
Indian Railway Interesting Toilet Story: जब भी हमें एक शहर से दूसरे शहर जाना होता है तो हम रेल का सहारा लेते हैं. रेल का सफर काफी सस्ता और आरामदायक होता है. इस यात्रा के दौरान हमें ट्रेन के अंदर ही भोजन मिल जाता है, पानी मिलता है और कई चीज़ें खाने को मिल जाती हैं. फ्रेश होने के लिए हमें बाथरूम भी मिल जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि ट्रेन के अंदर बाथरूम कब से लगना शुरु हुआ? दरअसल, एक भारतीय के पत्र के कारण ट्रेन के अंदर बाथरूम को लगाया गया. आज हम आपको उस भारतीय के बारे में बताएंगे.
ट्वीट देखें
Okhil Chandra Sen's letter to the Indian Railways (West Bengal Division) requesting to set up toilets on railway stations and trains.
— Aishwarya Iyer (@aishooaaram) August 20, 2022
Year: 1909
Interestingly, this worked. Now we have toilets in railways thanks to this man. :) pic.twitter.com/KQKwAKPQsC
ओखिल चंद्र सेन ने पत्र में लिखा था कि आदरणीय सर, मैं ट्रेन से अहमदपुर स्टेशन तक आया. उस समय मेरे पेट में दिक्कत हुई. मैं टॉयलेट करने बैठा, इसी बीच ट्रेन खुल गई और मेरी ट्रेन छूट गई. गार्ड ने मेरा इंतज़ार भी नहीं किया. मेरे एक हाथ में लोटा था और दूसरे हाथ से, मैं धोती पकड़कर दौड़ा और प्लेटफार्म पर गिर भी गया और मेरी धोती भी खुल गई और मुझे वहां सभी महिला-पुरूषों के सामने शर्मिंदा होना पड़ा और मेरी ट्रेन भी छूट गई. इस वजह से मैं अहमदपुर स्टेशन पर ही रह गया. यह कितनी बुरी और दुखद बात है कि टॉयलेट करने गए एक यात्री के लिए ट्रेन का गार्ड कुछ मिनट रुका भी नहीं. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि उस गार्ड पर जुर्माना लगाया जाए वरना मैं ये बात अखबारों में बता दूंगा. आपका विश्वसनीय सेवक, ओखिल चंद्र सेन.
इस ख़त के बाद अंग्रेज़ों ने इस बात पर विचार किया और तत्काल प्रभाव से ट्रेनों में टॉयलेट लगवाने का आदेश दे दिया. ओखिल चंद्र सेन के कारण आज भारतीय ट्रेन में टॉयलेट की सुविधा है. आज हम मजे से ट्रेन में सफर कर सकते हैं.
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