श्रीलंकाई राष्ट्रपति के चुनाव में महिंदा राजपक्षे को हराकर श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति बनने जा रहे मैथ्रिपाला सिरिसेना चुनाव से पहले तक राजपक्षे के सहयोगी थे। उनकी पार्टी श्रीलंका फ्रीडम पार्टी राजपक्षे के साथ थी, लेकिन चुनाव में राजपक्षे को हराने के बाद वे श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति बन रहे हैं। उनके बारे में दस बातें जानिए।
1. 63 साल के मैथ्रिपाला सिरिसेना महिंदा राजपक्षे के मंत्रीमंडल में स्वास्थ्य मंत्री थे। बीते नवंबर वे पाला बदलकर विपक्षी दलों में शामिल हुए। उन्होंने राजपक्षे के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया और संविधान में सुधार का वादा किया।
2. चुनाव प्रचार के दौरान महिंदा राजपक्षे ने मैथ्रिपाला सिरिसेना पर धोखा देने का आरोप लगाया, तब मैथ्रिपाला ने श्रीलंकाई जनता को राजपक्षे के परिवार के शासन से छुटकाने दिलाने का भरोसा दिलाया था। इतना ही नहीं, मैथ्रिपाला ने सरकार में आने पर संसदीय लोकतंत्र की बहाली और पुलिस और प्रशासन में सुधार का वादा किया है।
3. मैथ्रिपाला सिरिसेना आर्थिक नजरिये से मुक्त बाजार के समर्थक माने जाते हैं और निवेश को प्राथमिकता देने वाली नीतियों के पक्षधर रहे हैं, लेकिन अल्पसंख्यकों के अधिकार और श्रीलंका में चल रहे जातीय संघर्ष के बारे में उनकी अब तक कोई स्पष्ट राय नहीं दिखी है।
4. मैथ्रिपाला सिरिसेना श्रीलंका के सिंहली और बौद्ध समुदाय में खासे लोकप्रिय रहे हैं। श्रीलंका की करीब 2.1 करोड़ आबादी में 70 फीसदी हिस्सा इन्ही दोनों समुदाय का है।
5. मैथ्रिपाला सिरिसेना काफी साफ सुथरी छवि वाले नेता हैं। बतौर स्वास्थ्य मंत्री वे शराब और ध्रूमपान का भी हमेशा विरोध करते रहे।
6. जब श्रीलंका की सरकार ने 2009 में पूरी तरह से लिट्टे का सफाया किया था, तब मैथ्रिपाला सिरिसेना ही श्रीलंका के रक्षा मंत्री थे।
7. मैथ्रिपाला सिरिसेना हमेशा लिट्टे के निशाने पर रहे। लिट्टे के विद्रोहियों ने उन पर कम से कम पांच बार जानलेवा हमला किया।
8. सिरिसेना मूल रूप से खेती किसानी वाले सिंहली परिवार से संबंधित हैं हालांकि उनके पिता द्वितीय विश्वयुद्ध में हिस्सा लेने वाली सेना में शामिल थे।
9. मैथ्रिपाला सिरिसेना 1989 से पहले तक श्रीलंका में सरकारी कर्मचारी भर थे, लेकिन श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के टिकट पर वे पोलोनारुवा के पूर्वी जिले से चुनाव जीतकर पहली बार श्रीलंकाई संसद में पहुंचे।
10. मैथ्रिपाला सिरिसेना मार्क्सवादी राजनीति से भी प्रभावित रहे हैं। उन्हें मार्क्सवादियों के एक विद्रोह में हिस्सा लेने के आरोप 1971 में गिरफ्तार कर 15 महीने के लिए जेल में भेजा गया था।
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