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This Article is From Mar 21, 2012

रूस में गीता पर बैन की मांग वाली याचिका खारिज

रूस में गीता पर बैन की मांग वाली याचिका खारिज
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Summary is AI generated, newsroom reviewed.
रूस की एक अदालत ने विवादों में घिरी इस्कॉन के संस्थापक स्वामी प्रभुपाद के ग्रंथ 'गीता एज इट इज' पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है।
मॉस्को: रूस की एक अदालत ने गीता के अनुवादित संस्करण पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया। इससे दुनिया भर में गीता के अनुयायी खुश हैं।

फैसले के तुरंत बाद मॉस्को इस्कॉन के संधु प्रिय दास ने कहा, ‘‘साइबेरियाई शहर तोमस्क की अदालत ने याचिका खारिज कर दी है।’’ तोमस्क के सरकारी अभियोजकों ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की थी। निचली अदालत ने अभियोजकों की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें ‘भगवद गीता’ पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया गया था। इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा :इस्कॉन: के एसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने ‘भगवद गीता एज इट इज’ नाम से लिखा है।
उन लोगों का दावा है कि पुस्तक उग्रवाद को बढ़ावा देने वाला साहित्य है जिसमें नफरत की बात कही गई है। यह उन लोगों का अपमान है जो सामाजिक विसंगति के विरोधी हैं। फैसले से खुश दास ने कहा कि तोमस्क ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है।

उन्होंने कहा कि जैसे ही अदालत ने फैसला सुनाया, वहां मौजूदा लोग खुशी से झूम उठे। दास ने कहा, ‘‘हम रूस के न्यायिक प्रणाली के शुक्रगुजार हैं।’’ इस्कॉन ने निदेशक (मीडिया कम्युनिकेशन) ब्रजेन्द्र नंदन दास ने फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘‘हम जीत गए। पुस्तक पर प्रतिबंध लगाने की याचिका खारिज हो गई है।’’ तोमस्क की निचली अदालत ने पिछले वर्ष 28 दिसंबर को गीता पर प्रतिबंध की मांग करने वाली याचिका खारिज की थी। भारत ने उस समय फैसले का स्वागत करते हुए कहा था कि यह संवेदनशील मुद्दे का सतर्क समाधान है। जून 2010 में दायर मूल याचिका में गीता के अनुवादित संस्करण पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया गया था। मामले की सुनवाई को लेकर दुनिया भर में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी।

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