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This Article is From Oct 20, 2012

80 फीसदी से अधिक चीनियों को 1962 के युद्ध की जानकारी नहीं

80 फीसदी से अधिक चीनियों को 1962 के युद्ध की जानकारी नहीं
चीन की 80 फीसदी से अधिक आबादी को वर्ष 1962 में भारत के साथ हुए युद्ध की जानकारी नहीं है और वे चाहते हैं कि दोनों देश टकराव की छाया से बाहर निकलें।
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बीजिंग: चीन की 80 फीसदी से अधिक आबादी को वर्ष 1962 में भारत के साथ हुए युद्ध की जानकारी नहीं है और वे चाहते हैं कि दोनों देश टकराव की छाया से बाहर निकलें।

सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' द्वारा सात बड़े शहरों में भारत चीन युद्ध के 50 साल पूरे होने पर किए गए सर्वे में कहा गया है कि मात्र 15 फीसदी उत्तरदाताओं को 1962 के युद्ध की जानकारी है। अखबार के अनुसार, सर्वे यह पता लगाने के लिए किया गया कि इस युद्ध को चीनी किस तरह याद करते हैं और अब भारत के बारे में उनका क्या नजरिया है।

'ग्लोबल टाइम्स' के अनुसार, सर्वे पर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली, जबकि एक अमेरिकी एजेंसी द्वारा इसी तरह कराए गए सर्वे में नकारात्मक परिणाम मिले थे। सर्वे में कहा गया है कि 80 फीसदी चीनियों ने भारतीयों के बारे में तटस्थ या सकारात्मक राय जाहिर की, जबकि ज्यादातर चीनी मानते हैं कि दोनों पड़ोसी देश युद्ध की आशंका से दूर हो सकते हैं। अखबार में कहा गया है कि भारत के बारे में धारणा पूछने पर 78 फीसदी चीनियों ने कहा कि इस पर उनका रुख तटस्थ है और केवल 16.4 ने इस देश के प्रति अरुचि जताई।

'ग्लोबल टाइम्स' के मुताबिक, सर्वे में यह भी कहा गया कि 50 फीसदी से थोड़े ज्यादा प्रत्युत्तरदाताओं को लगता है कि चीन और भारत की सीमाओं पर सैन्य टकराव की आशंका है, जबकि 39 फीसदी से अधिक ने सर्वे में कहा कि ऐसे टकराव की आशंका बहुत ही कम है। करीब 17 फीसदी लोगों ने टकराव की आशंका को खारिज कर दिया।

सर्वे के मुताबिक, 61 फीसदी से अधिक लोगों ने चीन-भारत संबंधों को सामान्य या अच्छा बताया, जबकि 34 फीसदी लोगों की राय में दोनों देशों के बीच लगातार तनाव बना हुआ है। इस सर्वे के और वाशिंगटन स्थित पेव एजेंसी के सर्वे के हाल ही में प्रकाशित नतीजों में गहरा विरोधाभास है। पेव एजेंसी के सर्वे में कहा गया है कि मुश्किल से 23 फीसदी लोगों की ही राय भारत के बारे में सकारात्मक है, जबकि 62 फीसदी लोग इस देश के बारे में नकारात्मक राय रखते हैं। अमेरिकी सर्वे में कहा गया, वर्तमान में मात्र 44 फीसदी चीनी ही कहते हैं कि उनके दक्षिणी पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था में हो रही वृद्धि चीन के लिए सकारात्मक है। यह संख्या वर्ष 2010 की तुलना में कम है, जब हर 10 में से छह चीनी ऐसा मानते थे। पेव के सर्वे में यह भी कहा गया कि इसी अवधि में भारत की अर्थव्यवस्था में वृद्धि को खराब मानने वाले चीनियों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई।

दिलचस्प बात यह है कि एक और चीनी अखबार 'द लिबरेशन डेली' ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी मीडिया समूहों के प्रयास भारत और चीन के सुधरते रिश्तों को फिर से तनावपूर्ण कर सकते हैं।

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