लाहौर:
पाकिस्तान में शिया समुदाय की नई पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों की हत्याएं जारी रहीं तो वे सेना, जनरल के मुख्यालय, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आवासों का घेराव करेंगे।
मजलिस-ए-हदात-ए-मुस्लीमीन ने लाहौर स्थित मीनार ए पाकिस्तान मैदान पर कल विशाल रैली आयोजित करके घोषणा की कि अगर शियाओं की हत्याएं जारी रहीं तो बड़ा विरोध प्रदर्शन होगा।
नेताओं ने कहा कि पिछले तीन महीनों के दौरान कम से कम 60 शियाओं की हत्याएं हुई हैं जिसमें ज्यादातर अशांत बलूचिस्तान प्रांत में हुईं। उन्होंने कहा कि अगर उनके खिलाफ हिंसा जारी रहती है तो वे सेना के जनरल मुख्यालय, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आवासों का घेराव करेंगे।
जनसभा को संबोधित करते हुए इस नई पार्टी के प्रमुख आलम नसीर अब्बास जाफरी ने कहा कि पाकिस्तान के शिया अपने धार्मिक और राजनीतिक अधिकारों के लिए एक मंच पर एकत्रित हुए हैं।
उन्होंने चेताया कि अगर सुरक्षा एजेंसियां इन तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहती हैं तो वे खुद आतंकवादियों और हत्यारों का मुकाबला करेंगे।
जाफरी ने आरोप लगाया कि अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावास पाकिस्तान में आतंकवाद के असली केन्द्र हैं। उन्होंने दावा किया कि जब तक इन केन्द्रों को बंद नहीं किया जाता, पाकिस्तान में ‘आतंकवाद और हत्याएं’ जारी रहेंगी।
जाफरी ने कहा, ‘‘अगर शासक पाकिस्तान से अमेरिकियों को बाहर नहीं करते, तो शिया खुद यह काम करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि शिया समुदाय ने ईरान, लेबनान, इराक और सीरिया में अमेरिका और इस्राइल को मात दी है और अब वे पाकिस्तान में यह काम करेंगे।
वर्ष 1987 में आलम आरिफ हुसैन अल हुसैनी द्वारा आयोजित रैली के बाद मीनार ए पाकिस्तान मैदान पर शियाओं की यह दूसरी सबसे बड़ी रैली थी।
जनसभा में पुरुष, महिला और बच्चे सभी शामिल थे जो पूरे देश से शामिल होने के लिए 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में यहां आए थे। इस दौरान कुछ लोग बेहोश हो गये जबकि कुछ लोगों को चिकित्सकीय मदद दी गई।
मजलिस-ए-हदात-ए-मुस्लीमीन ने लाहौर स्थित मीनार ए पाकिस्तान मैदान पर कल विशाल रैली आयोजित करके घोषणा की कि अगर शियाओं की हत्याएं जारी रहीं तो बड़ा विरोध प्रदर्शन होगा।
नेताओं ने कहा कि पिछले तीन महीनों के दौरान कम से कम 60 शियाओं की हत्याएं हुई हैं जिसमें ज्यादातर अशांत बलूचिस्तान प्रांत में हुईं। उन्होंने कहा कि अगर उनके खिलाफ हिंसा जारी रहती है तो वे सेना के जनरल मुख्यालय, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आवासों का घेराव करेंगे।
जनसभा को संबोधित करते हुए इस नई पार्टी के प्रमुख आलम नसीर अब्बास जाफरी ने कहा कि पाकिस्तान के शिया अपने धार्मिक और राजनीतिक अधिकारों के लिए एक मंच पर एकत्रित हुए हैं।
उन्होंने चेताया कि अगर सुरक्षा एजेंसियां इन तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहती हैं तो वे खुद आतंकवादियों और हत्यारों का मुकाबला करेंगे।
जाफरी ने आरोप लगाया कि अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावास पाकिस्तान में आतंकवाद के असली केन्द्र हैं। उन्होंने दावा किया कि जब तक इन केन्द्रों को बंद नहीं किया जाता, पाकिस्तान में ‘आतंकवाद और हत्याएं’ जारी रहेंगी।
जाफरी ने कहा, ‘‘अगर शासक पाकिस्तान से अमेरिकियों को बाहर नहीं करते, तो शिया खुद यह काम करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि शिया समुदाय ने ईरान, लेबनान, इराक और सीरिया में अमेरिका और इस्राइल को मात दी है और अब वे पाकिस्तान में यह काम करेंगे।
वर्ष 1987 में आलम आरिफ हुसैन अल हुसैनी द्वारा आयोजित रैली के बाद मीनार ए पाकिस्तान मैदान पर शियाओं की यह दूसरी सबसे बड़ी रैली थी।
जनसभा में पुरुष, महिला और बच्चे सभी शामिल थे जो पूरे देश से शामिल होने के लिए 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में यहां आए थे। इस दौरान कुछ लोग बेहोश हो गये जबकि कुछ लोगों को चिकित्सकीय मदद दी गई।
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