भोपाल:
भारी बारिश और बाढ़ की तबाही झेल रहे उत्तराखण्ड में अपने माता-पिता को ढूंढ़ने गई एक युवती स्नेहलता को बीमारी की हालत में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक चार्टर्ड विमान से अन्य प्रभावितों के साथ भोपाल लेकर आए और उसे यहां जयप्रकाश अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करा दिया, लेकिन जब इस त्रासदी से बचे उसके पिता उससे मिलने गए, तो उसने उन्हें पहचानने से इनकार कर सबको चौंका दिया।
अस्पताल सूत्रों का कहना है कि जीपी अस्पताल में भर्ती स्नेहलता उर्फ नेहा शर्मा (22) के मामले में कल उस समय नाटकीय मोड़ आ गया, जब केदारनाथ त्रासदी में अपने माता-पिता की मौत का दावा करने वाली इस युवती के पिता महावीर प्रसाद शर्मा उससे मिलने पहुंचे, तो उसने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया।
वहीं, महावीर प्रसाद के साथ आई स्नेहलता की छोटी बहन आयुषी ने भी अस्पताल पहुंचकर महावीर प्रसाद को पिता मानने से इनकार कर दिया। हालांकि शाम होते-होते अस्पताल प्रबंधन के समझाने पर आयुषी ने महावीर को अपना पिता मान लिया और स्नेहलता ने भी इस मामले में अपनी सहमति दे दी।
उल्लेखनीय कि प्रदेश में भिंड निवासी स्नेहलता के माता-पिता गत 13 जून को केदारनाथ तीर्थ यात्रा पर गए थे। स्नेहलता ने जब टेलीविजन पर केदारनाथ में बाढ़ की खबर सुनी, तो वह 20 जून को उन्हें ढूंढ़ने हरिद्वार रवाना हो गई। इस बीच, स्नेहलता को बीमारी की हालत में हरिद्वार के शांतिकुंज स्थित मध्यप्रदेश के राहत शिविर में पहुंचाया गया, जहां से मुख्यमंत्री चौहान उसे अपने साथ लेकर गत सोमवार को भोपाल आए थे। युवती द्वारा माता-पिता की मौत का दावा किए जाने पर मुख्मयंत्री ने उसे सरकारी नौकरी देने की घोषणा भी कर दी थी।
दूसरी ओर, सरकारी सूत्रों ने बताया कि हरिद्वार के राहत शिविर में मिली जिस युवती को मुख्मयंत्री ने माता-पिता के खोने पर नौकरी देने की घोषणा की थी, उसके बारे में भिंड के एसडीएम को जांच करने को कहा गया है। यदि इस बच्ची के माता-पिता जीवित नहीं होंगे, तो उसी स्थिति में उसे शासकीय नौकरी दी जाएगी।
अस्पताल में दिए बयान में महावीर प्रसाद का कहना है कि उसके चार बेटे और तीन बेटियां हैं। वह अपनी पत्नी विद्यादेवी के साथ 13 जून को केदारनाथ जा रहे थे, लेकिन रास्ते में बारिश होने के कारण हरिद्वार से आगे नहीं जा सके। वहीं, स्नेहलता का कहना है कि उसके दो भाई और चार बहनें हैं। साथ ही उसने बताया था कि केदारनाथ में माता-पिता के साथ दो बहनों और दो भाइयों की मौत हो गई है।
महावीर प्रसाद के साथ आई स्नेहलता की छोटी बहन आयुषी ने भी कुछ घंटों के बाद उसे पिता मानने से इनकार कर दिया। उसने कहा कि वह उन्हें पिता जैसा मानती है, इसलिए उनके साथ आई है। हालांकि शाम को डॉक्टरों और पुलिसकर्मियों के समझाने के बाद महावीर प्रसाद को अपना पिता बताया। उसने सुबह इस बात से इनकार क्यों किया, इस बारे में आयुषी ने कोई जवाब नहीं दिया।
बाद में स्नेहलता ने भी महावीर को अपना पिता स्वीकार कर लिया। इस पूरे मामले के बाद महावीर प्रसाद ने कहा, ‘‘भगवान ऐसी औलाद किसी को नहीं दे। मुझे ऐसी बेटी नहीं चाहिए जो मुझे पिता ही नहीं माने। यदि मैं उसका पिता नहीं होता तो उसे देखने क्यों आता।’’
इस समूचे मामले पर राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय सिंह ‘राहुल’ ने एक बयान देकर कहा है कि मुख्यमंत्री चौहान उत्तराखण्ड आपदा के प्रभावितों के नाम पर सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि जिस लड़की को लेकर मुख्यमंत्री ने वाहवाही लूटी, वह पूरी कहानी झूठी निकली और मुख्यमंत्री संदेह एवं विवाद के घेरे में आ गए हैं।
अस्पताल सूत्रों का कहना है कि जीपी अस्पताल में भर्ती स्नेहलता उर्फ नेहा शर्मा (22) के मामले में कल उस समय नाटकीय मोड़ आ गया, जब केदारनाथ त्रासदी में अपने माता-पिता की मौत का दावा करने वाली इस युवती के पिता महावीर प्रसाद शर्मा उससे मिलने पहुंचे, तो उसने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया।
वहीं, महावीर प्रसाद के साथ आई स्नेहलता की छोटी बहन आयुषी ने भी अस्पताल पहुंचकर महावीर प्रसाद को पिता मानने से इनकार कर दिया। हालांकि शाम होते-होते अस्पताल प्रबंधन के समझाने पर आयुषी ने महावीर को अपना पिता मान लिया और स्नेहलता ने भी इस मामले में अपनी सहमति दे दी।
उल्लेखनीय कि प्रदेश में भिंड निवासी स्नेहलता के माता-पिता गत 13 जून को केदारनाथ तीर्थ यात्रा पर गए थे। स्नेहलता ने जब टेलीविजन पर केदारनाथ में बाढ़ की खबर सुनी, तो वह 20 जून को उन्हें ढूंढ़ने हरिद्वार रवाना हो गई। इस बीच, स्नेहलता को बीमारी की हालत में हरिद्वार के शांतिकुंज स्थित मध्यप्रदेश के राहत शिविर में पहुंचाया गया, जहां से मुख्यमंत्री चौहान उसे अपने साथ लेकर गत सोमवार को भोपाल आए थे। युवती द्वारा माता-पिता की मौत का दावा किए जाने पर मुख्मयंत्री ने उसे सरकारी नौकरी देने की घोषणा भी कर दी थी।
दूसरी ओर, सरकारी सूत्रों ने बताया कि हरिद्वार के राहत शिविर में मिली जिस युवती को मुख्मयंत्री ने माता-पिता के खोने पर नौकरी देने की घोषणा की थी, उसके बारे में भिंड के एसडीएम को जांच करने को कहा गया है। यदि इस बच्ची के माता-पिता जीवित नहीं होंगे, तो उसी स्थिति में उसे शासकीय नौकरी दी जाएगी।
अस्पताल में दिए बयान में महावीर प्रसाद का कहना है कि उसके चार बेटे और तीन बेटियां हैं। वह अपनी पत्नी विद्यादेवी के साथ 13 जून को केदारनाथ जा रहे थे, लेकिन रास्ते में बारिश होने के कारण हरिद्वार से आगे नहीं जा सके। वहीं, स्नेहलता का कहना है कि उसके दो भाई और चार बहनें हैं। साथ ही उसने बताया था कि केदारनाथ में माता-पिता के साथ दो बहनों और दो भाइयों की मौत हो गई है।
महावीर प्रसाद के साथ आई स्नेहलता की छोटी बहन आयुषी ने भी कुछ घंटों के बाद उसे पिता मानने से इनकार कर दिया। उसने कहा कि वह उन्हें पिता जैसा मानती है, इसलिए उनके साथ आई है। हालांकि शाम को डॉक्टरों और पुलिसकर्मियों के समझाने के बाद महावीर प्रसाद को अपना पिता बताया। उसने सुबह इस बात से इनकार क्यों किया, इस बारे में आयुषी ने कोई जवाब नहीं दिया।
बाद में स्नेहलता ने भी महावीर को अपना पिता स्वीकार कर लिया। इस पूरे मामले के बाद महावीर प्रसाद ने कहा, ‘‘भगवान ऐसी औलाद किसी को नहीं दे। मुझे ऐसी बेटी नहीं चाहिए जो मुझे पिता ही नहीं माने। यदि मैं उसका पिता नहीं होता तो उसे देखने क्यों आता।’’
इस समूचे मामले पर राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय सिंह ‘राहुल’ ने एक बयान देकर कहा है कि मुख्यमंत्री चौहान उत्तराखण्ड आपदा के प्रभावितों के नाम पर सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि जिस लड़की को लेकर मुख्यमंत्री ने वाहवाही लूटी, वह पूरी कहानी झूठी निकली और मुख्यमंत्री संदेह एवं विवाद के घेरे में आ गए हैं।
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