
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का उनके पैतृक गांव में पूरे राजकीय सम्मान का आखिरी संस्कार किया गया। पांच दिसंबर को नेल्सन मंडेला का निधन हो गया था। वह लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे।
नेल्सन मंडेला ने नस्लवाद के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी थी। मंडेला को नोबेल शांति पुरस्कार और भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। उनके निधन के बाद दक्षिण अफ्रीका में 10 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई थी।
नेल्सन मंडेला को श्रद्धांजलि देने और राष्ट्रीय शोक के 10 दिन से जारी कार्यक्रम को खत्म करते हुए शनिवार को उनका पार्थिव शरीर विमान के जरिये उनके गांव पैतृक कुनु ले जाया गया था, जहां उन्हें सुपुर्दे खाक किया गया।
प्रिटोरिया स्थित यूनियन बिल्डिंग में तीन दिन तक रखे गए मंडेला के पार्थिव शरीर को करीब एक लाख लोगों ने श्रद्धांजलि दी, जिसके बाद वायुसेना का एक विमान के जरिये उनके ताबूत को प्रिटोरिया से रवाना किया गया। वर्ष 1994 में मंडेल ने इसी स्थल से दक्षिणी अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति के तौर पर अपनी नयी पारी की शुरुआत की थी।
मंडेला का लंबी बीमारी के बाद 95 वर्ष की उम्र में 5 दिसंबर को निधन हो गया था। रंगभेद विरोधी यह वैश्विक नेता अपने अंतिम दिन कुनु गांव में ही बिताना चाहते थे, जहां कभी उनका बचपन गुजरा था।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं