Pegasus Case : भारत में सरकार की ऐसे बना परेशानी...10 बातों में जानें पूरी कहानी...

Pegasus Spyware Case: भारत (India) की सुप्रीम कोर्ट (SC) ने एक रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि पेगासस मामले (Pegasus Case) में  सरकार सहयोग नहीं कर रही है. पेगासस मामला केवल भारत ही नहीं दुनिया (World) के कई देशों में जांच का विषय बना हुआ है. 

Pegasus Case : भारत में सरकार की ऐसे बना परेशानी...10 बातों में जानें पूरी कहानी...

भारत सरकार (Indian Government) पर लगे हैं पेगासस (Pegasus Spyware) के ज़रिए जासूसी के आरोप (प्रतीकात्मक तस्वीर)

पेगासस (Pegasus) इज़रायल (Israel) का एक जासूसी सॉफ्टवेयर (Spyware) है. इसे इज़रायली कंपनी NSO ने तैयार किया.  इस सॉफ्टवेयर पर दुनिया भर में मास सर्विलेंस के हथियार (Weapon of Mass Surveillance) के तौर पर इस्तेमाल होने के आरोप लगे हैं.

Pegasus मामले की 10 बड़ी बातें

  1. साल 2020 में पेरिस स्थित गैर-लाभकारी मीडिया संस्था फॉरबिडन स्टोरीज (Forbidden Stories) के पास 50,000 नंबरों की एक लीक हुई लिस्ट पहुंची. दावा किया कि 2016 से इन नंबरों की दुनिया के अलग-अलग देशों में निगरानी की जा रही है. इस मामले की जांच इस संस्था ने शुरू की और इसे द पेगासस प्रोजेक्ट कहा गया.  

  2. फॉरबिडन स्टोरीज़ और एमनेस्टी इंटरनेशन ने मिल कर इस दावे की जांच शुरू की. इसे बाद में उन्होंने द वाशिंगटन पोस्ट, द गार्जियन और ले मोंडे सहित मीडिया संगठनों के साथ साझा किया.

  3. दुनिया के 21 अलग-अलग देशों में पत्रकारों के नंबर इस लिस्ट में मिले. इनमें से कई ने जनहित की महत्वपूर्ण स्टोरी कीं थीं और कुछ ने सरकार को अपनी रिपोर्टिंग के ज़रिए जिम्मेदार ठहराया था.

  4.  जून 2021 में फॉरबिडन स्टोरीज़ ने यह रिपोर्ट प्रकाशित की.  इसके बाद दुनिया में हड़कंप मच गया.  इनमें से कुछ नंबरों वाले फोनों की फॉरेंसिक लैब में यह पुष्टि हुई कि पेगासेस से उनके फोन की जासूसी हुई. रिपोर्ट में कहा गया कि इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए दुनिया भर के कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और राजनेताओं को निशाना बनाया गया जिससे कि गोपनीयता और अधिकारों के हनन की को बल मिलता है.

  5. भारत सहित कई देशों में पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों, नेताओं और अन्य लोगों की जासूसी करने के लिए कुछ सरकारों द्वारा कथित तौर पर एनएसओ समूह के पेगासस सॉफ्टवेयर के उपयोग की बात सामने आई. गोपनीयता संबंधी मुद्दों के लेकर चिंताएं पैदा हो गईं थीं. 

  6. 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' ने 'द बैटल फॉर द वर्ल्ड्स मोस्ट पावरफुल साइबरवेपन' शीर्षक वाली एक खबर में कहा कि इजराइली कंपनी एनएसओ ग्रुप लगभग एक दशक से इस दावे के साथ 'अपने निगरानी सॉफ्टवेयर को दुनिया भर में कानून-प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों को बेच' रहा था कि वह जैसा काम कर सकता है, वैसा कोई और नहीं कर सकता. खबर में जुलाई 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजराइल यात्रा का भी उल्लेख किया गया. यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली इजराइल यात्रा थी. 

  7. अमेरिका के दैनिक समाचार पत्र ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स' ने अपनी एक खबर में यह दावा किया कि इजराइली स्पाइवेयर पेगासस (Pegasus spyware ) और एक मिसाइल प्रणाली भारत-इजराइल के बीच 2017 में हुए लगभग दो अरब डॉलर के हथियार एवं खुफिया उपकरण सौदे के 'केंद्रबिंदु' थे. 

  8. इसके बाद विपक्ष ने मोदी सरकार को पेगासस मसले पर घेरा. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, "मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राज नेताओं व जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस ख़रीदा था. फ़ोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है. ये देशद्रोह है. मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है."

  9. न्यूज पोर्टल "द वायर" की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 142 से अधिक लोगों को इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए निशाना बनाया गया था. रिपोर्ट में बताया गया था कि एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब द्वारा कुछ सेलफोन की फोरेंसिक जांच में सुरक्षा में सेंध की पुष्टि हुई थी. जिन लोगों की कथित तौर पर जासूसी हुई थी.

  10.  उस लिस्ट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, दो मौजूदा केंद्रीय मंत्री, एक पूर्व चुनाव आयुक्त, सुप्रीम कोर्ट के दो रजिस्ट्रार, एक पूर्व जज का पुराना नंबर, एक पूर्व अटॉर्नी जनरल के करीबी सहयोगी और 40 पत्रकार शामिल हैं.