सेल्फी लेना और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करना आजकल फैशन बन चुका है, लेकिन एक ताजा अध्ययन के निष्कर्ष आपको सेल्फी के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर देंगे. इसमें कहा गया है कि अपनी सेल्फी देखने के बाद कछ लोग कॉस्मेटिक सर्जरी कराने के लिए प्रेरित होते हैं.
जी हां, इस अध्ययन से पता चला है कि सेल्फी लेने की प्रवृत्ति का बहुत ही विनाशकारी मनोवैज्ञानिक प्रभाव होता है, जिस कारण सेल्फी लेने वाले अधिक चिंतित महसूस करते हैं. उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है और वे शारीरिक आकर्षक में कमी महसूस करते हैं. सेल्फी लेने वाले कई लोगों में अपने रूप-रंग को लेकर हीन भावना इस कदर बढ़ जाती है कि वे अपने रूप-रंग और चेहरे में बदलाव के लिए कॉस्मेटिक सर्जरी कराने के लिए प्रेरित होते हैं.
यह निष्कर्ष एस्थेटिक क्लीनिक्स की ओर से किए गए एक अध्ययन का है, जिसके तहत उन 300 लोगों पर अध्ययन किया गया जो कॉस्मेटिक सर्जरी कराने के लिए कोलकाता, दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद स्थित एस्थेटिक क्लिनिक गए.
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इस अध्ययन में पाया गया कि किसी फिल्टर का उपयोग किए बिना सेल्फी पोस्ट करने वाले लोगों में चिंता बढ़ने और आत्मविश्वास में कमी देखी जाती है. जो लोग सेल्फी में सुधार किए बिना या सुधार करके भी सेल्फी पोस्ट करते हैं, उनमें शारीरिक आकर्षण को लेकर उनकी भावना में उल्लेखनीय कमी देखी गई.
औसतन 16-25 वर्ष के बीच के पुरुष और महिलाएं प्रति सप्ताह 5 घंटे तक सेल्फी लेते हैं और उन्हें सोशल मीडिया पर अपनी व्यक्तिगत प्रोफाइल पर अपलोड करते हैं. इस अध्ययन के निष्कर्षों को मानसिक स्वास्थ्य समस्यों की रोकथाम और उनके उपचार के लिए उपयोग किया जा सकता है. ये निष्कर्ष सोशल मीडिया और सेहत को लेकर महत्वपूर्ण चिंता पैदा करते हैं.
प्रसिद्ध फेशियल कॉस्मेटिक सर्जन व एस्थेटिक क्लीनिक्स के निदेशक डॉ. देवराज शोम ने कहा, "चार शहरों में किए गए अपनी तरह के इस पहले अध्ययन में पाया गया कि सेल्फी लेने, उन्हें बदलने और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की प्रक्रिया आत्मसम्मान और अपने शरीर को लेकर व्यक्ति की धारणा को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है और अपने शरीर को लेकर हीन भावना बढ़ाती है."
इस अध्ययन में लोगों पर सेल्फी के नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव सबसे अधिक दिल्ली के लोगों में पाए गए. उसके बाद मुंबई, हैदराबाद और कोलकाता के पुरुषों और महिलाओं दोनों में देखे गए. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी सेल्फी पोस्ट करने के बाद लोगों के व्यवहार को देखने वाले पूरे देश में किए गए इस अध्ययन में, 60 प्रतिशत पुरुषों और 65 प्रतिशत महिलाओं में एंग्जाइटी में वृद्धि देखी गई.
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