विज्ञापन

चाइनीज़ ड्रोन का हैरतअंगेज़ कारनामा, कैमरे में कैद किया माउंट एवरेस्ट का दुर्लभ नज़ारा, लोग बोले- ये कल्पना से परे है

उच्च ऊंचाई पर माउंट एवरेस्ट का हवाई फुटेज ड्रोन निर्माता डीजेआई और 8KRAW के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास था, जो डीजेआई मविक 3 ड्रोन की प्रभावशाली क्षमताओं को प्रदर्शित करता है.

चाइनीज़ ड्रोन का हैरतअंगेज़ कारनामा, कैमरे में कैद किया माउंट एवरेस्ट का दुर्लभ नज़ारा, लोग बोले- ये कल्पना से परे है
चाइनीज़ ड्रोन का हैरतअंगेज़ कारनामा, कैमरे में कैद किया माउंट एवरेस्ट का दुर्लभ नज़ारा

एक चीनी निर्माता (Chinese manufacturer) द्वारा बनाए गए ड्रोन (drone) ने माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) के आश्चर्यजनक हवाई फुटेज (stunning aerial footage) को कैप्चर करके अकल्पनीय उपलब्धि हासिल की है, जैसा कि पहले कभी नहीं हुआ था. उच्च ऊंचाई पर माउंट एवरेस्ट का हवाई फुटेज ड्रोन निर्माता डीजेआई और 8KRAW के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास था, जो डीजेआई मविक 3 ड्रोन की प्रभावशाली क्षमताओं को प्रदर्शित करता है.

चार मिनट का वीडियो 5,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित प्रतिष्ठित बेस कैंप से शुरू होता है. वहां से, ड्रोन 6,000 मीटर की ऊंचाई पर पहले कैंपसाइट की चढ़ाई को कैद करता है, जहां से खुम्बू बर्फबारी और आसपास के ग्लेशियरों के मनमोहक दृश्य दिखाई देते हैं.

फ़ुटेज में पर्वतारोहियों को पहाड़ के ऊपर या नीचे अपना रास्ता बनाते हुए भी दिखाया गया है, और फिर कैमरा बेस कैंप की ओर जाने वाले घुमावदार रास्ते को दिखाने के लिए बाहर निकलता है. कैमरा बेस कैंप में विशाल तम्बू शहर को दिखाता है, जिसमें पूरे परिदृश्य में रंगीन तंबू बिखरे हुए हैं.

देखें Video:

वीडियो वायरल हो गया है और बहुत से लोग इस अद्भुत फुटेज से हैरान हैं. एक यूजर ने लिखा, ''ठीक है, मैं एवरेस्ट पर चढ़ना अपनी बकेट लिस्ट से हटा सकता हूं.'' दूसरे ने कमेंट किया, ''मुझे आश्चर्य है कि ड्रोन इतनी ऊंचाई पर अपेक्षित लिफ्ट उत्पन्न करने में सक्षम था.'' तीसरे ने कहा, ''यह मेरे द्वारा देखे गए सबसे अच्छे वीडियो में से एक है. ग्रेट वर्क.''

माउंट एवरेस्ट पृथ्वी का सबसे ऊँचा पर्वत है, जो समुद्र तल से 8,848 मीटर (29,029 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है. यह नेपाल और तिब्बत, चीन की सीमा पर हिमालय में स्थित है. इसकी अत्यधिक ऊंचाई और कठोर मौसम की स्थिति के कारण इसे चढ़ाई के लिए सबसे प्रतिष्ठित और चुनौतीपूर्ण पहाड़ों में से एक माना जाता है.

यह पर्वत अपने चरम मौसम के लिए जाना जाता है, जहां तापमान -60°C से -10°C तक होता है और हवाएं 100 मील प्रति घंटे (161 किलोमीटर प्रति घंटे) से अधिक की गति तक पहुंचती हैं. इसे पहली बार 1953 में न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी और शेरपा तेनजिंग ने जीता था.


ये Video भी देखें:

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com