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This Article is From Jan 09, 2019

घर आने के बाद नहीं होगी ऑफिस का फोन और मेल का जवाब देने की मजबूरी, लोकसभा में पेश हुआ बिल

ऑफिस आर्स के बाद कर्मचारी को कॉल्स को डिसकनेक्ट कर सके. इस बिल में कर्मचारियों को यह अधिकार देने की बात की गई है.

घर आने के बाद नहीं होगी ऑफिस का फोन और मेल का जवाब देने की मजबूरी, लोकसभा में पेश हुआ बिल
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले.

एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में प्राइवेट मेंबर्स बिल पेश किया है, जिसके तहत प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी ऑफिस से आने के बाद ऑफिशियल कॉल्स और मेल का जवाब देने की मजबूरी से छुटकारा पा सकेंगे. इस बिल में कर्मचारियों को यह अधिकार देने की बात की गई है. इस बिल को राइट टू डिसकनेक्ट (Right To Disconnect) नाम दिया गया है. सुप्रिया सुले ने कहा कि इस बिल के जरिए कंपनी कर्मचारियों पर ज्यादा काम नहीं लाद सकेगी. उन्होंने बताया कि इस बिल के आने के बाद कर्मचारियों में तनाव कम रहेगा और पर्सनल लाइफ स्टेबल रहेगी. आपको बता दें कि यह बिल अभी सिर्फ लोकसभा में पेश किया गया है. लोकसभा और राज्‍यसभा से मंजूरी मिलने के बाद ही यह काननू बन पाएगा.

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इस बिल के तहत कल्याण प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, जहां आईटी, कम्यूनिकेशन और श्रम मंत्रियों को रखा जाएगा. इस बिल के तहत, एक चार्टर भी तैयार किया जाएगा. इस चार्टर के तहत जिन कंपनियो में 10 से ज्यादा कर्मचारी हैं वे अपने कर्मचारियों के साथ बात करें और वो जो चाहते हैं वो चार्टर में शामिल करें. इसके बाद रिपोर्ट बनाई जाएगी.

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बता दें, ऐसा ही बिल फ्रेंच सुप्रीम कोर्ट लागू कर चुकी है. न्यूयॉर्क में भी इसकी शुरुआत हुई और जर्मनी में भी इसे कानून बनाने की बात चल रही है. यानी अगर ये बिल पास हो गया तो कर्मचारी काम के बाद ऑफिस के कॉल्स काट सकेंगे और इस पर कोई एक्शन भी नहीं लिया जाएगा. 

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वहीं, सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को नौकरियों (General Category Reservation) और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण का बिल लोकसभा में पास हो चुका है. लगभग पांच घंटे की चर्चा के बाद ये बिल पास हुआ. लोकसभा में 323 वोट बिल के समर्थन में पड़े थे और विरोध में महज़ 3. 

बहरहाल, जो भी हो अगर राइट टू डिसकनेक्ट बिल पारित होकर कानून बन जाएगा तो निश्‍चित रूप से प्रावइेट कंपनियों में काम करने वाली बड़ी आबादी ये राहत की बात होगी.

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