वाशिंगटन:
अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों के जखीरे और उनकी गुणवत्ता में लगातार सुधार कर रहा है। ऐसा सुधार वह भारत को लक्ष्य बनाकर कर रहा है और वह ऐसी स्थितियों को बढ़ावा दे सकता है, जिनमें इन परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया जा सके।
यह रिपोर्ट अमेरिकी कानून निर्माताओं के लिए कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने बनाई है। सीआरएस के अनुसार, पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम मुख्य रूप से भारत से खतरे की धारणा पर आधारित है। वह ऐसा दिखाने का प्रयास करता है कि वह भारत से डरा हुआ है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है, पाकिस्तान भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में संभावित वृद्धि से अपने बचाव के लिए परमाणु सामग्री के उत्पादन को बढ़ा रहा है। साथ ही वह परमाणु हथियारों को ले जाने वाले वाहनों की संख्या भी बढ़ा रहा है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस्लामाबाद परमाणु हथियारों के लिए अपने वर्तमान प्रयासों में और तेजी ला सकता है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने हमेशा से कहा है कि उसे एक न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता की ही जरूरत है, लेकिन उसने कभी इस प्रतिरोधक क्षमता को पूरी तरह परिभाषित नहीं किया है। भारत 'व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि' (सीटीबीटी) पर हस्ताक्षर करने से भी इनकार कर चुका है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी अधिकारी ऐसा कह चुके हैं कि भारत के परमाणु हथियारों में वृद्धि को देखते हुए पाकिस्तान सरकार को भी ऐसा ही करने की जरूरत पड़ सकती है। परमाणु हथियारों को प्रयोग करने की सीमा रेखा को संकुचित करने के साथ-साथ पाकिस्तान भारत के पारंपरिक सैन्य अभियानों के खिलाफ अपनी परमाणविक प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के लिए गैर-कूटनीतिक परमाणु हथियार भी तैयार कर सकता है।
23 जुलाई को जारी हुई इस रिपोर्ट में सीआरएस ने कहा है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के जखीरे में लगभग 90-110 एटमी हथियार हैं। हालांकि उसने इस जखीरे का आकार इससे ज्यादा बड़ा होने की भी संभावना जताई। सीआरएस ने कहा कि इस्लामाबाद ने कभी अपने परमाणु कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी है, लेकिन उसकी 'न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता' का अभिप्राय यही माना जाता है कि वह अपने खिलाफ भारत के किसी भी सैन्य अभियान को विफल कर सके।
यह रिपोर्ट अमेरिकी कानून निर्माताओं के लिए कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने बनाई है। सीआरएस के अनुसार, पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम मुख्य रूप से भारत से खतरे की धारणा पर आधारित है। वह ऐसा दिखाने का प्रयास करता है कि वह भारत से डरा हुआ है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है, पाकिस्तान भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में संभावित वृद्धि से अपने बचाव के लिए परमाणु सामग्री के उत्पादन को बढ़ा रहा है। साथ ही वह परमाणु हथियारों को ले जाने वाले वाहनों की संख्या भी बढ़ा रहा है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस्लामाबाद परमाणु हथियारों के लिए अपने वर्तमान प्रयासों में और तेजी ला सकता है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने हमेशा से कहा है कि उसे एक न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता की ही जरूरत है, लेकिन उसने कभी इस प्रतिरोधक क्षमता को पूरी तरह परिभाषित नहीं किया है। भारत 'व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि' (सीटीबीटी) पर हस्ताक्षर करने से भी इनकार कर चुका है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी अधिकारी ऐसा कह चुके हैं कि भारत के परमाणु हथियारों में वृद्धि को देखते हुए पाकिस्तान सरकार को भी ऐसा ही करने की जरूरत पड़ सकती है। परमाणु हथियारों को प्रयोग करने की सीमा रेखा को संकुचित करने के साथ-साथ पाकिस्तान भारत के पारंपरिक सैन्य अभियानों के खिलाफ अपनी परमाणविक प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के लिए गैर-कूटनीतिक परमाणु हथियार भी तैयार कर सकता है।
23 जुलाई को जारी हुई इस रिपोर्ट में सीआरएस ने कहा है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के जखीरे में लगभग 90-110 एटमी हथियार हैं। हालांकि उसने इस जखीरे का आकार इससे ज्यादा बड़ा होने की भी संभावना जताई। सीआरएस ने कहा कि इस्लामाबाद ने कभी अपने परमाणु कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी है, लेकिन उसकी 'न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता' का अभिप्राय यही माना जाता है कि वह अपने खिलाफ भारत के किसी भी सैन्य अभियान को विफल कर सके।
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