रिपब्लिकन पार्टी (Republican Party) की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के दावेदार विवेक रामास्वामी (Vivek Ramaswamy) ने कहा कि तीन धर्मनिरपेक्ष मुद्दों - नस्ल, लिंग और जलवायु ने आज अमेरिका को संकट में डाल दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर वह 2024 में देश का राष्ट्रपति बनते हैं तो अमेरिकी कंपनियों के चीन के साथ कारोबार करने पर रोक लगाएंगे तथा संघीय जांच ब्यूरो (एफआईबी) को खत्म करेंगे. रामास्वामी (37) ने रिपब्लिकन पार्टी के शीर्ष वार्षिक कार्यक्रम ‘कंजर्वेटिव पॉलिटिकल एक्शन कांफ्रेंस' (सीपीएसी) में अपने संबोधन में कहा, ‘‘आज की स्वतंत्रता की घोषणा चीन से स्वतंत्रता की हमारी घोषणा है. अगर थॉमस जेफरसन आज जीवित होते तो स्वतंत्रता की इस घोषणा पर वह हस्ताक्षर करते. अगर मैं आपका अगला राष्ट्रपति बनता हूं तो मैं इस पर हस्ताक्षर करूंगा.''
अगर आप श्वेत हैं तो...
सीपीएसी के राष्ट्रीय मंच से अपने पहले बड़े संबोधन में रामास्वामी ने कहा कि वह पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (76) तथा ‘‘अमेरिका प्रथम'' की उनकी दूरदृष्टि से प्रेरित हैं. उन्होंने कहा कि यह वक्त इन मुद्दों को पहचानने तथा उनके लिए आक्रामकता से काम करने का है. रामास्वामी ने पिछले सप्ताह व्हाइट हाउस की दौड़ में शामिल होने की घोषणा की थी. अपने 18 मिनट के भाषण में उन्होंने कहा, ‘‘तीन धर्मनिरपेक्ष मुद्दों ने आज अमेरिका को संकट में डाल दिया है.''उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप काले हैं तो आप स्वाभाविक रूप से वंचित हैं. अगर आप श्वेत हैं तो आपको स्वाभाविक रूप से विशेषाधिकार प्राप्त है, चाहे आपकी आर्थिक पृष्ठभूमि या परवरिश कैसी भी हो. नस्ल यह तय करती है कि आप क्या हैं और जीवन में क्या हासिल कर सकते हैं.''
हम एक कारण के लिए बहुत भूखे हैं...
रामास्वामी ने कहा कि अमेरिका राष्ट्रीय पहचान के संकट के बीच फंसा है. अपने भाषण में, रामास्वामी ने शिक्षा विभाग और एफबीआई को खत्म करने का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा, 'मैं पिछले हफ्ते ही कह चुका हूं, अमेरिका में जिस पहली एजेंसी को बंद करने की जरूरत है, वह शिक्षा विभाग है. इसके अस्तित्व का कोई कारण नहीं है. कभी अस्तित्व में नहीं होना चाहिए था. रामास्वामी ने आगे कहा, ‘‘और आज, मैं दूसरी सरकारी एजेंसी की घोषणा करने के लिए तैयार हूं, जिसे मैं इस देश में बंद करना चाहूंगा, जो हमें कम से कम 60 साल पहले करना चाहिए था. एफबीआई को खत्म करने का समय आ गया है. मैं 37 साल का हूं. मैं 1985 में पैदा हुआ था. मैं आपको यह बताऊंगा, मेरी पीढ़ी, वास्तव में अमेरिकियों की हर पीढ़ी आज, हम एक कारण के लिए बहुत भूखे हैं. हम भूखे हैं उद्देश्य और अर्थ और पहचान के लिए. हम अपने से बड़े किसी चीज़ का हिस्सा बनने के भूखे हैं, फिर भी हम इस सवाल का जवाब भी नहीं दे सकते कि आज अमेरिकी होने का क्या मतलब है. यह रूढ़िवादी आंदोलन के ऊपर उठने का एक अवसर है."
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के गिरने तक...
भारतीय अमेरिकी ने कहा कि वह अमेरिकी कंपनियों को चीन में कारोबार करने से रोकेंगे. "मुझे लगता है कि ईमानदार होना महत्वपूर्ण है. अगर हम चीन से स्वतंत्रता की घोषणा करना चाहते हैं, तो इसका मतलब है कि हमें सीसीपी (चीनी कम्युनिस्ट पार्टी) के गिरने तक या सीसीपी के मौलिक रूप से चीन में व्यापार करने से अधिकांश अमेरिकी व्यवसायों पर प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार रहना होगा."
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