प्रतीकात्मक चित्र
वाशिंगटन:
नासा वर्ष 2018 में विश्व के सबसे शक्तिशाली रॉकेट को प्रक्षेपित करेगा जो मानवरहित अंतरिक्ष यान को ले जाने के साथ ही 13 छोटे उपग्रहों को भी अपने साथ ले जाएगा। इससे गहरे अंतरिक्ष में मानव की भावी खोजों का मार्ग प्रशस्त होगा।
नासा द्वारा बनाए गए अब तक के सर्वाधिक शक्तिशाली रॉकेट 'स्पेस लॉन्च सिस्टम' (एसएलएस) की पहली उड़ान में 13 क्यूब उपग्रह के साथ ही एक मानवरहित ओरियन अंतरिक्ष यान को ले जाया जाएगा।
एसएलएस की पहली उड़ान को एक्सप्लोरेलशन मिशन-1 (ईएम1) का नाम दिया गया है, जो गहरे अंतरिक्ष में पहुंचने के लिए छोटे-छोटे प्रयोगों की अनुमति प्रदान करेगा। 13 छोटे उपग्रहों में से 'नियर अर्थ एस्ट्रोयेड स्काउट' या एनईए स्काउट एक एस्टोरोइड का अध्ययन करेगा, तस्वीरें लेगा और अंतरिक्ष में उसकी स्थिति का अध्ययन करेगा।
नासा ने बताया कि बायो सेंटीनल क्यूब सेट खमीर के जरिये गहरे अंतरिक्ष में लंबी अवधि तक जीवित ऑर्गेनिज्म पर वहां होने वाले विकिरण का पता लगाएगा, उसे मापेगा और उसके प्रभाव की तुलना करेगा।
नासा द्वारा बनाए गए अब तक के सर्वाधिक शक्तिशाली रॉकेट 'स्पेस लॉन्च सिस्टम' (एसएलएस) की पहली उड़ान में 13 क्यूब उपग्रह के साथ ही एक मानवरहित ओरियन अंतरिक्ष यान को ले जाया जाएगा।
एसएलएस की पहली उड़ान को एक्सप्लोरेलशन मिशन-1 (ईएम1) का नाम दिया गया है, जो गहरे अंतरिक्ष में पहुंचने के लिए छोटे-छोटे प्रयोगों की अनुमति प्रदान करेगा। 13 छोटे उपग्रहों में से 'नियर अर्थ एस्ट्रोयेड स्काउट' या एनईए स्काउट एक एस्टोरोइड का अध्ययन करेगा, तस्वीरें लेगा और अंतरिक्ष में उसकी स्थिति का अध्ययन करेगा।
नासा ने बताया कि बायो सेंटीनल क्यूब सेट खमीर के जरिये गहरे अंतरिक्ष में लंबी अवधि तक जीवित ऑर्गेनिज्म पर वहां होने वाले विकिरण का पता लगाएगा, उसे मापेगा और उसके प्रभाव की तुलना करेगा।
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