प्रतीकात्मक तस्वीर
मास्को:
आतंकवाद के खिलाफ जंग लड़ने में अब चूहे भी सुरक्षाकर्मियों की मदद करते नजर आएंगे। क्योंकि टेक्नालॉजी के साथ चूहों का इस्तेमाल बम, बारूदी सुरंगों और आपदा में फंसे लोगों का पता लगाने में किया जाएगा, जिसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा।
लैबोरेटरी ऑफ ऑल्फैक्टरी परसेप्शन (एलओपी) के रूसी वैज्ञानिकों के अनुसार, साइबॉर्ग चूहों को खोजी कुत्तों के स्थान पर इस्तेमाल किया जा सकता है। गंध को सूंघ कर पहचान करने वाली अपनी अद्भुत क्षमता की वजह से ये चूहे खोजी अभियानों में कुत्तों की जगह लेने में सक्षम हैं। ये कुत्ते चाय की विभिन्न प्रकार की पत्तियों को भी भेद कर सकते हैं। सायबॉर्ग ऐसे काल्पनिक मशीनी जानवर होते हैं, जिनका आधा शरीर जैविक और आधा मशीन का बना होता है।
एलओपी के मुख्य वैज्ञानिक के अनुसार, कुत्तों से अलग ये चूहे छोटी दरार के माध्यम से दुश्मन के इलाके में पहुंच सकते हैं। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रोड के माध्यम से चूहों के मस्तिष्क की गतिविधियों की निगरानी की जा रही है। जिससे जांच की प्रक्रिया के दौरान अधिक सटीक निर्णय प्राप्त किए जा सकें।
अफ्रीका के कुछ हिस्सों में चूहों का इस्तेमाल भूमि खदानों की खोज में किया जा रहा है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि बुनियादी तौर पर इस काम में अभी कुछ सालों का समय है।
लैबोरेटरी ऑफ ऑल्फैक्टरी परसेप्शन (एलओपी) के रूसी वैज्ञानिकों के अनुसार, साइबॉर्ग चूहों को खोजी कुत्तों के स्थान पर इस्तेमाल किया जा सकता है। गंध को सूंघ कर पहचान करने वाली अपनी अद्भुत क्षमता की वजह से ये चूहे खोजी अभियानों में कुत्तों की जगह लेने में सक्षम हैं। ये कुत्ते चाय की विभिन्न प्रकार की पत्तियों को भी भेद कर सकते हैं। सायबॉर्ग ऐसे काल्पनिक मशीनी जानवर होते हैं, जिनका आधा शरीर जैविक और आधा मशीन का बना होता है।
एलओपी के मुख्य वैज्ञानिक के अनुसार, कुत्तों से अलग ये चूहे छोटी दरार के माध्यम से दुश्मन के इलाके में पहुंच सकते हैं। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रोड के माध्यम से चूहों के मस्तिष्क की गतिविधियों की निगरानी की जा रही है। जिससे जांच की प्रक्रिया के दौरान अधिक सटीक निर्णय प्राप्त किए जा सकें।
अफ्रीका के कुछ हिस्सों में चूहों का इस्तेमाल भूमि खदानों की खोज में किया जा रहा है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि बुनियादी तौर पर इस काम में अभी कुछ सालों का समय है।
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