अपने माता-पिता के साथ चेरी
हैदराबाद:
इस दुनिया में किसी बच्चे को लाने की पूरी प्रक्रिया बेहद जटिल और कई बार खतरों से भरी होती है. जिस वक्त बच्चा पहली बार मां की कोख में में आकार लेने लगता है तब से लेकर जन्म तक कुछ भी हो सकता है. नौ महीने का यह सिलसिला ऐसे ही चलता है. कभी सबकुछ ठीक तो कभी कुछ भी ठीक नहीं. लेकिन कुछ ऐसे केस भी होते हैं जिनमें शुरुआत से ही कॉम्पिलकेशन इतने ज्यादा होते हैं कि अच्छे से अच्छे डॉक्टर भी हाथ खड़ा कर देते हैं. कई बार तो बच्चे नौ महीने भी मां की कोख में नहीं रह पाते और समय से पहले डिलिवर हो जाते हैं. ऐसे बच्चों को बचा पाना बेहद मुश्किल होता है. लेकिन कुछ काबिल डॉक्टरों की वजह से हैदराबाद में पति-पत्नी बेहद अनोखी बच्ची को जन्म दे पाने में कामायाब रहे.
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जी हां, हैदराबाद के रेनबो अस्पताल ने हाल ही में ऐलान किया उनके यहां एक कपल ने दक्षिण पूर्व एशिया की सबसे छोटी बच्ची को जन्म दिया है.
1. एक नवजात की औसत लंबाई 45 से 50 सेंटीमीटर तक होती है. वहीं चेरी की लंबाई मात्र 20 सेंटीमीटर थी.
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जी हां, हैदराबाद के रेनबो अस्पताल ने हाल ही में ऐलान किया उनके यहां एक कपल ने दक्षिण पूर्व एशिया की सबसे छोटी बच्ची को जन्म दिया है.
इस छोटी सी बच्ची का नाम चेरी है और जिस वक्त रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में पैदा हुई तब उसका वजन मात्र 375 ग्राम था. बच्ची की डिलिवरी 25वें हफ्ते में ही कर दी गई थी. जन्म के समय उसकी लंबाई मात्र 20 सेंटीमीटर थी. यानी कि इतनी छोटी कि वह किसी इंसान की हथेली में समा जाए. आमतौर पर बच्चे गर्भ के 36वें से 40वें हफ्ते में पैदा होते हैं; इससे पहले पैदा होने वाले बच्चों को प्री-मेच्योर बेबी कहा जाता है. समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों के अंग पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं और उनके जीवित बचने की संभावना भी बेहद कम होती है. बच्ची का जन्म चार महीने पहले हुआ था और अब उसका वजन ढाई किलो है.Welcome this adorable little baby. Proud and emotional day for #RainbowHospitals #SmallestBabyBorn pic.twitter.com/BakQtzVfAM
— Rainbow Hospitals (@RainbowSpectra) July 19, 2018
अस्पताल ने माता-पिता के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए बच्ची के जन्म का ऐलान किया क्योंकि इस तरह के बच्चों के जीवित रहने की संभावना न के बराबर होती है.Glimpses of the palm size baby. #SmallestBabyBorn at #RainbowHospitals pic.twitter.com/zuuZcfpiaU
— Rainbow Hospitals (@RainbowSpectra) July 19, 2018
डॉक्टरों के मुताबिक बच्ची प्री-मेच्योर हुई थी और उम्मीद से चार महीने पहले ही पैदा हो गई थी. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे बच्चों के बचने की संभावना 0.5 फीसदी होती है. दरअसल, ऐसे बच्चों को कई तरह के इंफेक्शन और कॉम्प्लिकेशन का खतरा रहता है. नतीजतन ऐसे बच्चों के शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं और उनकी मौत हो जाती है. लेकिन रेनबो हॉस्पिटल की टीम ने असंभव को संभव कर दिखाया. चेरी को पाकर उसके माता-पिता की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. यह जन्म कई मायनों में खास है:Put your hands together to applaud the magic team at #RainbowHospitals that made it possible. #SmallestBabyBorn pic.twitter.com/vmsOpq0fUv
— Rainbow Hospitals (@RainbowSpectra) July 19, 2018
1. एक नवजात की औसत लंबाई 45 से 50 सेंटीमीटर तक होती है. वहीं चेरी की लंबाई मात्र 20 सेंटीमीटर थी.
2. एक नवजात का औसत वजन 2.5 किलो से 3.5 किलो होता है जबकि चेरी का भार मात्र 375 ग्राम था.Adorable feet of the #SmallestBabyBorn. Proud moment for #RainbowHospitals and the team of doctors pic.twitter.com/xjAk2wa49w
— Rainbow Hospitals (@RainbowSpectra) July 19, 2018
बहरहाल, हमारी ओर से अस्पताल और माता-पिता को शुभकामनाएं. साथ ही हम दुआ करते हैं कि चेरी का जीवन स्वस्थ और मंगलमय होगा.An emotional moment for the parents when they held the baby in their arms. #SmallestBabyBorn pic.twitter.com/3yKDWtw1CR
— Rainbow Hospitals (@RainbowSpectra) July 19, 2018
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