सूरत:
मध्य प्रदेश के नीमच में 100 करोड़ की प्रॉपर्टी और अपनी तीन साल की बेटी का त्याग कर एक महिला सोमवार को साध्वी बन गई. 34 वर्षीय अनामिका राठौड़ नाम की इस महिला के पति सुमित राठौड़ ने दो दिन पहले यानी 23 सितंबर को दीक्षा ली थी. आपको बता दें कि पति-पत्नी के संन्यासी बनने के फैसले का लोगों ने खूब विरोध किया था. लोगों का कहना था कि सुमित और अनामिका अपनी छोटी बच्ची को इस तरह छोड़ कर कैसे संन्यास ले सकते हैं. बात इतनी बढ़ गई थी कि कुछ लोगों ने मानवाधिकार आयोग में दोनों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी थी.
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नीमच के करोड़पति व्यवसायी सुमित राठौड़ और उनकी इंजीनियर पत्नी अनामिका ने लगभग एक हफ्त पहले संन्यासी बनने का ऐलान किया था, जिसके बाद गुजरात बाल अधिकार आयोग ने तीन साल की बच्ची को इस तरह छोड़ने के आरोप में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था. यही नहीं आयोग ने प्रशासन और पुलिस से पूरे मामले की रिपोर्ट भी मांगी थी. शिकायत में उनकी बेटी के भविष्य को लेकर चिंता जताई गई थी. इसके बाद पुलिस ने जैन समुदाय के नेताओं और वकीलों से पूरे मुद्दे पर बातचीत की. इस बीच अनामिका ने अधिकारियों को बताया कि उन्होंने अपनी बेटी पति के बड़े भाई को कानूनी रूप से गोद दे दी है. उनके मुताबिक, 'मेरे छोड़ने पर मेरी बच्ची अनाथ नहीं हो जाएगी. मेरे जेठ-जेठानी ने उसे गोद ले लिया है. मेरे पिता और ससुर दोनों अमीर हैं. वे उसका खयाल रखेंगे.' जैन समुदाय ने भी बताया कि बच्ची के रिश्तेदार उसका ध्यान रखेंगे.
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जानकारी के अनुसार गुजरात के सूरत में सोमवार को अनामिका राठौड़ ने जैन भागवती दीक्षा लेकर श्रमणी वेश अंगीकार किया. केश मुंडन और सफेद वस्त्र धारण का सामयिक वाचन के साथ दीक्षा की प्रक्रिया पूर्ण हुई. अब वह साध्वी श्रीजी के नाम से जानी जाएंगी. अनामिका की दीक्षा के दौरान 2 साल 10 महीने की इभ्या को परिजनों की देखभाल में राजस्थान के कपासन में ही रखा गया.
गौरतलब है कि सुमित और अनामिका की शादी चार साल पहले हुई थी. जब बेटी आठ महीने की हुई तो उन्होंने संन्यास लेने का मन बना लिया था और तभी से वे इसकी तैयारी कर रहे थे. पति-पत्नी दोनों एक साथ दीक्षा लेना चाहते थे, लेकिन बच्ची की वजह से मां अनामिका के दीक्षा कार्यक्रम को टाल दिया गया था, जबकि पिता और कारोबारी सुमित राठौड़ दीक्षा ग्रहण कर सुमित मुनि बन गए थे.
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गौरतलब है कि सुमित और अनामिका की शादी चार साल पहले हुई थी. जब बेटी आठ महीने की हुई तो उन्होंने संन्यास लेने का मन बना लिया था और तभी से वे इसकी तैयारी कर रहे थे. पति-पत्नी दोनों एक साथ दीक्षा लेना चाहते थे, लेकिन बच्ची की वजह से मां अनामिका के दीक्षा कार्यक्रम को टाल दिया गया था, जबकि पिता और कारोबारी सुमित राठौड़ दीक्षा ग्रहण कर सुमित मुनि बन गए थे.
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