यह ख़बर 23 मई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

बिहार की लड़कियां लौटाने लगीं बारात!

खास बातें

  • अब बिहार के शहरों ही नहीं, गांवों की लड़कियों ने भी अधिक उम्र के या शराबी लड़के को जीवनसाथी नहीं बनाने की ठान ली है।
पटना:

कल तक जहां लड़कियों को अबला और विवाह के नाम पर किसी के भी साथ रिश्ता जोड़ देने की 'वस्तु' समझा जाता था, वहीं अब बिहार के शहरों ही नहीं, गांवों की लड़कियों ने भी अधिक उम्र के या शराबी लड़के को जीवनसाथी नहीं बनाने की ठान ली है। लड़कियों ने ऐसे कई मौकों पर न केवल दरवाजे पर खड़ी बारात वापस कराई, बल्कि थाने पहुंचकर आरोपियों को गिरफ्तार भी करवाया है।

पुलिस के अनुसार वैशाली जिले के बेलसंड थाना क्षेत्र के जारन गांव की रहने वाली 13 वर्षीया चुनमुन का उसके ही बहनोई ने उससे तीन गुना ज्यादा उम्र के लड़के रजनीश से एक सप्ताह पूर्व मंदिर में विवाह करवा दिया था और वह उस पर उसके साथ रहने का दबाव भी बना रहा था। लेकिन चुनमुन ने हिम्मत नहीं हारी और रजनीश के साथ नहीं रहने की कसम खा ली। उसने किसी तरह भाग कर महिला थाने में आकर मामला दर्ज करवा दिया।

हाजीपुर महिला थाने की प्रभारी किरण कुमारी ने बताया कि रजनीश चुनमुन के बहनोई सोनू तिवारी का चाचा है। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

बिहार में यह ऐसा पहला मामला नहीं है। गत 30 अप्रैल को औरंगाबाद जिले के जुड़ाही गांव के ललन सिंह ने अपनी पुत्री बबीता का विवाह झारखण्ड के पलामू जिले के नवडीहा विलासपुर गांव के राघवेंद्र से तय किया था। लेकिन जब बारात आई और वरमाला का समय आया तब बाराती मंडप में रखी कुर्सियां एक-दूसरे पर फेंकने लगे।

बाद में बबीता को पता चला कि उसके होने वाले जीवनसाथी और उसके मित्रों ने छककर शराब पी है। इसके बाद बबीता ने शराबी से शादी करने से इनकार कर दिया। विवश होकर बारात को लौटना पड़ा।

सहरसा की नंदिनी ने भी इसी तरह हिम्मत दिखाकर अपने भावी पति कृष्णमुरारी के अधिक उम्र के होने के कारण उससे शादी से इंकार कर दिया। नंदिनी ने हालांकि वरमाला कृष्णमुरारी को पहना दी थी और सभी लोग विवाहमंडप में वधू के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे, तभी अचानक 14 वर्षीया नंदिनी ने शादी नहीं करने का फरमान सुना दिया।

नंदिनी को काफी समझाने का प्रयास किया गया लेकिन बात नहीं बनी। अब नंदिनी के पिता शंभु भी अपनी पुत्री के निर्णय को सही मानते हैं।

आंकड़ों के अनुसार पिछले दो-तीन वर्षो से बिहार में ऐसी करीब 50 घटनाएं होती रही हैं जिनमें लड़कियां अपने होने वाले पति या घर से संतुष्ट नहीं होने के कारण विवाह से मुकर रही हैं।

पटना विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र की प्रोफेसर एस़ भारती कहती हैं कि इन घटनाओं का सबसे बड़ा कारण जागरूकता है। वह कहती हैं, "अब आम लड़कियों में भी यह धारणा विकसित हो गई है कि जीवन उनका है और सुख-दुख उन्हीं को झेलना है। लड़कियों में अब आत्मविश्वास जगा है।"  

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

भारती कहती हैं, "आज भी अभिभावकों द्वारा थोपे गए विवाह को लड़कियां मजबूरी में अपना रही हैं। बाल विवाह आज भी हमारे समाज के लिए कोढ़ है। इसके लिए और जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।"