वाशिंगटन/इस्लामाबाद:
अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस्लामाबाद हालांकि अब यह साबित करने में लगा हुआ है कि उसे लादेन के ठिकाने के बारे में उसके मारे जाने तक कोई जानकारी नहीं थी। अफगानिस्तान युद्ध में पाकिस्तान पर निर्भरता के कारण अमेरिका इस्लामाबाद के खिलाफ तत्काल कोई कड़ा कदम भले न उठाए, लेकिन पाकिस्तान को यह साबित करने के लिए कई सवालों के जवाब देने होंगे कि उसे लादेन के ठिकाने के बारे में जानकारी नहीं थी। समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के अनुसार, जिस परिसर में अलकायदा सरगना लादेन मारा गया, वह एबटाबाद शहर में स्थित एक पाकिस्तानी सैन्य अकादमी से लगभग 100 मीटर की दूरी पर स्थित था। इससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या पाकिस्तानी सेना इस बात को नहीं जानती थी कि लादेन कहां छिपा हुआ है। अमेरिकी सीनेट की आर्म्ड सर्विसिस कमेटी के प्रमुख कार्ल लेविन ने वाशिंगटन में सोमवार को पत्रकारों से कहा, "परिसर स्थल, लादेन के वहां निवास करने की लम्बी अवधि और उस परिसर को लादेन के लिए परोक्ष रूप से निर्मित किए जाने को लेकर, निस्संदेह पाकिस्तानी अधिकारियों, सेना और खुफिया विभाग को ढेर सारे सवालों के जवाब देने हैं।" इस संदर्भ में पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने कहा है, "लादेन उस किसी भी स्थान पर नहीं था, जहां हमने उसके होने का अनुमान लगाया था।" इनकार हालांकि पाकिस्तान की पुरानी आदत है। भारत लम्बे समय से पाकिस्तानी धरती पर आतंकी ढांचों की मौजूदगी की बात करता रहा है, लेकिन पक्के सबूतों के बावजूद उसने हमेशा से ही इनकार किया है। बहरहाल, इस कार्रवाई पर अधिकारियों के विवादास्पद बयानों ने लादेन के मारे जाने में पाकिस्तानी खुफिया और सेना के योगदान के आकलन को कठिन बना दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा लादेन के मारे जाने की घोषणा किए जाने के बाद अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने वाशिंगटन में पत्रकारों से कहा था कि पाकिस्तानी अधिकारियों को इस कार्रवाई के बारे में सूचना नहीं दी गई थी। अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने बाद में सोमवार को कहा कि पाकिस्तानी विशेष सैनिकों के साथ घनिष्ठ सहयोग ने लक्ष्य तक पहुंचने में अमेरिका की मदद की। कुछ सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका ने सम्भवत: पाकिस्तान को इस सुनियोजित कार्रवाई के बारे में इसलिए नहीं बताया था, क्योंकि जानकारी लीक होने के बाद लादेन वहां से भाग सकता था। इस बात को राष्ट्रपति जरदारी ने भी स्वीकार किया है कि लादेन पर हमला संयुक्त कार्रवाई नहीं थी। लेकिन उन्होंने लादेन तक पहुंचने में पाकिस्तान के योगदान को रेखांकित किया है। समाचार पत्र 'वाशिंगटन पोस्ट' में 'पाकिस्तान डिड इट्स पार्ट' शीर्षक से प्रकाशित एक वैचारिक स्तम्भ में जरदारी ने कहा है, "यद्यपि रविवार की घटना कोई संयुक्त कार्रवाई नहीं थी, लेकिन अमेरिका और पाकिस्तान के बीच एक दशक के सहयोग और साझेदारी के परिणामस्वरूप ही लादेन का खात्मा सम्भव हो सका है।" जरदारी ने कहा है, "पाकिस्तान में हमें इस बात को लेकर कुछ संतोष है कि अल कायदा के एक पत्रवाहक की पहचान करने में हमारे शुरुआती सहयोग के कारण अंतत: यह दिन सम्भव हो सका है।" लादेन के मारे जाने के बाद अब एबटाबाद शहर स्थित उस विशाल हवेली के मालिक की तलाश की जा रही है, जहां लादेन छुपा हुआ था। यह हवेली पांच वर्ष पहले बनी थी। समाचार पत्र 'डॉन' ने स्थानीय निवासियों के हवाले से कहा है, "बिन लादेन और उसके परिवार के यहां होने के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी।" एक अधिकारी के अनुसार, इस हवेली को उच्च सुरक्षा जोन के करीब शायद इसीलिए बनाया गया था, ताकि इसे विदेशी खुफिया एजेंटों और इलेक्ट्रॉनिक चौकसी व ड्रोन से बचाया जा सके। एक विश्लेषक ने कहा है, "यह किसी भी व्यक्ति की कल्पना से परे की बात थी कि लादेन उबड़-खाबड़ गर्म कबायली इलाकों को छोड़कर अपनी पत्नियों व बच्चों के साथ एबटाबाद जैसे प्राकृतिक मनोरम स्थल पर पारिवारिक जीवन बिता रहा होगा।" उधर, अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के निदेशक लियोन पनेटा ने लादेन के मारे जाने के बाद सम्भावित आतंकी खतरों से सचेत रहने के लिए कहा है। पनेटा ने खुफिया एजेंसी के कर्मचारियों को सोमवार को लिखे एक पत्र में कहा, "आतंकवादी निश्चित तौर पर बदला लेने का प्रयास करेंगे और हमें सतर्क और सावधान रहना होगा।" एहतियात के तौर पर पाकिस्तान स्थित अमेरिकी दूतावास तथा वाणिज्य दूतावास में सार्वजनिक सेवाएं अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी गई हैं। दूतावास के प्रवक्ता अलबटरे रॉड्रिग्ज के हवाले से 'डॉन' ने लिखा है, "दूतावास में सार्वजनिक सेवाओं से सम्बंधित सामान्य कामकाज बंद कर दिए गए हैं।"
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