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This Article is From Mar 21, 2022

Explainer: PM Modi कैसे Putin के खिलाफ बोलने के दबाव से बच रहे हैं Ukraine-Russia युद्ध के बाद?

Ukraine War: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार पर खासकर अपने क्वाड (QUAD) सहयोगियों, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का दबाव भी है कि वो रूस (Russia) को सीजफायर के लिए मनाने में मदद करे.

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Explainer: PM Modi कैसे Putin के खिलाफ बोलने के दबाव से बच रहे हैं Ukraine-Russia युद्ध के बाद?
Ukraine War के बाद PM Modi पर है Putin की आलोचना का दवाब : रिपोर्ट | (File Photo)

यूक्रेन (Ukraine) पर हमले के बाद रूस (Russia) को वैश्विक मंच पर अलग-थलग करने की पश्चिमी देश पूरी कोशिश कर रहे हैं, और भारत (India) पर भी दबाव है कि वो सार्वजनिक तौर पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (Vladimir Putin) की आलोचना करे. लेकिन भारत अब तक व्लादिमिर पुतिन की आलोचना का दबाव टालता रहा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार पर खासकर अपने क्वाड (QUAD) सहयोगियों, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का दबाव भी है कि वो रूस को सीजफायर के लिए मनाने में मदद करे.

दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से शनिवार को मुलाकात के बाद जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने अपील करते हुए कहा था कि ऐसे समय में जब पुतिन के युद्ध ने "वैश्विक व्यवस्था को हिला दिया" है,  लोकतंत्रों के बीच अधिक सहयोग होना चाहिए.  प्रधानमंत्री मोदी ने इसके उलट केवल आर्थिक संकट पर ही बात रखी. प्रधानमंत्री मोदी की सोमवार को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन से बात होनी है, जबकि अमेरिका के राजनैतकि मामलों की उपमंत्री विक्टोरिया नुलैंड एक हफ्ते के आखिर में भारत यात्रा पर आ सकती हैं. इन्होंने यूक्रेन को लेकर अमेरिकी प्रतिक्रिया में अहम भूमिका निभाई है.  

भारत-रूस और हथियार 

भारत, रूसी हथियारों का सबसे बड़ा खरीददार है. भारत की योजना है कि वो चीन की बढ़ती सैन्य ताकत का हवाला देकर रूस को लेकर आ रहे दबाव से निपटे. भारत का कहना होगा कि रूस से हथियार खरीदना भारत के लिए ज़रूरी है क्योंकि उसके पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी हैं.  मोदी सरकार यह भी कहेगी कि रूसी हथियारों के विकल्प बहुत महंगे हैं. स्तिथी से वाकिफ लोगों ने नाम ना बताने की शर्त पर यह जानकारी दी है.  

भारत रूस में बने 250  Su-30 MKi फाइटर जेट्स प्रयोग कर रहा है. भारत के पास सात Kilo-class पनडुब्बियां हैं और रूस में बने  1,200 से अधिक T-90 टैंक भी हैं. यह सभी भारत दशकों से प्रयोग कर रहा है. रूस से हथियार खरीदने की योजना में करीब $10 बिलियन डॉलर के हथियार तंत्र हैं. इसमें भारत को एक परमाणु पनडुब्बी लीज़ पर दी जानी है और S-400 एयर डिफेंस सिस्टम दिया जाना है.  भारत के रक्षा मंत्रालय ने काम के समय के बाहर इस पर टिप्पणीं करने से मना कर दिया.  

यूक्रेन युद्ध और रूस पर भरोसा 

काउंसिल ऑन फारेन रिलेशन्स में भारत, पाकिस्तान और साउथ एशिया के मामलों पर सीनियर फेलो मंजरी चटर्जी कहती हैं, "हथियारों की खरीद में विविधता लाने के प्रयासों के बावजूद, भारत में अब भी करीब 70% सैन्य हार्डवेयर रूसी है. भारत को अपने हथियारों के पुर्जों के लिए उनके रखरखाव के लिए और उन्हें उन्नत बनाने कि लिए अब भी रूस पर भरोसा करना होगा."

सभी रूसी हथियारों को बदलने की कीमत बहुत बड़ी है. साल 2021-22 के लिए भारत का पूरा रक्षा बजट $70 बिलियन का है, और पुराने रूसी फाइटर जेट्स को बदलने में $15 बिलियन लगने हैं और  114 फाइटर जेट्स खरीदने में $18 बिलियन लगने हैं. अपने हवाई बेड़े को मजबूत करने की यह योजना लंबे समय से टल रही है.  

ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल रिलेशन्स के प्रोफेसर इयान हॉल कहते हैं," नई दिल्ली के पास एयर डिफेंस प्लैटफॉर्म जैसे मिलिट्री सिस्टम को बदलने के लिए कम विकल्प हैं." 

भारत ने यूक्रेन और रूस के बीच सीज़फायर करने और कूटनीतिक हल निकालने की अपील की है लेकिन संयुक्त राष्ट्र में रूसी आक्रमण की निंदा पर वोट से भारत ने दूरी बना ली थी. इसे आखिरकार रूस ने वीटो कर दिया था. अभी तक अमेरिका और उसके सहयोगी देश भारत के साथ खुलेआम विवाद से बच रहे हैं. पुतिन के आक्रमण के बाद क्वाड लीडर्स के ज्वाइंट स्टेटमेंट में भी रूस की निंदा नहीं की जा सकी.   

भारत-अमेरिका संबंध 

मोटे तौर पर ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत चीन से निपटने में अमेरिका का अहम भागीदार है. खासकर गलवान घाटी के झड़प के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने चीन से लगती सीमा पर और अधिक सैनिक और रूसी हथियारों को तैनात किया था.  भारत ने चीनी कंपनियों को निवेश पर लगाम लगाने के लिए अपने कानून में भी बदलाव किया है. भारत ने चीन से जुड़े 300 मोबाइल एप्स को बैन किया है और चीनी व्यापारियों के लिए वीजा में भी कटौती की है.  

अमेरिका में ब्यूरो ऑफ साउथ एंड सेंट्रल एशियन अफेयर्स के उप सचिव डोनाल्ड लू से जब पूछा गया कि क्या भारत पर रूसी हथियार खरीदने के लिए प्रतिबंध लग सकता है तो उन्होंने कहा था कि, " भारत अब हमारा बेहद ख़ास सुरक्षा सहयोगी है. हम अपनी साझेदारी का मूल्य समझते हैं." साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत ने हाल ही में रूस के मिग-29 फाइटर जेट्स , हैलीकॉप्टर्स और एंटी टैंक हथियारों की खरीद पर विराम लगाया है.  

भारत यह भी नहीं चाहता है कि रूस पाकिस्तान के और करीब हो जाए. अगर मोदी सरकार व्लादिमिर पुतिन पर दबाव बनाने में अमेरिका और सहयोगी देशों का साथ देती है तो ऐसा हो सकता है. भारत और पाकिस्तान ने तीन युद्ध लड़े हैं और भारत-पाकिस्तान की सेनाएं हाई अलर्ट पर रहती हैं.  

काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स से मिलर कहते हैं," इसके बावजूद भारत के लिए अमेरिका और दूसरे क्वाड सहयोगियों को नाराज किए बिना "असल निरपेक्ष स्तिथी" बनाए रखना  मुश्किल होगा क्योंकि रूस नई दिल्ली को "मूक समर्थक" के तौर पर देखता है.  


यह भी देखें:- यूक्रेन का सरेंडर से इंकार 

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