लंदन:
आकाशगंगा में अरबों ऐसे ग्रह मौजूद हो सकते हैं, जिन पर जीवन मौजूद हो सकता है। यह बात एक अध्ययन में कही गई।
यह विचार अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञानियों के एक दल का है, जिसकी अगुआई बकिंघम विश्वविद्यालय के बकिंघम एस्ट्रोबायलॉजी केंद्र के प्रोफेसर और निदेशक चंद्र विक्रमसिंघे कर रहे हैं।
विज्ञान पत्रिका एस्ट्रोफिजिक्स और स्पेस साइंस के मुताबिक वैज्ञानिकों की राय है कि बिग बैंग के बाद शुरुआती कुछ लाख सालों में जीवन से लैस इन ग्रहों की उत्पत्ति हुई होगी।
वैज्ञानिकों की गणना के मुताबिक हर ढाई करोड़ वर्ष में ऐसा एक आकाशीय पिंड सौर मंडल के आंतरिक हिस्से से गुजरता है और इस दौरान वह राशिचक्रीय धूल (जॉडिएकल डस्ट) ग्रहण करता है, जिसमें सौर मंडल की जैविक कोशिकाओं के भी कुछ तत्व मौजूद होते हैं।
विश्वविद्यालय के बयान के मुताबिक इस तरह सौर मंडल के जीवन के अंश मिल्की वे आकाश गंगा में लगातार फैल रहे हैं।
वर्ष 1995 में जब पहली बार सौर मंडल से बाहर किसी ग्रह के होने का पता चला था, तब से बड़े पैमाने पर अन्य ग्रहों की खोज की जाने लगी है। अब तक 750 ऐसे ग्रहों का पता चला है, लेकिन इनमें से लगभग सभी को जीवन धारण करने के लायक नहीं समझा जा रहा है।
हाल में कुछ वैज्ञानिक समूहों ने कहा है कि आकाश गंगा में ऐसे अरबों ग्रह हो सकते हैं।
विक्रमसिंघे और उनके साथी वैज्ञानिकों की गणना के मुताबिक ब्रह्मांड में ऐसे लाखों अरबों ग्रह हो सकते हैं और प्रत्येक में शुरुआती जीवन के सूक्ष्म अंश हो सकते हैं।
यह विचार अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञानियों के एक दल का है, जिसकी अगुआई बकिंघम विश्वविद्यालय के बकिंघम एस्ट्रोबायलॉजी केंद्र के प्रोफेसर और निदेशक चंद्र विक्रमसिंघे कर रहे हैं।
विज्ञान पत्रिका एस्ट्रोफिजिक्स और स्पेस साइंस के मुताबिक वैज्ञानिकों की राय है कि बिग बैंग के बाद शुरुआती कुछ लाख सालों में जीवन से लैस इन ग्रहों की उत्पत्ति हुई होगी।
वैज्ञानिकों की गणना के मुताबिक हर ढाई करोड़ वर्ष में ऐसा एक आकाशीय पिंड सौर मंडल के आंतरिक हिस्से से गुजरता है और इस दौरान वह राशिचक्रीय धूल (जॉडिएकल डस्ट) ग्रहण करता है, जिसमें सौर मंडल की जैविक कोशिकाओं के भी कुछ तत्व मौजूद होते हैं।
विश्वविद्यालय के बयान के मुताबिक इस तरह सौर मंडल के जीवन के अंश मिल्की वे आकाश गंगा में लगातार फैल रहे हैं।
वर्ष 1995 में जब पहली बार सौर मंडल से बाहर किसी ग्रह के होने का पता चला था, तब से बड़े पैमाने पर अन्य ग्रहों की खोज की जाने लगी है। अब तक 750 ऐसे ग्रहों का पता चला है, लेकिन इनमें से लगभग सभी को जीवन धारण करने के लायक नहीं समझा जा रहा है।
हाल में कुछ वैज्ञानिक समूहों ने कहा है कि आकाश गंगा में ऐसे अरबों ग्रह हो सकते हैं।
विक्रमसिंघे और उनके साथी वैज्ञानिकों की गणना के मुताबिक ब्रह्मांड में ऐसे लाखों अरबों ग्रह हो सकते हैं और प्रत्येक में शुरुआती जीवन के सूक्ष्म अंश हो सकते हैं।
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