
सोल:
उत्तर कोरिया ने आज अपना सर्वाधिक शक्तिशाली परमाणु परीक्षण किया। उत्तर कोरिया की इस कार्रवाई से उसके एकमात्र पक्षधर चीन सहित वैश्विक शक्तियां हतप्रभ हैं और इस कार्रवाई को उनकी अवज्ञा माना जा रहा है।
इस भूमिगत परीक्षण की संयुक्त राष्ट्र ने कड़ी निंदा करते हुए इसे ‘भर्त्सनीय’ बताया और कहा कि यह सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि यह ‘उकसावे की कार्रवाई से बचने के विश्व समुदाय के अनुरोध की भी अवज्ञा है।
साम्यवादी देश ने कहा है कि उसने भूमिगत विस्फोट कर तीसरा सफल परीक्षण किया है। उसका दावा है कि यह सफलता उसे नन्हे उपकरण से मिली। इससे पता चलता है कि वह बैलिस्टिक मिसाइल में परमाणु आयुध लगाने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ गया है।
उत्तर कोरिया की समाचार एजेंसी केसीएनए के परीक्षण की पुष्टि करने से करीब तीन घंटे पहले भूगर्भ विशेषज्ञों ने चीन की सीमा के समीप देश के पंगये..री परमाणु परीक्षण स्थल में एक तेज असामान्य झटके का पता लगा लिया था।
यह उत्तर कोरिया का तीसरा परमाणु परीक्षण है। इससे पहले वह वर्ष 2006 और वर्ष 2009 में परमाणु परीक्षण कर चुका है। इन परीक्षणों के बाद उस पर संयुक्त राष्ट्र ने कई प्रतिबंध भी लगाए। प्योंगयांग को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कई बार चेतावनी दी लेकिन वह उच्च स्तरीय परमाणु परीक्षण करने की धमकी देता रहा है।
तीसरे परीक्षण के बाद सुरक्षा परिषद की न्यूयार्क में जल्द ही आपात बैठक होगी।
इससे न सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दूसरे कार्यकाल के शुरू में ही सुरक्षा और कूटनीतिक चुनौती खड़ी होगी बल्कि क्षेत्रीय पड़ोसियों.. चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के लिए भी समस्या होगी। इन देशों में या तो नया नेतृत्व आ चुका है या आने वाला है।
संयुक्त राष्ट्र के एक राजनयिक ने बताया कि इस परीक्षण के बाद अमेरिकी या चीनी नेताओं की तत्काल प्रतिक्रिया नहीं आई लेकिन बीजिंग ने प्योंगयांग में युवा नेता किम जोंग उन के शासन के समक्ष अपनी नाखुशी साफ जाहिर कर दी है।
इस राजनयिक ने बताया कि चीन को जब लगा कि उत्तर कोरिया ऐसा परीक्षण जरूर करेगा तब उसने प्योंगयांग को परमाणु परीक्षण करने के खिलाफ स्पष्ट और कड़ी चेतावनी दी थी। राजनयिक ने इस परीक्षण को चीन के लिए बड़ी चुनौती करार दिया।
जापान और संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने इस परीक्षण की कड़ी निंदा की है। बान की मून के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा है कि ‘यह भर्त्सनीय है कि प्योंगयांग ने उकसावे की कार्रवाई से बचने के अंतरराष्ट्रीय समुदाय के आह्वान की अवज्ञा की। बयान में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव क्षेत्रीय स्थिरता को अस्थिर करने वाली और परमाणु अप्रसार के वैश्विक प्रयासों को कमजोर करने वाली इस कार्रवाई के नकारात्मक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं।
प्रवक्ता के अनुसार, बान ने उत्तर कोरिया से आगे कदम न बढ़ाने तथा कोरियाई प्राय:द्वीप को परमाणु खतरे से मुक्त करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया है।
बान ने यह विश्वास भी जताया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एकजुट रहेगी और समुचित कार्रवाई करेगी।
उत्तर कोरिया के इस तीसरे परीक्षण से दुनिया हतप्रभ रह गई है। व्हाइट हाउस से कोई त्वरित प्रतिक्रिया नहीं मिली है, लेकिन शीर्ष अमेरिकी खुफिया निकाय ने कहा कि उसे उत्तर कोरिया में विस्फोट के कारण हुई भूगर्भीय हलचल की जानकारी है।
इस बीच वियना स्थित समग्र परीक्षण प्रतिबंध संधि संगठन (कम्प्रेहेन्सिव टेस्ट बैन ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन..सीटीबीटीओ) ने कहा है कि उसे ऐसी असामान्य भूगर्भीय हलचल का पता चला है, जो परमाणु परीक्षण के कारण होने वाली हलचल जैसी है।
इस भूमिगत परीक्षण की संयुक्त राष्ट्र ने कड़ी निंदा करते हुए इसे ‘भर्त्सनीय’ बताया और कहा कि यह सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि यह ‘उकसावे की कार्रवाई से बचने के विश्व समुदाय के अनुरोध की भी अवज्ञा है।
साम्यवादी देश ने कहा है कि उसने भूमिगत विस्फोट कर तीसरा सफल परीक्षण किया है। उसका दावा है कि यह सफलता उसे नन्हे उपकरण से मिली। इससे पता चलता है कि वह बैलिस्टिक मिसाइल में परमाणु आयुध लगाने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ गया है।
उत्तर कोरिया की समाचार एजेंसी केसीएनए के परीक्षण की पुष्टि करने से करीब तीन घंटे पहले भूगर्भ विशेषज्ञों ने चीन की सीमा के समीप देश के पंगये..री परमाणु परीक्षण स्थल में एक तेज असामान्य झटके का पता लगा लिया था।
यह उत्तर कोरिया का तीसरा परमाणु परीक्षण है। इससे पहले वह वर्ष 2006 और वर्ष 2009 में परमाणु परीक्षण कर चुका है। इन परीक्षणों के बाद उस पर संयुक्त राष्ट्र ने कई प्रतिबंध भी लगाए। प्योंगयांग को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कई बार चेतावनी दी लेकिन वह उच्च स्तरीय परमाणु परीक्षण करने की धमकी देता रहा है।
तीसरे परीक्षण के बाद सुरक्षा परिषद की न्यूयार्क में जल्द ही आपात बैठक होगी।
इससे न सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दूसरे कार्यकाल के शुरू में ही सुरक्षा और कूटनीतिक चुनौती खड़ी होगी बल्कि क्षेत्रीय पड़ोसियों.. चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के लिए भी समस्या होगी। इन देशों में या तो नया नेतृत्व आ चुका है या आने वाला है।
संयुक्त राष्ट्र के एक राजनयिक ने बताया कि इस परीक्षण के बाद अमेरिकी या चीनी नेताओं की तत्काल प्रतिक्रिया नहीं आई लेकिन बीजिंग ने प्योंगयांग में युवा नेता किम जोंग उन के शासन के समक्ष अपनी नाखुशी साफ जाहिर कर दी है।
इस राजनयिक ने बताया कि चीन को जब लगा कि उत्तर कोरिया ऐसा परीक्षण जरूर करेगा तब उसने प्योंगयांग को परमाणु परीक्षण करने के खिलाफ स्पष्ट और कड़ी चेतावनी दी थी। राजनयिक ने इस परीक्षण को चीन के लिए बड़ी चुनौती करार दिया।
जापान और संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने इस परीक्षण की कड़ी निंदा की है। बान की मून के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा है कि ‘यह भर्त्सनीय है कि प्योंगयांग ने उकसावे की कार्रवाई से बचने के अंतरराष्ट्रीय समुदाय के आह्वान की अवज्ञा की। बयान में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव क्षेत्रीय स्थिरता को अस्थिर करने वाली और परमाणु अप्रसार के वैश्विक प्रयासों को कमजोर करने वाली इस कार्रवाई के नकारात्मक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं।
प्रवक्ता के अनुसार, बान ने उत्तर कोरिया से आगे कदम न बढ़ाने तथा कोरियाई प्राय:द्वीप को परमाणु खतरे से मुक्त करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया है।
बान ने यह विश्वास भी जताया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एकजुट रहेगी और समुचित कार्रवाई करेगी।
उत्तर कोरिया के इस तीसरे परीक्षण से दुनिया हतप्रभ रह गई है। व्हाइट हाउस से कोई त्वरित प्रतिक्रिया नहीं मिली है, लेकिन शीर्ष अमेरिकी खुफिया निकाय ने कहा कि उसे उत्तर कोरिया में विस्फोट के कारण हुई भूगर्भीय हलचल की जानकारी है।
इस बीच वियना स्थित समग्र परीक्षण प्रतिबंध संधि संगठन (कम्प्रेहेन्सिव टेस्ट बैन ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन..सीटीबीटीओ) ने कहा है कि उसे ऐसी असामान्य भूगर्भीय हलचल का पता चला है, जो परमाणु परीक्षण के कारण होने वाली हलचल जैसी है।
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