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पनामा का कंट्रोल अपने हाथ में लेंगे ट्रंप! पढ़ें अमेरिका को महाशक्ति की पावर देने वाली नहर की कहानी

पनामा नहर का निर्माण अमेरिका की मदद से 1914 में पूरा हुआ. यह अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ता है.

पनामा का कंट्रोल अपने हाथ में लेंगे ट्रंप! पढ़ें अमेरिका को महाशक्ति की पावर देने वाली नहर की कहानी
नई दिल्ली:

पनामा नहर (Panama Canal) एक मानव निर्मित जलमार्ग है जो पनामा नामक मध्य अमेरिकी देश में बनाया गया है. यह नहर अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ती है, जिससे इन दो महासागरों के बीच समुद्री मार्ग का सीधा संपर्क स्थापित होता है. पनामा नहर को समुद्र मार्ग से यात्रा करने वाले जहाजों के लिए एक महत्वपूर्ण और समय बचाने वाला रास्ता माना जाता है, क्योंकि यह नहर जहाजों को दक्षिण अमेरिका (South America) के अंटार्कटिका क्षेत्र के चारों ओर लंबा सफर तय करने से बचाता है. पनामा नहर के माध्यम से हजारों जहाज अटलांटिक से पैसिफिक और पैसिफिक से अटलांटिक तक यात्रा करते हैं, जिससे व्यापार में तेजी आती है और माल परिवहन में समय की बचत होती है.

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पनामा नहर कब बना? 
पनामा नहर का विचार पहली बार 16वीं सदी में आया था जब स्पेन के खोजकर्ता, Vasco Núñez de Balboa ने देखा कि पनामा की भूमि दो महासागरों के बीच है. हालांकि, उस समय तकनीकी और संसाधनों की कमी के कारण नहर का निर्माण संभव नहीं था. 19वीं सदी में, फ्रांस के इंजीनियर फर्डिनेंड डी लेसेप्स ने पनामा में नहर बनाने की योजना बनाई. डी लेसेप्स वही इंजीनियर थे जिन्होंने स्वेज नहर का निर्माण किया था. फ्रांसीसी सरकार ने 1881 में पनामा नहर निर्माण की शुरुआत की, लेकिन कई कारणों से यह परियोजना विफल हो गई. 

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जब फ्रांसीसी परियोजना विफल हो गई, तब अमेरिका ने पनामा नहर परियोजना को अपने हाथ में लेने का निर्णय लिया. 1903 में पनामा ने कोलंबिया से स्वतंत्रता प्राप्त की और पनामा को एक नया राष्ट्र बना दिया. अमेरिका ने पनामा सरकार के साथ एक समझौता किया, जिसके तहत अमेरिका को पनामा में नहर बनाने और नियंत्रित करने का अधिकार मिला.

पनामा नहर से दुनिया को क्या-क्या लाभ हुए? 
नहर वैश्विक व्यापार, अर्थव्यवस्था और जीयो पॉलिटिक्स में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है. इसके निर्माण ने दुनिया में भर में व्यापार क्रांति लाने में मदद की. पनामा नहर ने अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ा, जिससे जहाजों को दक्षिण अमेरिका के केप हॉर्न (Cape Horn) के चारों ओर 13,000 किलोमीटर लंबी यात्रा नहीं करनी पड़ी. उदाहरण के तौर पर हम देख सकते हैं कि न्यूयॉर्क से सैन फ्रांसिस्को तक की दूरी 22,500 किलोमीटर से घटकर 9,500 किलोमीटर रह गई. छोटी दूरी के कारण ईंधन और समय की बचत हुई, जिससे शिपिंग लागत कम हुई और वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आई. 

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पनामा नहर न केवल व्यापार को आसान बनाती है, बल्कि यह विश्व अर्थव्यवस्था, रणनीतिक संतुलन, और पर्यावरणीय प्रभाव के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. 

  • पनामा नहर का पर्यटन और सांस्कृतिक महत्व है- यह हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करती है. दुनिया भर से लोग इसे देखने जाते हैं. 
  •  क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए है महत्वपूर्ण है- पनामा नहर ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दिया है.कई देश और कंपनियां नहर के संचालन, रखरखाव, और विस्तार में शामिल हैं.
  • सैन्य और रणनीतिक लाभ -दोनों विश्व युद्धों में पनामा नहर का उपयोग सैनिकों, उपकरणों और आपूर्ति को एक महासागर से दूसरे तक तेजी से पहुंचाने के लिए किया गया. शीत युद्ध के दौरान यह अमेरिका के लिए एक रणनीतिक ठिकाना था. 
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पनामा नहर के लिए अमेरिका ने क्यों इतनी जान लगा दी थी 
पनामा नहर के निर्माण ने विश्वस्तर पर व्यापार को आसान बना दिया. हालांकि इससे अमेरिका को सबसे अधिक फायदा हुआ.अमेरिका ने पनामा नहर का निर्माण कई कारणों से करवाया था, जो उसकी राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक जरूरतों से जुड़े थे. पनामा नहर के निर्माण का मुख्य उद्देश्य था कि अमेरिका और अन्य देशों के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और सैन्य संचालन को सुगम और तेज़ बनाया जा सके. 

  • पनामा नहर अटलांटिक महासागर और पैसिफिक महासागर के बीच एक सीधा जलमार्ग प्रदान करता है.
  • अमेरिका के लिए पनामा नहर का एक और महत्वपूर्ण कारण रणनीतिक सुरक्षा थी.
  • अमेरिका पनामा नहर के निर्माण के माध्यम से अपने राजनीतिक और सैन्य प्रभाव को दक्षिण और मध्य अमेरिका में बढ़ाना चाहता था.
  • 1903 में पनामा को कोलंबिया से स्वतंत्रता दिलवाने में अमेरिका ने मदद की थी, और इसके बदले पनामा ने अमेरिका को नहर बनाने का अधिकार दिया.
  • पनामा नहर से व्यापार बढ़ने से अमेरिका को भारी आर्थिक लाभ हुआ.अमेरिका के लिए यह न केवल एक व्यापारिक मार्ग था, बल्कि इससे उसे बड़े पैमाने पर राजस्व भी मिला.
  • अमेरिका ने नहर के निर्माण के बाद इसका इस्तेमाल करने वाले देशों से शुल्क लिया, जिससे अमेरिकी सरकार को महत्वपूर्ण आय प्राप्त हुई.
  • फ्रांस ने पनामा नहर बनाने का प्रयास किया था, लेकिन वह अपने प्रयासों में असफल हो गया. अमेरिका ने इसे पूरा कर अपनी ताकत दुनिया को दिखाया.
पनामा नहर अमेरिका की औद्योगिक और सामरिक शक्ति को बढ़ाने का प्रतीक है. यह अमेरिकी गौरव का प्रतीक है.

- थिओडोर रूजवेल्ट (अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति)

पनामा नहर का मैनेजमेंट कैसे होता है? 
पनामा नहर का मैनेजमेंट पनामा सरकार के अधीन एक स्वतंत्र सरकारी संस्था पनामा कैनाल अथॉरिटी (Panama Canal Authority - ACP) द्वारा किया जाता है. यह संस्था नहर के संचालन, रखरखाव, और विकास के सभी पहलुओं को नियंत्रित करती है. पनामा नहर का प्रबंधन, नीति निर्धारण से लेकर नहर की देखभाल और इसके साथ जुड़े व्यापारिक लेन-देन तक, सभी कार्यों में बहुत कुशलता से किया जाता है. नहर का मैनेजमेंट कई प्रमुख जिम्मेदारियों में बंटा हुआ है. 

  1. पनामा कैनाल अथॉरिटी (ACP)- पनामा कैनाल अथॉरिटी (ACP) पनामा नहर का मुख्य प्रबंधक और संचालनकर्ता है। यह एक सरकारी संस्था है जिसे पनामा सरकार द्वारा स्थापित किया गया था और इसका काम नहर के सुचारु संचालन और वित्तीय प्रबंधन को सुनिश्चित करना है.
  2. वित्तीय प्रबंधन और शुल्क संग्रह- पनामा नहर से जुड़ी आर्थिक गतिविधियां ACP के द्वारा नियंत्रित की जाती हैं. जब भी कोई जहाज नहर से गुजरता है, उसे एक टोल टैक्स देना होता है. ये शुल्क नहर के संचालन और रखरखाव के लिए उपयोग किए जाते हैं.
  3. राजनैतिक और कूटनीतिक पहलू -1999 में पनामा ने नहर का नियंत्रण अमेरिका से लिया, और इसके बाद से ACP पनामा सरकार की निगरानी में काम कर रहा है. नहर के नियंत्रण के बाद पनामा को अपने कूटनीतिक रिश्तों का भी ख्याल रखना पड़ता है, क्योंकि नहर एक अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग है और इसका उपयोग पूरी दुनिया के जहाजों के लिए होता है.

कैसा है पनामा नहर? 
पनामा नहर का निर्माण 1914 में हुआ और यह एक बड़ी इंजीनियरिंग उपलब्धि थी. नहर में कुल 3 मुख्य लॉक (गाटुन, मिराफ्लोरेस, और पेड्रोगल लॉक) हैं, जो इसे उच्च और निम्न जल स्तर के बीच संचालन में मदद करते हैं. जहाजों को इन लॉक के जरिए एक जलस्तर से दूसरे जलस्तर तक पहुंचाया जाता है. यह प्रक्रिया नहर में वाहनों के निर्बाध परिवहन को सुनिश्चित करती है. 

  • लंबाई और आकार- पनामा नहर की लंबाई लगभग 80 किलोमीटर (50 मील) है. यह नहर पनामा के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से में स्थित विभिन्न झीलों और जलमार्गों के माध्यम से जाती है, जैसे गाटुन झील. इन जलाशयों को नहर के संचालन में मदद करने के लिए तैयार किया गया है. 
  • तकनीकी उन्नति और विकास- पनामा नहर का प्रबंधन आज भी बहुत कुशलता से किया जाता है। 21वीं सदी में, नहर को और भी आधुनिक बनाने के लिए कई सुधार किए गए हैं, जैसे कि नहर के तीसरे लॉक का विस्तार (Third Set of Locks), जो बड़े जहाजों (जिसे "पानामैक्स" कहा जाता है) को नहर से गुजरने की अनुमति देता है.
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पनामा नहर के निर्माण में भारतीयों का भी बहा है पसीना
पनामा नहर के निर्माण में भारतीय मजदूरों का भी पसीना बहा है. पनामा नहर का निर्माण अमेरिका द्वारा 1904 से 1914 तक किया गया, और इस प्रक्रिया में कई देशों के श्रमिकों ने काम किया, जिनमें भारतीय श्रमिक भी शामिल थे.ब्रिटिश साम्राज्य के तहत भारत से श्रमिकों को पनामा भेजा गया था. इन श्रमिकों को "पनामा coolies" के नाम से जाना गया. वे मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप से थे, विशेष रूप से भारत, बांगलादेश, और पाकिस्तान से.पनामा नहर की खुदाई के दौरान भारतीय श्रमिकों ने कड़ी मेहनत की, जिसमें उन्हें कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा. कई श्रमिकों की इस दौरान मौत भी हो गयी. 

पनामा नहर की क्या चुनौती है?
तमाम फायदे के साथ ही पनामा नहर के कारण कई चुनौतियां भी दुनिया के सामने है. पनामा नहर सामरिक स्थिति इसे वैश्विक शक्तियों के बीच संघर्ष का केंद्र बना सकती है.चीन ने नहर के आसपास भारी निवेश किया है, जिससे अमेरिका चिंतित है। नहर क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अस्थिरता भू-राजनीतिक संघर्ष को बढ़ा सकती है.नहर के लॉक और चैनल सिस्टम को बनाए रखना महंगा और जटिल है. किसी भी तकनीकी गड़बड़ी से व्यापार में देरी हो सकती है. जिसका बड़ा नुकसान हो सकता है. 

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  • पनामा नहर का राजस्व पनामा की सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है, लेकिन इस धन का वितरण अक्सर विवादों और भ्रष्टाचार के मुद्दों से घिरा रहता है.
  • माल ढुलाई के लिए रेल, हवाई मार्ग, और पाइपलाइनों का उपयोग बढ़ रहा है, जो पनामा नहर पर निर्भरता को कम कर सकता है.
  • पनामा एक भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में स्थित है। भूकंप या अन्य प्राकृतिक आपदाएँ नहर के संचालन को बाधित कर सकती हैं.
  • नहर के रखरखाव और विस्तार के लिए भारी लागत की आवश्यकता होती है.नहर को लगातार अपग्रेड करना और बुनियादी ढांचे को बनाए रखना महंगा है. 

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