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This Article is From Feb 21, 2015

ओबामा ने सभी धर्मों को बराबर सम्मान के मोदी के आश्वासन का स्वागत किया

ओबामा ने सभी धर्मों को बराबर सम्मान के मोदी के आश्वासन का स्वागत किया
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबाम की मुलाकात की फाइल फोटो
वाशिंगटन:

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस हालिया टिप्पणी का स्वागत किया है जिसमें मोदी ने धार्मिक आधार पर हिंसा की निंदा की थी और यह भरोसा दिलाया था कि उनकी सरकार सभी धर्मों को बराबर का सम्मान देगी।

व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को एक अपनी वेबसाइट पर एक ऑनलाइन याचिका के जवाब में कहा, ‘‘राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान का स्वागत किया है जिसमें उन्होंने धार्मिक आधार पर हिंसक गतिविधियों की निंदा की थी और भरोसा दिया था कि उनकी सरकार सभी धर्मों को बराबर सम्मान देगी।’’
न्यूयॉर्क स्थित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ की इस ऑनलाइन याचिका में ओबामा से उनके भारत दौरे से पहले आग्रह किया गया था कि वह मोदी के साथ अपनी बातचीत के दौरान ‘सिख नरसंहार’ और ‘सिखों के आत्मनिर्णय के अधिकार’ का मुद्दा उठाएं।

इस ऑनलाइन याचिका पर 125,000 लोगों ने हस्ताक्षर किए। व्हाइट हाउस इस याचिका की ऑनलाइन शुरुआत किए जाने के एक महीने से भी कम समय में व्हाइट हाउस ने जवाब दिया है।

इस याचिका पर हस्ताक्षर करने वालों का धन्यवाद देते हुए व्हाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति ने अपने भारत प्रवास के दौरान 27 जनवरी को सिरि फोर्ट में अपने संबोधन के दौरान भारत में धार्मिक स्वतंत्रता एवं सहिष्णुता के महत्व पर चर्चा की थी।

व्हाइट हाउस ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति ओबामा ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की सफलता इस पर निर्भर करती है कि वह धर्म के आधार पर नहीं बंटे।’’ उसने कहा, ‘‘जैसा कि राष्ट्रपति ने 27 जनवरी को अपने भाषण में कहा कि दोनों देशों भारत और अमेरिका में हमारी विविधता ही हमारी ताकत है। हम भारत के साथ इसी सिद्धांत पर जोर देने के लिए सिर्फ अपने देशों के भीतर ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में काम करने को प्रतिबद्ध हैं।’’

सभी धर्मों को समान दर्जे के बारे में ओबामा के सैद्धांतिक रुख की सराहना करते हुए एसएफजे के कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नून ने कहा, ‘‘सिख समूह की याचिका पर व्हाइट हाउस का जवाब मोदी के लिए फिर यह याद दिलाने वाला है कि भारत की सफलता सभी धार्मिक समुदायों को स्वतंत्रता एवं अपने धर्म पर अमले करने एवं प्रताड़ना के डर के बिना आस्था का प्रचार-प्रसार करने का अधिकार देने पर निर्भर करती है।’’

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