विज्ञापन

अमेरिकी मिसाइल का इ्स्तेमाल यूक्रेन ने किया, भारत, चीन और तुर्की ने क्यों बनाए रखी नजर

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहले भी पश्चिमी देशों को इस तरह के कदम के खिलाफ चेतावनी दे चुके हैं. सैन्य रूप से बेहद ताकतवर रूस इस फैसले के बाद और कड़ा रुख अपना सकता है. व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों को इस तरह के कदम के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा था कि यह यूक्रेन युद्ध में नाटो सैन्य गठबंधन की प्रत्यक्ष भागीदारी मानी जाएगी.

अमेरिकी मिसाइल का इ्स्तेमाल यूक्रेन ने किया, भारत, चीन और तुर्की ने क्यों बनाए रखी नजर
जो बाइडेन और जेलेंस्की.
नई दिल्ली:

US missiles use by Ukraine: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हो गए हैं और वहां पर सत्ता परिवर्तन हो रहा है. राष्ट्रपति जो बाइडेन की पार्टी चुनाव हार गई है और रिपब्लिकन प्रत्याशी और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब सत्ता में वापसी करेंगे. जनवरी में ट्रंप के सत्ता में आने में अभी समय है. ट्रंप के इरादों को सभी जानते हैं. ट्रंप यह साफ कर चुके हैं कि वे यूक्रेन और रूस में युद्ध को जल्द ही रुकवा देंगे. उन्होंने कहा है कि यूक्रेन को नाटो में लाने की जरूरत ही नहीं थी. यूक्रेन पर अमेरिका बहुत ज्यादा खर्चा कर रहा है जिससे कुछ मिलने वाला नहीं है. साथ ही उन्होंने यहां तक कहा है कि नाटो पर अमेरिका ज्यादा पैसा लगाता है जबकि सभी देशों को अपनी रक्षा के लिए काम करना चाहिए. इससे यह साफ होता जा रहा है कि ट्रंप की नीति क्या हो सकती है. फिर इसे अमेरिका की नीति माना जा सकता है. 

जो बाइडेन ने जाने से पहले कर दिया ये कारनामा

लेकिन, सत्ता से हटने पहले जो बाइडेन ने जो कदम उठाए हैं उससे रूस के लिए दिक्कतें पैदा हो गई हैं. रूस और यूक्रेन में 2 साल 9 महीनों से ज्यादा से युद्ध चल रहा है. ऐसे में इस युद्ध के जल्द अंत होने के आसार अब नहीं दिख रहे हैं. ट्रंप जहां युद्ध जल्द समाप्त करने की बात कर रहे थे, वहीं जो बाइडेन के इस कदम से मामला पलट गया है. बाइडेन ने यूक्रेन को अरबों डॉलर की वित्तीय मदद के साथ सैन्य साजों सामान भी दिया है. साथ ही साथ जिन लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइलों के इस्तेमाल पर जो रोक लगाई गई थी उसे भी हटाने का काम कर दिया है. ताजा़ खबरें हैं कि यूक्रेन ने इनका इस्तेमाल भी आरंभ कर दिया है.  जवाब में मॉस्को ने कहा है कि रूस के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त क्षेत्र पर हमला करने के लिए पश्चिमी देशों के हथियारों का इस्तेमाल संयुक्त राज्य अमेरिका को जंग में प्रत्यक्ष भागीदार बना दिया है. इसका उचित जवाब दिया जाएगा.

यूक्रेन की मांग को बाइडेन ने माना

गौरतलब है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की लंबे समय से यह मांग करते  रहे हैं कि रूस के भीतर हमले के लिए कीव को आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (एटीएसीएमएस) का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए. एटीएसीएमएस 300 किमी (186 मील) तक टारगेट को हिट कर सकती है.  अमेरिका में मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर कोरिया की ओर से युद्ध में रूस की मदद के लिए हजारों सैनिकों की कथित तैनाती के जवाब में बाइडन ने यह फैसला लिया है. अमेरिका का यह फैसला यूक्रेन के लिए बड़ी मदद है. रूसी सेनाएं पिछले कुछ समय में लगातार बढ़त हासिल कर रही हैं. अमेरिकी लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल से यूक्रेन को युद्धविराम की स्थिति में बेहतर शर्त रखने का मौका मिल सकता है. 

एटीएसीएमएस का प्रयोग 

इस प्रतिबंध के हटने के बाद से रूस के लिए चिंता का कारण बन गया है . अमेरिका ने यूक्रेन को आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (एटीएसीएमएस) दिया है. कहा जा रहा था कि अब यूक्रेन इससे पश्चिमी रूस के कुर्स्क क्षेत्र में रूसी सेना पर हमला कर सकता है. यह तो तय है कि अब रूस को भी अपनी सुरक्षा की योजना पर फिर से विचार करना पड़ेगा और उसी हिसाब से तैयारी करनी होगी.  रूस की हवाई सुरक्षा एयर S-400 और S-500 एयर डिफेंस पर निर्भर है. यह सिस्टम रूस का अपना सिस्टम है जिसे रूस इस्तेमाल करता आया है. रूस की एस-400 प्रणाली को भारत ने भी खरीदा है. भारत के अलावा चीन और तुर्की ने भी रूस से इस सिस्टम को खरीदने के लिए समझौता किया है.  अब जब यूक्रेन ने इन मिसाइलों को प्रयोग किया है तब रूस के डिफेंस सिस्टम ने अपना काम किया है. रूस ने इस संबंध में बयान भी दिया. मिसाइल के हमले के बाद रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसके एयर डिफेंस ने पांच मिसाइलों को मार गिराया है, जबकि छठे के टुकड़े एक सैन्य अड्डे पर गिरे, जिससे एक छोटी जगह पर आग लग गई. क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने इसके बाद कहा कि रूस की सैन्य क्षमताओं की यूक्रेन से कोई तुलना ही नहीं है और कोई भी मिसाइल यूक्रेन की मदद नहीं कर सकती.

रूस की क्या प्रतिक्रिया

यूक्रेन के मिसाइल से हमले के बाद रूस ने जवाब देने की बात कही है. इससे पहले रूस के अखबार ने कहा था कि जाते-जाते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक ऐसा निर्णय ले लिया है, जो उनके शासनकाल में लिए गए निर्णयों में न सिर्फ़ सबसे ज़्यादा उकसाने वाला है, बल्कि बिना किसी विचार-विमर्श के लिया गया है, जिसके परिणाम बहुत ज़्यादा ख़तरनाक हो सकते हैं. 

पुतिन की चेतावनी

बता दें कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहले भी पश्चिमी देशों को इस तरह के कदम के खिलाफ चेतावनी दे चुके हैं. सैन्य रूप से बेहद ताकतवर रूस इस फैसले के बाद और कड़ा रुख अपना सकता है. व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों को इस तरह के कदम के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा था कि यह यूक्रेन युद्ध में नाटो सैन्य गठबंधन की प्रत्यक्ष भागीदारी मानी जाएगी.

Latest and Breaking News on NDTV

रूस की पहले दी गई प्रतिक्रिया

राष्ट्रपति पुतिन के प्रवक्ता दिमीत्रि पेस्कोव का कहना था कि अगर इस तरह का निर्णय लिया गया है तो मतलब तनाव का नया चक्र शुरू होगा और अमेरिका के इस विवाद में उतरने से नई स्थिति पैदा हो जाएगी. पेस्कोव ने बाइडेन प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो आग में घी डालने का काम कर रहे हैं और इस विवाद में लगातार तनाव को बढ़ा रहे हैं. 

गौरतलब है कि हाल ही में रूस ने उत्तर कोरिया के सैनिकों को युद्ध क्षेत्र में तैनात किया है, ताकि वो रूसी सैनिकों के साथ मिलकर यूक्रेन पर हमला कर सकें.

क्या कहा है पुतिन ने

कुछ दिन पहले मिसाइल के प्रयोग की यूक्रेन को इजाजत देने के एक सवाल के जवाब में पुतिन ने कहा था कि अगर ऐसा करने की अनुमति दी जाती है, तो मास्को इस पूरे घटनाक्रम को नेटो देशों के यूक्रेन के साथ जारी रूस की जंग में ‘सीधी भागीदारी' के तौर पर देखेगा. उन्होंने कहा था कि इसका मतलब यह होगा कि नाटो देश रूस के साथ लड़ रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि इसी महीने में रूस ने देश के परमाणु सिद्धांतों में संशोधन की घोषणा की थी. यह दस्तावेज़ उन सिद्धांतों के बारे में है, जिसके तहत मास्को परमाणु हमले को लेकर निर्णय ले सकता है.

क्या करेंगे पुतिन

इसके साथ ही राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि मिसाइलों के इस्तेमाल की इजाजत मिलने के बाद सबसे पहले तो हम अपने एयर डिफ़ेंस सिस्टम को और बेहतर बनाएंगे. हम उनकी मिसाइलों को नष्ट कर देंगे.

तब पुतिन ने कहा था कि अगर कोई उन्हें हमारे इलाके को निशाना बनाने के लिए हथियार देता है तो हम भी दुनिया में ऐसे देशों को हथियार दे सकते हैं जो उनके संवेदनशील ठिकानों को टार्गेट कर सकें. दूसरे शब्दों में, मास्को भी उन देशों को हथियार भेजने के बारे में सोच रहा है, जो रूसी हथियारों से यूरोपीय देशों को निशाना बना सकते हैं.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

सैन्य विशेषज्ञों की राय में रूसी सेनाएं को बाइडेन के इस फैसले से ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. उनका कहना है कि क्राइमिया तट पर एटीएसीएमएस मिसाइलों को रूसी सेना पहले भी रोक चुकी है.

कहा तो यह भी जा रहा है कि अमेरिका में चुनकर आए नए राष्ट्रपति ट्रंप इस निर्णय को ‘पलट' भी सकते हैं. जनवरी 20 को राष्ट्रपति बाइडन व्हाइट हाउस से बाहर होंगे और डोनाल्ड ट्रंप उनकी जगह लेंगे. रूस को इस बात की जानकारी है कि ट्रंप ऐसा कर सकते हैं. यही कारण है कि रूस अभी इस बारे में ज्यादा चिंतित नहीं है. लेकिन रूस को केवल एक बात की ही चिंता है कि यदि ट्रंप ने शांति समझौते के लिए दबाव बनाया तब कौन सा इलाका किसके पास है यह देखना जरूरी होगा. 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com