एक अमेरिकी रोजगार सेवा कंपनी ने लगभग 600 एच -1 बी वीजा धारक कर्मचारियों का करीब 1.1 मिलियन डॉलर (11 लाख डॉलर) का बकाया भुगतान करने के लिए सहमति व्यक्त की है. इनमें बड़ी संख्या में भारतीय आईटी प्रफेशनल्स हैं. यह निर्णय लेबोरस वेज एंड ऑवर डिवीजन विभाग की एक जांच के बाद लिया गया है जिसमें पाया गया था कि छुट्टी के दौरान काम बंद हो जाने पर पॉपुलस ग्रुप एच -1 बी कर्मचारियों को वेतन नहीं दे सका था.
बकाया वेतन भुगतान करने के अलावा ट्रॉय, मिशिगन में स्थित पॉपुलस ग्रुप कार्यक्रम की आवश्यकताओं के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए पिछले और वर्तमान पेरोल रिकॉर्ड की समीक्षा करेगा. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सभी 594 एच -1 बी कर्मचारियों को उनका वेतन वापस मिल जाएगा.
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वेज एंड ऑवर डिस्ट्रिक्ट के डायरेक्टर टिमोलिन मिशेल ने कहा, "एच -1 बी फॉरेन लेबर सर्टिफिकेशन प्रोग्राम का उद्देश्य अमेरिकी कंपनियों को जरूरत पड़ने पर उच्च कुशल प्रतिभा खोजने में मदद करना है, तब जब वे साबित कर सकें कि मौजूदा अमेरिकी कर्मचारियों में ऐसे लोगों की कमी है."
उन्होंने कहा, "इस मामले पर विचार करना अमेरिकी नौकरियों की सुरक्षा के लिए हमारी प्रतिबद्धता और कानून का पालन करने वाले नियोक्ताओं को काम करने के लिए दिए गए मौकों के स्तर को दर्शाता है. इसका उद्देश्य यह भी सुनिश्चित करना है कि किसी को कम भुगतान तो नहीं किया जा रहा है, क्योंकि उन्हें कानूनी रूप से लिया गया है"
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यह कानून कुछ निश्चिचत मानकों की स्थापना करता है ताकि समान रूप से कार्यरत अमेरिकी कर्मचारियों को गैर-आप्रवासी कर्मचारियों और एच -1 बी गैर-अप्रवासी कर्मचारियों के रोजगार से उत्पन्न प्रतिकूल प्रभाव से बचाया जा सके.
नियोक्ता को विभाग को इस बात का प्रमाण देना होता है कि वे एच-1 बी वीजा धारक गैर-अप्रवासी कर्मचारियों को कम से कम उनके बराबर ही मजदूरी या वेतन देंगे जितने कि नियोक्ता बराबर की योग्यता और अनुभव रखने वाले अन्य कर्मचारियों को देते है. इसका उद्देश्य किसी रोजगार या व्यवसाय के क्षेत्र में जायज मजदूरी और जो अधिक से अधिक हो उसे निर्धारित करना है.
बता दें एच-1बी वीजा भारतीय आईटी प्रफेशनल्स में खासा चर्चित है. यह एक गैर-अप्रवासी वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को सैद्धांतिक और तकनीकी विशेषज्ञता वाले कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है.
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