सोशल मीडिया पर सब इंस्पेक्टर मदन सिंह की ईमानदारी का ज़िक्र हो रहा है
नई दिल्ली:
कलयुग, बेईमानी और भलाई का ज़माना नहीं है जैसी लाइनें दिन में पता नहीं कितनी बार टीवी, अखबार, दफ्तर और सड़कों पर सुनने को मिल जाती है. लेकिन क्या वाकई में इंसानियत और भलाई ने अपना रास्ता बदल लिया है. शायद नहीं. कम से कम नी दिल्ली के जगप्रीत सिंह को तो ऐसा बिल्कुल नहीं लगता और उनके पास ऐसा सोचने की वजह भी है. 8 जनवरी को जगप्रीत सिंह ने दिल्ली ट्राफिक पुलिस के फेसबुक पेज पर एक आपबीती पोस्ट की जिसमें उन्होंने बताया कि किस तरह एक ट्राफिक पुलिस ने उन्हें ढूंढा और उनके पचास हज़ार रुपये से भरे पर्स को लौटाया. जगप्रीत ने बताया कि सब इंस्पेक्टर मदन सिंह ने उन्हें ढूंढा और उनका बटुआ उन्हें लौटाया जिसमें पचास हज़ार रुपये से एक पैसा भी कम नहीं था. उन्होंने लिखा 'हमारी पुलिस में अच्छे लोग भी हैं और वह हमेशा हमारी मदद के लिए तैयार हैं.'
इस पोस्ट को अभी तक 3000 से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका है. सिंह ने लिखा कि किस तरह 7 जनवरी को उनकी कार बंद पड़ गई थी और उसे धक्का लगाते वक्त गलती से उनका पर्स नीचे गिर गया. घर पहुंचने पर उन्हें पता चला कि उनका पर्स खो गया है. अच्छी बात यह रही कि एक पुलिस वाले के हाथ उनका बटुआ लग गया. सिंह ने लिखा 'मेरे पास सब इंस्पेक्टर मदन सिंह का फोन आया जिन्होंने एक साइकिल वाले को मेरा वॉलेट उठाते हुए देख लिया और उनकी नज़रें उस पर पड़ गई.' पुलिस वाले को समझ आ गया कि बटुआ साइकिल वाले का नहीं है और उसने पर्स को ज़ब्त कर लिया. उसमें कैश के साथ कुछ विदेशी मुद्रा भी थी, साथ ही पहचान पत्र, डेबिट और क्रेडिट कार्ड भी थे.
सिंह ने आगे बताया कि 'पुलिसवाले ने मेरा वॉलेट देखा और उसमें मेरे विज़िटिंग कार्ड पर नंबर देखकर मुझे फोन किया. उन्होंने मुझे पर्स के बारे में सूचित किया और कहा कि मैं उनसे उसी जगह पर आकर पर्स ले जाऊं.' जगप्रीत ने लिखा कि 'पर्स देखकर मैं हैरान था कि उसमें रखा मेरा सारा सामान ज्यों का त्यों था. मैंने उन्हें ईनाम देने की कोशिश भी की लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया और मेरा वॉलेट मेरे हवाले कर दिया.' अपनी पोस्ट के आखिर में सिंह ने दिल्ली पुलिस से इस शख्स की ईमानदारी को प्रोत्साहन देने की विनती भी की है.
इस पोस्ट को अभी तक 3000 से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका है. सिंह ने लिखा कि किस तरह 7 जनवरी को उनकी कार बंद पड़ गई थी और उसे धक्का लगाते वक्त गलती से उनका पर्स नीचे गिर गया. घर पहुंचने पर उन्हें पता चला कि उनका पर्स खो गया है. अच्छी बात यह रही कि एक पुलिस वाले के हाथ उनका बटुआ लग गया. सिंह ने लिखा 'मेरे पास सब इंस्पेक्टर मदन सिंह का फोन आया जिन्होंने एक साइकिल वाले को मेरा वॉलेट उठाते हुए देख लिया और उनकी नज़रें उस पर पड़ गई.' पुलिस वाले को समझ आ गया कि बटुआ साइकिल वाले का नहीं है और उसने पर्स को ज़ब्त कर लिया. उसमें कैश के साथ कुछ विदेशी मुद्रा भी थी, साथ ही पहचान पत्र, डेबिट और क्रेडिट कार्ड भी थे.
सिंह ने आगे बताया कि 'पुलिसवाले ने मेरा वॉलेट देखा और उसमें मेरे विज़िटिंग कार्ड पर नंबर देखकर मुझे फोन किया. उन्होंने मुझे पर्स के बारे में सूचित किया और कहा कि मैं उनसे उसी जगह पर आकर पर्स ले जाऊं.' जगप्रीत ने लिखा कि 'पर्स देखकर मैं हैरान था कि उसमें रखा मेरा सारा सामान ज्यों का त्यों था. मैंने उन्हें ईनाम देने की कोशिश भी की लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया और मेरा वॉलेट मेरे हवाले कर दिया.' अपनी पोस्ट के आखिर में सिंह ने दिल्ली पुलिस से इस शख्स की ईमानदारी को प्रोत्साहन देने की विनती भी की है.
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