कोलम्बो:
जेनेवा में श्रीलंका विरोधी प्रस्ताव का भारत द्वारा समर्थन किए जाने के बाद कोलम्बो ने शनिवार को नई दिल्ली को चेतावनी दी कि उसे कश्मीर पर इस कदम के सम्भावित नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं।
सरकार के प्रवक्ता लक्ष्मण यापा अबेयवर्देना ने कहा कि कुछ देश या समूह श्रीलंका पर हुए इस मतदान को कश्मीर विवाद के सम्बंध में भारत के खिलाफ एक इसी तरह का प्रस्ताव लाने के लिए एक उदाहरण के रूप में पेश कर सकते हैं।
कार्यवाहक मीडिया मंत्री अबेयवर्देना ने एक सार्वजनिक सभा में कहा कि श्रीलंका, हालांकि इस बात से वाकिफ है कि भारत ने तमिल राजनीतिक दलों के भारी दबाव में यह कदम उठाया है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में गुरुवार को अमेरिका द्वारा लाए गए प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वाले 24 देशों में भारत का शामिल होना कोलम्बो के लिए अधिक निराशा की बात रही है। 15 देशों ने प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया और आठ देश मतदान के समय अनुपस्थित रहे।
राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने जहां प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों को चेतावनी दी है कि उन्हें आतंकवाद के खामियाजे भुगतने को लेकर चिंतित होना पड़ेगा।
लंकापेजडॉटकॉम ने राजपक्षे के हवाले से कहा है कि बाहरी ताकतों को देश की सम्प्रभुता को खतरा पैदा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
राजपक्षे ने शुक्रवार को संकल्प लिया कि उनकी सरकार देश के उत्तरी हिस्से में विकास और सुलह कार्यक्रमों को जारी रखेगी। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि उन्हें साजिशकर्ताओं, अवसरवादियों और देशद्रोहियों के बहकावे में नहीं आना चाहिए।
राजपक्षे ने 47 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका विरोधी प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वाले 15 देशों की उनके समर्थन के लिए तथा आठ देशों की मतदान में हिस्सा न लेने के लिए प्रशंसा की। लेकिन राजपक्षे सरकार के मंत्री मैत्रीपाला सिरिसेना ने कहा कि प्रस्ताव भारत द्वारा पेश संशोधनों के साथ पारित हुआ, ताकि संयुक्त राष्ट्र की संस्थाएं श्रीलंका के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न कर सकें।
सिरिसेना ने कहा कि इन संशोधनों ने यह सुनिश्चित कराया है कि सरकार की सहमति के बगैर कोई दखल नहीं किया जा सकता।
एक अन्य मंत्री डुल्लास अलहप्पेरुमा ने श्रीलंकाई जनता से आग्रह किया कि उन्हें प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए भारत से घृणा नहीं करनी चाहिए।
सरकार के प्रवक्ता लक्ष्मण यापा अबेयवर्देना ने कहा कि कुछ देश या समूह श्रीलंका पर हुए इस मतदान को कश्मीर विवाद के सम्बंध में भारत के खिलाफ एक इसी तरह का प्रस्ताव लाने के लिए एक उदाहरण के रूप में पेश कर सकते हैं।
कार्यवाहक मीडिया मंत्री अबेयवर्देना ने एक सार्वजनिक सभा में कहा कि श्रीलंका, हालांकि इस बात से वाकिफ है कि भारत ने तमिल राजनीतिक दलों के भारी दबाव में यह कदम उठाया है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में गुरुवार को अमेरिका द्वारा लाए गए प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वाले 24 देशों में भारत का शामिल होना कोलम्बो के लिए अधिक निराशा की बात रही है। 15 देशों ने प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया और आठ देश मतदान के समय अनुपस्थित रहे।
राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने जहां प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों को चेतावनी दी है कि उन्हें आतंकवाद के खामियाजे भुगतने को लेकर चिंतित होना पड़ेगा।
लंकापेजडॉटकॉम ने राजपक्षे के हवाले से कहा है कि बाहरी ताकतों को देश की सम्प्रभुता को खतरा पैदा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
राजपक्षे ने शुक्रवार को संकल्प लिया कि उनकी सरकार देश के उत्तरी हिस्से में विकास और सुलह कार्यक्रमों को जारी रखेगी। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि उन्हें साजिशकर्ताओं, अवसरवादियों और देशद्रोहियों के बहकावे में नहीं आना चाहिए।
राजपक्षे ने 47 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका विरोधी प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वाले 15 देशों की उनके समर्थन के लिए तथा आठ देशों की मतदान में हिस्सा न लेने के लिए प्रशंसा की। लेकिन राजपक्षे सरकार के मंत्री मैत्रीपाला सिरिसेना ने कहा कि प्रस्ताव भारत द्वारा पेश संशोधनों के साथ पारित हुआ, ताकि संयुक्त राष्ट्र की संस्थाएं श्रीलंका के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न कर सकें।
सिरिसेना ने कहा कि इन संशोधनों ने यह सुनिश्चित कराया है कि सरकार की सहमति के बगैर कोई दखल नहीं किया जा सकता।
एक अन्य मंत्री डुल्लास अलहप्पेरुमा ने श्रीलंकाई जनता से आग्रह किया कि उन्हें प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए भारत से घृणा नहीं करनी चाहिए।