पाकिस्तान ने हाफिज सईद के संगठन जमात उद दावा को प्रतिबंधित आतंकी संगठन घोषित कर दिया है.
नई दिल्ली:
पाकिस्तान में हाफिज सईद को बड़ा झटका लगा है. उसके संगठन जमात-उद-दावा को आतंकी संगठन घोषित कर दिया गया है. गौरतलब है कि राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने एक ऐसे अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए हैं जिसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा प्रतिबंधित व्यक्तियों और लश्कर-ए-तैयबा, अल-कायदा तथा तालिबान जैसे संगठनों पर लगाम लगाना है. इस सूची में हाफिज सईद का संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) भी शामिल है.
अब तक पाकिस्तान जमात उद दावा जैसे संगठनों को बस आतंकी सूची में रखकर काम चला रहा था. कभी प्रतिबंध की बात करता था तो कभी उस पर आर्थिक तौर पर चंदा न लेने के लिए प्रतिबंध की बात करता था. लेकिन राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश पर हस्ताक्षर के बाद जमात उद दावा घोषित तौर पर आतंकी संगठन हो गया है. और इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी मानी जानी चाहिए कि पेरिस में फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक होने वाली है, जिसमें मनी लॉन्डरिंग जैसे मामलों को लेकर अलग-अलग देशों की निगरानी होती है. पाकिस्तान उससे पहले ख़ुद को पाक साफ़ दिखाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन ये भी माना जा रहा है कि पाकिस्तान का यह क़दम आंख में धूल झोंकने की कोशिश हो सकता है क्योंकि अध्यादेश कुछ समय बाद लैप्स कर सकता है क्योंकि उसकी अपनी समय सीमा होती है. लेकिन अगर पाकिस्तान उसे क़ानून में नहीं बदलता है तो फिर ये कुछ क्षणों के लिए आंख में धूल झोंकने जैसी बात होगी. सवाल यह भी है कि पाकिस्तान में आम चुनाव के पहले क्या कोई भी सरकार जमात-उद-दावा जैसे संगठन से पंगा लेगी जिसकी पैठ पूरे पंजाब में है.
यह भी पढ़ें : आतंकी हाफिज सईद ने पाकिस्तान सरकार को दी खुली चुनौती, आओ.. गिरफ्तार करो
'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के अनुसार अध्यादेश आतंकवाद निरोधक अधिनियम (एटीए) की एक धारा में संशोधन करता है और अधिकारियों को यूएनएससी द्वारा प्रतिबंधित व्यक्तियों और आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने, उनके कार्यालयों तथा बैंक खातों को सील किए जाने का अधिकार प्रदान करता है. सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक प्राधिकरण (एनएसीटीए) ने इस नए कदम की पुष्टि करते हुए कहा कि गृह मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री के साथ-साथ एनएसीटीए की आतंकवाद वित्तपोषण विरोधी (सीएफटी) इकाई इस मामले पर एक साथ मिलकर काम कर रही है.
राष्ट्रपति भवन में एक अधिकारी ने इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कहा कि कानून है लेकिन उन्होंने इस संबंध में विस्तृत जानकारी साझा करने से इनकार करते हुए कहा कि रक्षा मंत्रालय अधिसूचित प्राधिकरण है. अधिकारी ने कहा, ‘संबंधित मंत्रालय इसे अधिसूचित करेगा और इस पर प्रतिक्रिया देगा.’
VIDEO : हाफिज सईद की रिहाई से बेनकाब पाक
यूएनएससी की प्रतिबंधित सूची में अल-कायदा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, लश्कर-ए-झांगवी, जमात-उद-दावा, फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ), लश्कर-ए-तैयबा और अन्य शामिल हैं. पिछले वर्ष दिसम्बर में सरकार ने हाफिज सईद से संबंधित दो संगठनों जमात-उद-दावा और एफआईएफ पर नियंत्रण करने की योजना बनाई थी और ऐसा माना गया था कि इस संबंध में एक कार्ययोजना सौंपी गई है. वर्ष 2005 में यूएनएससी प्रस्ताव 1267 के तहत लश्कर-ए-तैयबा को एक प्रतिबंधित संगठन घोषित किया था.
(इनपुट भाषा से भी)
अब तक पाकिस्तान जमात उद दावा जैसे संगठनों को बस आतंकी सूची में रखकर काम चला रहा था. कभी प्रतिबंध की बात करता था तो कभी उस पर आर्थिक तौर पर चंदा न लेने के लिए प्रतिबंध की बात करता था. लेकिन राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश पर हस्ताक्षर के बाद जमात उद दावा घोषित तौर पर आतंकी संगठन हो गया है. और इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी मानी जानी चाहिए कि पेरिस में फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक होने वाली है, जिसमें मनी लॉन्डरिंग जैसे मामलों को लेकर अलग-अलग देशों की निगरानी होती है. पाकिस्तान उससे पहले ख़ुद को पाक साफ़ दिखाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन ये भी माना जा रहा है कि पाकिस्तान का यह क़दम आंख में धूल झोंकने की कोशिश हो सकता है क्योंकि अध्यादेश कुछ समय बाद लैप्स कर सकता है क्योंकि उसकी अपनी समय सीमा होती है. लेकिन अगर पाकिस्तान उसे क़ानून में नहीं बदलता है तो फिर ये कुछ क्षणों के लिए आंख में धूल झोंकने जैसी बात होगी. सवाल यह भी है कि पाकिस्तान में आम चुनाव के पहले क्या कोई भी सरकार जमात-उद-दावा जैसे संगठन से पंगा लेगी जिसकी पैठ पूरे पंजाब में है.
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'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के अनुसार अध्यादेश आतंकवाद निरोधक अधिनियम (एटीए) की एक धारा में संशोधन करता है और अधिकारियों को यूएनएससी द्वारा प्रतिबंधित व्यक्तियों और आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने, उनके कार्यालयों तथा बैंक खातों को सील किए जाने का अधिकार प्रदान करता है. सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक प्राधिकरण (एनएसीटीए) ने इस नए कदम की पुष्टि करते हुए कहा कि गृह मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री के साथ-साथ एनएसीटीए की आतंकवाद वित्तपोषण विरोधी (सीएफटी) इकाई इस मामले पर एक साथ मिलकर काम कर रही है.
राष्ट्रपति भवन में एक अधिकारी ने इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कहा कि कानून है लेकिन उन्होंने इस संबंध में विस्तृत जानकारी साझा करने से इनकार करते हुए कहा कि रक्षा मंत्रालय अधिसूचित प्राधिकरण है. अधिकारी ने कहा, ‘संबंधित मंत्रालय इसे अधिसूचित करेगा और इस पर प्रतिक्रिया देगा.’
VIDEO : हाफिज सईद की रिहाई से बेनकाब पाक
यूएनएससी की प्रतिबंधित सूची में अल-कायदा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, लश्कर-ए-झांगवी, जमात-उद-दावा, फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ), लश्कर-ए-तैयबा और अन्य शामिल हैं. पिछले वर्ष दिसम्बर में सरकार ने हाफिज सईद से संबंधित दो संगठनों जमात-उद-दावा और एफआईएफ पर नियंत्रण करने की योजना बनाई थी और ऐसा माना गया था कि इस संबंध में एक कार्ययोजना सौंपी गई है. वर्ष 2005 में यूएनएससी प्रस्ताव 1267 के तहत लश्कर-ए-तैयबा को एक प्रतिबंधित संगठन घोषित किया था.
(इनपुट भाषा से भी)
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