
वर्ष 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले का मुख्य साजिशकर्ता जकी उर रहमान लखवी जेल में ही रहेगा। पाकिस्तान के शीर्ष न्यायालय ने उसकी हिरासत को निलंबित करने का उच्च न्यायालय का आदेश पलट दिया।
शीर्ष अदालत ने यह मामला वापस इस्लामाबाद उच्च न्यायालय को भेजकर उसे निर्देश दिया कि इस मामले में फिर से दलीलें सुनी जाएं और जल्दबाजी किए बगैर गुण और दोष के आधार पर फैसला किया जाए। 'जियो टीवी' ने खबर दी कि उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले की 12 जनवरी से फिर से सुनवाई होगी।
आतंकवाद निरोधक अदालत ने 18 दिसंबर 2014 को लखवी की जमानत मंजूर की थी। लखवी पर नवंबर 2008 में हुए मुंबई हमले की साजिश रचने, वित्तीय मदद करने और इसे अंजाम देने में शामिल होने का आरोप है। अगले दिन, उसे लोक व्यवस्था बनाए रखने संबंधी आदेश (एमपीओ) के तहत फिर से हिरासत में ले लिया गया।
हालांकि इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नूरूल हक कुरैशी ने एमपीओ के तहत लखवी की हिरासत पर रोक लगा दी गई थी जिसकी भारत ने कड़ी आलोचना की हुई थी। रिहा होने से ठीक पहले लखवी को अफगानी नागरिक मोहम्मद अनवर खान के अपहरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
पुलिस ने दो दिन के लिए उसे शालीमार पुलिस थाने में रखा जिसके बाद मजिस्ट्रेट ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में मंगलवार को आदियाला जेल वापस भेज दिया। लखवी बीते पांच वर्ष से आदियाला जेल में हिरासत में है। लखवी को मुंबई आतंकी हमले के मामले में दिसंबर 2008 में गिरफ्तार किया गया था।
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