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This Article is From Mar 30, 2022

कुर्सी बचाने में जुटे इमरान खान, अपनी पार्टी के सांसदों को दी अविश्वास प्रस्ताव से दूर रहने की हिदायत

पाकिस्तान में अपनी कुर्सी बचाने की कोशिशों में जुटे प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी पार्टी के सांसदों को उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान वाले दिन अनुपस्थित रहने या उस दिन नेशनल असेंबली के सत्र में भाग नहीं लेने की सख्त हिदायत दी.

कुर्सी बचाने में जुटे इमरान खान, अपनी पार्टी के सांसदों को दी अविश्वास प्रस्ताव से दूर रहने की हिदायत
पाक इतिहास में आज तक कोई भी PM अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से बेदखल नहीं हुआ है.
इस्लामाबाद:

पाकिस्तान में अपनी कुर्सी बचाने की कोशिशों में जुटे प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी पार्टी के सांसदों को उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान वाले दिन अनुपस्थित रहने या उस दिन नेशनल असेंबली के सत्र में भाग नहीं लेने की सख्त हिदायत दी. जियो न्यूज की खबर के मुताबिक, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सांसदों को लिखे एक पत्र में प्रधानमंत्री खान ने कहा, ‘‘नेशनल असेंबली में पीटीआई (उनकी पार्टी) के सभी सदस्य मतदान से दूर रहें/उस दिन नेशनल असेंबली की बैठक में शामिल नहीं हों जब उक्त प्रस्ताव पर मतदान कराया जाएगा.''

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उन्होंने कहा कि सभी सदस्य पूरी तरह से उनके निर्देशों का पालन करें और ‘‘पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 63(ए) के प्रावधान के पीछे की मंशा'' को ध्यान में रखें. पाकिस्तान के इतिहास में आज तक किसी भी प्रधानमंत्री को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से बेदखल नहीं किया गया है और खान इस चुनौती का सामना करने वाले तीसरे प्रधानमंत्री हैं. पाकिस्तानी संसद के निचले सदन में इस प्रस्ताव पर बृहस्पतिवार को चर्चा होगी.

गृह मंत्री शेख राशिद ने बताया कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान अप्रैल के पहले सप्ताह में हो सकता है. नेशनल असेंबली के एक सत्र के दौरान सोमवार को विपक्षी दलों द्वारा खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद राशिद ताजा राजनीतिक स्थिति को लेकर यहां संघीय राजधानी में मीडिया को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘31 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी, उसके बाद तीन अप्रैल को मतदान होगा.''

उन्होंने दावा किया कि खान इसमें विजयी रहेंगे. उन्होंने अनुमान जताया कि अलग-थलग पड़े सभी सहयोगी खान के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन करने के लिए वापस आएंगे जैसा कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद (पीएमएल-क्यू) द्वारा पहले ही किया जा चुका है.

उन्होंने यह भी कहा कि सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और विपक्षी दलों द्वारा रविवार और सोमवार को अलग-अलग राजनीतिक रैलियां करने के बाद सभी सड़कों को खोल दिया गया है और शहर के एक हिस्से में कोई नाकेबंदी नहीं की गई है.

राशिद ने यह भी कहा कि राजधानी को एक बड़ी घटना से बचाते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने कम से कम चार आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है.

इस बीच, सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह देश के प्रधान न्यायाधीश के साथ एक ‘‘पत्र'' साझा करना चाहती है जिसे प्रधानमंत्री ने एक रैली में उन्हें सत्ता से बाहर करने के विदेशी ‘‘षडयंत्र'' के सबूत के तौर पर दिखाया था.

सूचना मंत्री फवाद चौधरी के साथ योजना मंत्री असम उमर ने संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि उन्होंने खुद पत्र देखा है और उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री खान प्रधान न्यायाधीश के साथ इसे साझा करने के लिए तैयार हैं.

उमर ने कहा कि यह पत्र आठ मार्च को प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सौंपने से पहले लिखा गया था लेकिन इसमें साफ तौर पर अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र है, जो चिंता की बात है। उन्होंने कहा, ‘‘तो यह स्पष्ट है कि विदेशी साजिश और अविश्वास प्रस्ताव का आपस में संबंध है. ये दोनों अलग चीजें नहीं हैं और हम उनके बीच में स्पष्ट जुड़ाव देखते हैं.''

बहरहाल, उन्होंने इसे विपक्ष के साथ साझा करने से इनकार कर दिया. लेकिन उन्होंने कहा कि पत्र शीर्ष असैन्य और सैन्य नेतृत्व तथा मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों के साथ साझा किया गया है.

उमर ने यह भी कहा कि लंदन में रह रहे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पत्र में उल्लेखित ‘‘किरदारों'' में से एक हैं.

सूचना मंत्री चौधरी ने दावा किया कि शरीफ ने इजराइली राजनयिकों के साथ बैठकें की थीं. उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैं कह रहा था कि उन्हें विदेश जाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि जब ऐसे लोग विदेश जाते हैं तो वे कठपुतली बन जाते हैं.''

वहीं, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) नेता एहसान इकबाल ने कहा, ‘‘अगर देश की सुरक्षा को विदेश से वाकई खतरा है, तो हम सरकार के साथ हैं.''

पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने सरकार से बुधवार को संसद का सत्र बुलाने और सांसदों के साथ पत्र साझा करने के लिए कहा. इससे पहले पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम), जिसमें पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-आई) एवं अन्य दल शामिल हैं, ने सोमवार रात इस्लामाबाद में श्रीनगर राजमार्ग पर एक बड़ी रैली का आयोजन किया.

पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) (पीएमएल-एन) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज और 26 मार्च को लाहौर से रैली शुरू करने वाले पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता हमजा शहबाज, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) और अन्य पीडीएम दलों के समर्थकों के साथ जुड़ने के लिए इस्लामाबाद पहुंचे.

पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ की बेटी मरियम ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए खान के धार्मिक कार्ड का इस्तेमाल करने को लेकर मौजूदा प्रधानमंत्री की आलोचना की.

प्रधानमंत्री खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी द्वारा उनके समर्थन में यहां एक विशाल रैली आयोजित करने के एक दिन बाद आयोजित विपक्षी दल की एक रैली में मरियम ने कहा, ‘‘मैं आपको चुनौती देती हूं कि आप अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दिन अपने साथ 172 सांसद लेकर आएं.''

उन्होंने सरकार द्वारा पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद पार्टी का समर्थन हासिल करने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार को दरकिनार करने का आरोप लगाया. मरियम ने कहा, ‘‘आपने अपनी सत्ता बचाने के लिए अपने सबसे भरोसेमंद आदमी (बुजदार) को दरकिनार कर दिया. हमने अपने पूरे जीवन में ऐसा एहसान फरामोश शख्स नहीं देखा.'' उन्होंने यह भी कहा कि खान ने उन्हें सत्ता से हटाने के लिए विदेशी साजिश का दावा किया है. मरियम ने एक दिन पहले रैली में एक फर्जी चिट्ठी दिखाने को लेकर खान को दोषी ठहराया.

उन्होंने कहा कि खान ने लोगों का विश्वास खो दिया है, जो हाल के महीनों में 16 में से 15 उपचुनावों में सत्ताधारी पार्टी की हार से साबित होता है. कई अन्य पीडीएम नेताओं ने भी सभा को संबोधित किया और उन्होंने अपनी रैली को धरने में बदलने की भी घोषणा की और कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होने तक उनके कार्यकर्ता डेरा डाले रहेंगे.

69 वर्षीय खान गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं और अगर कुछ सहयोगी दल गठबंधन से हटने का फैसला करते हैं तो उनकी सरकार गिर सकती है. पाकिस्तान की 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में खान की पार्टी के 155 सदस्य हैं और उसे सत्ता में बने रहने के लिए कम से कम 172 सांसदों के समर्थन की जरूरत है.

विपक्ष ने आठ मार्च को नेशनल असेंबली सचिवालय को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था. इस प्रस्ताव के मद्देनजर रैली का आयोजन किया गया था.

खान 2018 में ‘नया पाकिस्तान' बनाने के वादे के साथ सत्ता में आए थे, लेकिन वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने की बुनियादी समस्या को दूर करने में बुरी तरह विफल रहे, जिससे विपक्ष को उनकी सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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