वाशिंगटन:
विश्लेषकों का मानना है कि अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में मारे जाने के बाद इस्लामाबाद भले ही बेनकाब हो गया हो, लेकिन अमेरिका उपमहाद्वीप में भारत और पाकिस्तान के बीच एक जटिल संतुलन बनाए रखेगा। रणनीतिक थिंकटैंक, स्ट्रैटफॉर से जुड़ीं रेवा भल्ला ने कहा, "ओसामा बिन लादेन के खिलाफ अमेरिकी अभियान को पाकिस्तानियों से इसलिए गोपनीय रखा गया था, ताकि अभियान विफल न होने पाए। क्योंकि अमेरिका इसके पहले कई बार पाकिस्तानी खुफिया के कारण इस महत्वपूर्ण शिकार को पाने से चूक गया था।" भल्ला ने कहा कि लेकिन पाकिस्तान बहुत अच्छी तरह जानता है और अमेरिका संकोच के साथ स्वीकार करता है कि पाकिस्तानियों का अल कायदा और तालिबान से सम्बंधित आतंकवादियों से महत्वपूर्ण गुप्त सम्पर्क है। आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका की सफलता का स्तर इसी से निर्धारित होता है। भल्ला ने कहा है, "यह एक सच्चाई है कि अमेरिका को पाकिस्तान के साथ सम्बंध रखना है और पाकिस्तान अपने उन गुप्त सम्पर्कों को वाशिंगटन के साथ सम्बंधों में महत्वपूर्ण लाभ के लिए इस्तेमाल करता है।" भल्ला ने कहा, "यह कोई मायने नहीं रखता कि जिहादी खतरे से निपटने में पाकिस्तानी कपट से अमेरिका कितना परेशान होता है। अमेरिका इस सच्चाई को दरकिनार नहीं कर सकता कि उसे अफगानिस्तान युद्ध से बाहर निकलने के लिए वहां तालिबान के साथ राजनीतिक समझ बनाने हेतु पाकिस्तान पर निर्भर रहने की जरूरत है।" भल्ला ने कहा, "इसलिए अमेरिका उपमहाद्वीप में भारत और पाकिस्तान के बीच एक जटिल संतुलन लगातार बनाए रखेगा। लेकिन सच्चाई यह भी है कि वाशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच गहरा अविश्वास अब बिल्कुल छुपा नहीं रह गया है।" कार्नेगी एंडोमेंट में अतिथि अध्येता, गिल्स डोरोनसोरो भी लादेन की मौत को दुनियाभर में कट्टरपंथी जिहादी संगठनों की गतिविधि के बदले अफगानिस्तान में युद्ध के लिए अधिक महत्व रखने वाली स्पष्ट जीत मानते हैं। डोरोनसोरो ने कहा कि इस बात का कोई संकेत नहीं है कि लादेन के मौत से अन्य किसी जिहादी संगठन पर असर पड़ेगा। जैसे कि पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा, जिसे 26 नवम्बर, 2008 को मुम्बई में हुए आतंकवादी हमले के लिए भारत ने जिम्मेदार ठहराया है। डोरोनसोरो ने कहा कि लेकिन पाकिस्तान के अंदर यह चकित करने वाली कार्रवाई इस्लामाबाद की अक्षमता या मिलीभगत को बेनकाब करती है जो व्हाइट हाउस को यह मौका देती है कि वह पाकिस्तान पर सकारात्मक कदम उठाने के लिए दबाव बनाए। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के विशेषज्ञों का कहना है कि बिन लादेन की मौत अल कायदा के लिए प्रतीकात्मक और वास्तविक दो तरह का झटका है। लेकिन इस संगठन का खतरा अभी भी बना हुआ है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
पाकिस्तान, बेनकाब, अमेरिका, संतुलन