वर्ष 2013 का नोबेल शांति पुरस्कार रासायनिक हथियारों की रोकथाम करने वाले संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) को रासायनिक हथियारों के उन्मूलन में उसके महती प्रयासों के लिए दिया गया है। नार्वे की नोबेल समिति ने शुक्रवार को यह घोषणा की।
यह कहते हुए कि अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत में नि:शस्त्रीकरण प्रमुखता से आया है, समिति ने कहा कि कई पुरस्कारों के जरिए इसने नाभिकीय हथियारों को खत्म करने की जरूरत को रेखांकित किया है।
समिति की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, "ओपीसीडब्ल्यू को मौजूदा पुरस्कार के जरिए समिति ने रासायनिक हथियारों के उन्मूलन में योगदान की मांग की है।"
पहले विश्व युद्ध के दौरान रासायनिक हथियार का कमतर इस्तेमाल हुआ था। 1925 के जेनेवा प्रस्ताव ने इसके इस्तेमाल को निषिद्ध किया, लेकिन इसके निर्माण या संग्रह पर बंदिश नहीं लगाई।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान रासायनिक हथियार का बड़े पैमाने पर हिटलर के व्यापाक अत्याचार का हिस्सा रहा। रासायनिक हथियारों का इसके बाद कई मौकों पर सरकारों और आतंकवादियों द्वारा व्यापक रूप से इस्तेमाल हुआ। 1992-93 में ऐसे हथियारों के निर्माण और भंडारण को निषिद्ध करने के लिए एक घोषणा पत्र तैयार किया गया और यह 1997 में लागू हुआ।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि उसके बाद से ओपीसीडब्ल्यू ने रासायनिक हथियारों की जांच, उसे नष्ट करने और अन्य तरीकों से घोषणा पर अमल सुनिश्चित कराया है। आज की तारीख तक सभी 189 देशों ने घोषणा पत्र को मान्यता दी है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं