
- तहव्वुर हुसैन राणा ने 26/11 हमलों में पाकिस्तान की भूमिका का खुलासा किया है.
- राणा ने बताया कि वह पाकिस्तान सेना का विश्वसनीय व्यक्ति था.
- राणा ने बताया कि वह नवंबर 2008 में भारत आया था
- राणा ने मुंबई हमलों की योजना में लश्कर के कॉन्टेक्ट का जिक्र किया.
26/11 मुंबई आतंकी हमलों के अहम साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा ने मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच को दी गई अपनी पहली पूछताछ में पाकिस्तान की गहरी भूमिका का खुलासा किया है. अमेरिका से अप्रैल 2025 में भारत प्रत्यर्पित किए गए राणा ने बताया कि वह पाकिस्तान सेना का भरोसेमंद व्यक्ति था और उसे खाड़ी युद्ध के दौरान गुप्त मिशन पर सऊदी अरब भी भेजा गया था.
लश्कर विचारधारा से अधिक जासूसी नेटवर्क
राणा ने बताया कि उसने 1986 में रावलपिंडी के आर्मी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया और इसके बाद क्वेटा में बतौर कैप्टन डॉक्टर सेना में कमीशन प्राप्त किया. वह सिंध, बलूचिस्तान, बहावलपुर और सियाचिन-बालोत्रा जैसे संवेदनशील सैन्य क्षेत्रों में तैनात रहा. राणा के मुताबिक, उसका सह-साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली 2003 से 2004 के बीच लश्कर-ए-तैयबा के तीन प्रशिक्षण शिविरों में शामिल हुआ था. हेडली ने खुद राणा को बताया था कि लश्कर विचारधारा से अधिक जासूसी नेटवर्क के रूप में काम करता है.
तहव्वुर को अमेरिका से लंबी कानूनी लड़ाई के बाद लाया गया भारत
तहव्वुर राणा को अमेरिका से लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 10 अप्रैल 2025 को भारत लाया गया, जहां राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसे दिल्ली एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कियाए. फिलहाल मामला मुंबई क्राइम ब्रांच के अधीन है और एजेंसी जल्द ही राणा की हिरासत की मांग कर सकती है. राणा ने बताया कि उसने 1974 से 1979 तक पाकिस्तान के हसन अब्दाल कैडेट कॉलेज में पढ़ाई की थी, जहां डेविड हेडली उसका सहपाठी था. हेडली की मां अमेरिकी थीं और उसके पिता पाकिस्तानी. राणा ने बताया कि हेडली अपनी सौतेली मां के व्यवहार से तंग आकर अमेरिका चला गया था, जहां वह अपनी जैविक मां से रहने लगा.
2008 में भारत आया था तहव्वुर
राणा ने बताया कि वह नवंबर 2008 में भारत आया था और 20-21 नवंबर को मुंबई के पवई इलाके के एक होटल में ठहरा था. हमलों से ठीक पहले वह दुबई होते हुए बीजिंग रवाना हो गया था. क्राइम ब्रांच द्वारा 2023 में दायर 405 पन्नों की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में राणा की भूमिका को विस्तार से बताया गया है. चार्जशीट के अनुसार, राणा ने हेडली की मदद से मुंबई में भीड़भाड़ वाले स्थानों की जानकारी इकट्ठा की थी, जिनमें छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस जैसे स्थल शामिल थे.
लश्कर-आईएसआई गठजोड़, मुंबई में खोला था ऑफिस
पूछताछ में राणा ने लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े साजिद मीर, अब्दुल रहमान पशा और मेजर इकबाल जैसे पाकिस्तानी अधिकारियों को जानने की बात मानी है. इन सभी पर 26/11 हमले की साजिश रचने का आरोप है. राणा ने दावा किया कि मुंबई में खोला गया ‘फर्स्ट इमिग्रेशन सेंटर' उसका आइडिया था, न कि हेडली का. इस ऑफिस को एक महिला चलाती थी. राणा ने यह भी बताया कि हेडली को भेजे गए पैसों का इस्तेमाल व्यापारिक खर्चों के रूप में किया गया था.
सियाचिन में बीमारी और सेना से बर्खास्तगी
राणा ने खुलासा किया कि सियाचिन में तैनाती के दौरान उसे पल्मोनरी ईडेमा (फेफड़ों में पानी भरने की बीमारी) हो गया था, जिससे वह ड्यूटी पर नहीं जा सका और उसे सेना से अनुपस्थित रहने के आरोप में ‘डिज़र्टर' घोषित कर दिया गया. 1993 में राणा ने जर्मनी और इंग्लैंड में कुछ समय बिताया और 1994 में अमेरिका गया. वहां मेडिकल लाइसेंस पास कर वह कनाडा में बस गया और फिर अमेरिका में मीट प्रोसेसिंग, रियल एस्टेट और ग्रोसरी का व्यवसाय शुरू किया. पूछताछ में राणा ने एक व्यक्ति का भी जिक्र किया, जिसने कथित रूप से उससे पैसे की मांग की थी. यह व्यक्ति पहले ही हेडली के संपर्क में था और शिवसेना कार्यालय का रैकी करने में उसकी मदद करता था. कोलकाता पुलिस ने हाल ही इस व्यक्ति को टीएमसी नेता के कार्यालय की रेकी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है.
ईमेल्स और वीज़ा घोटाला
पाकिस्तानी अधिकारी मेजर इकबाल को भेजे गए ईमेल्स के बारे में पूछे जाने पर राणा इस बात को टाल रहा है, भारतीय वीज़ा के फर्जी दस्तावेजों के बारे में राणा ने भारतीय दूतावास पर दोष मढ़ा, जबकि अमेरिकी न्याय विभाग का दावा है कि उसने हेडली को झूठे दस्तावेजों के ज़रिए भारत भेजने में मदद की थी. राणा ने बशीर शेख नामक व्यक्ति को भी जानने की बात कबूली, जो कथित रूप से मुंबई एयरपोर्ट पर हेडली को लेने गया था. बशीर शेख की लोकेशन फिलहाल अज्ञात है और माना जा रहा है कि वह कनाडा में छिपा हुआ हो सकता है.
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