प्रतीकात्मक फोटो
वाशिंगटन:
भारत की विशिष्ट पहचान पत्र वाली ‘आधार’ योजना की सफलता से विश्व बैंक काफी प्रभावित है। वह इसके अनुभवों का लाभ अफ्रीकी महाद्वीप सहित अन्य देशों में पहुंचाने का विकल्प तलाश रहा है। यह जानकारी यहां भारत के एक शीर्ष अधिकारी ने दी।
अन्य देशों में रणनीतियां बनाने में उपयोग की मंशा
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के महानिदेशक डॉ अजय भूषण पांडे ने कहा , ‘यहां लोग (विश्व बैंक में) आधार के बड़े प्रशंसक हैं। वे ऐसे विकल्प तलाश रहे हैं कि अन्य देशों को उनकी रणनीतियां बनाने में आधार के अनुभवों के उपयोग करने की सलाह दे सकें।’ पांडे यहां विश्व बैंक के अधिकारियों के साथ कई बैठकें करने के लिए यहां आए थे। इन बैठकों में उन्होंने आधार के संबंध में अपनी बातें रखीं। इसके अलावा उन्होंने उन देशों के प्रतिनिधियों से भी विमर्श किया जो ‘आधार’ को अपने यहां लागू करना चाहते हैं।
प्रत्येक आधार कार्ड पर खर्च एक डॉलर से भी कम
अपनी प्रस्तुति में उन्होंने बताया कि कैसे आधार का प्रयोग विभिन्न तरह के सब्सिडी कार्यक्रमों के लिए किया जा रहा है और इससे सरकार के धन की बचत हुई है। उन्होंने कहा कि आधार के तहत अब एक अरब से भी ज्यादा लोगों की ऑनलाइन पहचान है। इसके अलावा एक आधार कार्ड को जारी करने का खर्च एक डॉलर से भी कम है। इसके अलावा इसका प्रयोग कभी भी, कहीं भी बिना किसी टोकन के किया जा सकता है। इसके ढेर सारे प्रयोग हैं। इसके अलावा आधार से दरवाजे तक बैंकिंग व्यवस्था पहुंची है, सब्सिडियों का सीधा हस्तांतरण संभव हुआ है जिससे सरकार को अरबों डॉलर की बचत हुई है।
उन्होंने बताया कि कई अफ्रीकी देशों के लिए यह काफी आकर्षक है। वह भी ऐसी ही व्यवस्था को अपनाकर अपने नागरिकों को एक पहचान पत्र जारी करना चाहते हैं। इस तरह से वह काफी धन बचाने में सक्षम हो सकेंगे साथ ही अपने सब्सिडी कार्यक्रमों को प्रभावी रूप से लागू कर सकेंगे।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
अन्य देशों में रणनीतियां बनाने में उपयोग की मंशा
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के महानिदेशक डॉ अजय भूषण पांडे ने कहा , ‘यहां लोग (विश्व बैंक में) आधार के बड़े प्रशंसक हैं। वे ऐसे विकल्प तलाश रहे हैं कि अन्य देशों को उनकी रणनीतियां बनाने में आधार के अनुभवों के उपयोग करने की सलाह दे सकें।’ पांडे यहां विश्व बैंक के अधिकारियों के साथ कई बैठकें करने के लिए यहां आए थे। इन बैठकों में उन्होंने आधार के संबंध में अपनी बातें रखीं। इसके अलावा उन्होंने उन देशों के प्रतिनिधियों से भी विमर्श किया जो ‘आधार’ को अपने यहां लागू करना चाहते हैं।
प्रत्येक आधार कार्ड पर खर्च एक डॉलर से भी कम
अपनी प्रस्तुति में उन्होंने बताया कि कैसे आधार का प्रयोग विभिन्न तरह के सब्सिडी कार्यक्रमों के लिए किया जा रहा है और इससे सरकार के धन की बचत हुई है। उन्होंने कहा कि आधार के तहत अब एक अरब से भी ज्यादा लोगों की ऑनलाइन पहचान है। इसके अलावा एक आधार कार्ड को जारी करने का खर्च एक डॉलर से भी कम है। इसके अलावा इसका प्रयोग कभी भी, कहीं भी बिना किसी टोकन के किया जा सकता है। इसके ढेर सारे प्रयोग हैं। इसके अलावा आधार से दरवाजे तक बैंकिंग व्यवस्था पहुंची है, सब्सिडियों का सीधा हस्तांतरण संभव हुआ है जिससे सरकार को अरबों डॉलर की बचत हुई है।
उन्होंने बताया कि कई अफ्रीकी देशों के लिए यह काफी आकर्षक है। वह भी ऐसी ही व्यवस्था को अपनाकर अपने नागरिकों को एक पहचान पत्र जारी करना चाहते हैं। इस तरह से वह काफी धन बचाने में सक्षम हो सकेंगे साथ ही अपने सब्सिडी कार्यक्रमों को प्रभावी रूप से लागू कर सकेंगे।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
आधार कार्ड, आधार योजना, विश्व बैंक, अफ्रीकी देशों में उपयोग, भारत के अनुभव, UID Adhaar, Adhar Scheme, World Bank, Affrica