काठमांडू:
नेपाली प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई की ओर से संसद (संविधान सभा) को भंग करके नए सिरे से चुनाव कराने के ‘एकतरफा’ फैसले के विरोध में कई प्रमुख दलों ने उनके इस्तीफे की मांग की, हालांकि सर्वोच्च माओवादी नेता प्रचंड ने इस मांग को खारिज कर दिया।
प्रचंड ने कहा कि भट्टाराई के नेतृत्व वाली सरकार संविधान का मसौदा तय समयसीमा के भीतर तैयार नहीं होने के बावजूद नहीं हटेगी। उन्होंने कहा, ‘बाबूराम भट्टाराई का इस्तीफा कोई विकल्प नहीं हो सकता।’
यहां 27 मई तक नए संविधान का मसौदा तैयार करने की समयसीमा थी और इसके बीत जाने के बाद यहां एक बड़ा राजनीतिक संकट भी खड़ा हो गया है।
इस बीच राष्ट्रपति यादव ने संसद को भंग किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण तथा बेहद चिंता और अफसोस का विषय करार दिया है।
नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट) समेत नेपाल के पांच बड़े राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा है कि चुनाव कराने का उनका एकतरफा निर्णय ‘असंवैधानिक’ है।
प्रचंड ने कहा कि भट्टाराई के नेतृत्व वाली सरकार संविधान का मसौदा तय समयसीमा के भीतर तैयार नहीं होने के बावजूद नहीं हटेगी। उन्होंने कहा, ‘बाबूराम भट्टाराई का इस्तीफा कोई विकल्प नहीं हो सकता।’
यहां 27 मई तक नए संविधान का मसौदा तैयार करने की समयसीमा थी और इसके बीत जाने के बाद यहां एक बड़ा राजनीतिक संकट भी खड़ा हो गया है।
इस बीच राष्ट्रपति यादव ने संसद को भंग किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण तथा बेहद चिंता और अफसोस का विषय करार दिया है।
नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट) समेत नेपाल के पांच बड़े राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा है कि चुनाव कराने का उनका एकतरफा निर्णय ‘असंवैधानिक’ है।
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