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This Article is From Apr 07, 2017

दफ़नाइए, जलाइए मत - 12वीं कक्षा के बायोलॉजी के पेपर में पूछे गए सवाल को लेकर ट्विटर पर हंगामा

दफ़नाइए, जलाइए मत - 12वीं कक्षा के बायोलॉजी के पेपर में पूछे गए सवाल को लेकर ट्विटर पर हंगामा
सीबीएसई की 12वीं कक्षा की जीवविज्ञान की परीक्षा में जलाने की तुलना में दफ़नाने को बेहतर प्रक्रिया साबित करने के लिए तर्क पूछे गए थे...
नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, यानी सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) द्वारा 12वीं कक्षा की जीव विज्ञान (बायोलॉजी) की परीक्षा में एक ऐसा सवाल पूछा गया, जिसने न सिर्फ विद्यार्थियों को भौंचक्का कर दिया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी हंगामा मचा दिया... माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर एक यूज़र ने मानव संसाधन एवं विकास (एचआरडी) मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को टैग करते हुए प्रश्नपत्र को अपलोड किया, और पूछा कि क्या उन्हें विद्यार्थियों से अंतिम संस्कारों की विभिन्न प्रक्रियाओं के बारे में ऐसे सवाल पूछे जाने की जानकारी है...

प्रश्नपत्र के सेक्शन डी में पूछा गया सवाल इस प्रकार था...

"संपूर्ण भारत की जनता उत्तरी भारत के बड़े भाग की वायु की बिगड़ती हुई गुणवत्ता को लेकर बहुत अधिक चिंतित है... इस स्थिति से संत्रस्त होकर आपके इलाके की रिहायशी कल्याण संस्था ने 'दफ़नाइए, जलाइए मत' जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया... जीव-विज्ञान के विद्यार्थी होने के नाते संस्था ने इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है...

a) दफ़नाने को बढ़ावा देने तथा जलाने को निरुत्साहित करने के आपके तर्क की पुष्टि किस प्रकार करेंगे...? (कोई दो कारण दीजिए)...

b) प्रवाह-चार्टों, प्रत्येक कार्यवाही के लिए एक-एक, की सहायता से, कार्यवाही के पश्चात् होने वाली परिघटनाओं की शृंखला की चर्चा कीजिए..."


हालांकि कुछ देर तक सोशल मीडिया पर हंगामा मचे रहने के बाद बहुत-से लोगों ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि सवाल मानव शरीरों के अंतिम संस्कार के बारे में नहीं पूछा गया है, और लोगों ने बेवजह ही इसे मानवों की अंत्येष्टि से जोड़ दिया है...

दरअसल, आलोक भट्ट नामक यूज़र ने 5 अप्रैल को इस प्रश्नपत्र को अपलोड करते हुए मानव संसाधन एवं विकास (एचआरडी) मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को टैग किया था और कहा था, "यह सवाल जीव-विज्ञान से कितना संबंधित है...?"
 
...और तभी से इस ट्वीट पर बहुत-सी प्रतिक्रियाएं आती रही हैं...

चूंकि सवाल की भाषा बहुत स्पष्ट नहीं थी, और उसमें गलतफहमी की गुंजाइश थी, सो, शुरुआत में ज़्यादातर लोगों ने गुस्सा ज़ाहिर करना शुरू कर दिया था, लेकिन बाद में सवाल को गौर से पढ़ने पर कुछ यूज़रों को एहसास हुआ कि सवाल पेड़ों से गिरने वाले पत्तों के संदर्भ में पूछा गया है, मानव शरीरों के संदर्भ में नहीं...
 

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