नहीं होना चाहिए... जहां तक चुनमुन का सवाल है, वह हमारे लिए हमारे बेटे जैसा है..."
सविस्ता और ब्रजेश स्थानीय लोगों में फैले उस अंधविश्वास को भी नकारते हैं, जिसके मुताबिक बंदर को पालना शुभ नहीं होता... उनका दावा है कि चुनमुन के आने से उनके जीवन में सौभाग्य और खुशहाली आई है... खैर, कोई माने या न माने, छोटा-सा ही सही, रायबरेली के एक हिस्से का मालिक अब बंदर ही होगा...
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