अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने चांद की सतह पर पानी (Water on Moon) की खोज की है. चंद्रमा की सतह पर यह पानी उस जगह पर खोजा गया है, जहां सूरज की सीधी रोशनी (Sunlit Surface) पड़ती है. सोमवार को प्रकाशित दो स्टडी के मुताबिक, माना जा रहा है कि पहले के अनुमान से कहीं अधिक पानी चंद्रमा पर मौजूद हो सकता है. इस खोज से भविष्य में स्पेस मिशन (Space Mission) को बड़ी ताकत मिलेगी. यही नहीं इसका उपयोग ईंधन उत्पादन में भी किया जा सकेगा.
नेचर एस्ट्रोनॉमी में सोमवार को प्रकाशित दो नए अध्ययनों में सुझाया गया कि हमारे पुराने अनुमान से कहीं ज्यादा पानी चंद्रमा पर हो सकता है. इसमें ध्रुवीय क्षेत्रों में स्थायी रूप से मौजूद बर्फ भी शामिल है. पिछले शोध में सतह को स्कैन करने पर पानी के संकेत तो मिले हैं, लेकिन ये शोध पानी (H2O) और हाइड्रॉक्सिल के बीच अंतर करने में नाकाम रहा था. हाइड्रॉक्सिल, हाइड्रोजन के एक और ऑक्सीजन के एक परमाणु से मिलकर बना एक अणु है.
हालांकि, एक नई स्टडी से इस बात के रासायनिक प्रमाण मिले हैं कि चंद्रमा की सतह पर आणविक जल मौजूद है यहां तक कि उन क्षेत्रों में भी जहां सूरज की रोशनी सीधी पड़ती है.
स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जरवेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) के आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए शोधकर्ताओं ने चंद्रमा की सतह को पहले की तुलना में अधिक सटीक तरंग दैर्ध्य पर स्कैन किया.
???? ICYMI... using our @SOFIATelescope, we found water on the Moon's sunlit surface for the first time. Scientists think the water could be stored inside glass beadlike structures within the soil that can be smaller than the tip of a pencil. A recap: https://t.co/lCDDp7pbcl pic.twitter.com/d3CRe96LDm
— NASA (@NASA) October 26, 2020
हवाई इंस्टीट्यूट जियोफिजिक्स एंड प्लेनेटोलॉजी के को-ऑर्थर केसी हनीबैल ने बताया कि शोधकर्ताओं का मानना है कि पानी कांच के छोटे-छोटे मोतियों (Glass Beads) या फिर किसी और पदार्थ के अंदर हो सकता है, जो इसे बाहर के विपरीत पर्यावरण से बचाता है. आगे के अध्ययन से यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि ये पानी कहां से आया है और कैसे संग्रहीत हुआ है.
उन्होने कहा, "अगर हमें कई जगहों पर पर्याप्त मात्रा में पानी मिलता है तो हम इसका इस्तेमाल मानव अन्वेषण के लिए संसाधन के रूप में करने में सक्षम हो सकते हैं. इसका इस्तेमाल पीने के पानी, ऑक्सीजन और रॉकेट ईंधन के रूप में किया जा सकता है."
वहीं, एक दूसरी स्टडी में चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों में कुछ जगहों पर बर्फ के संकेत मिले हैं. माना जा रहा है कि ये बर्फ चंद्र पर बने गड्ढों में मौजूद है और इन पर कभी सूरज की रोशनी भी नहीं पड़ी.
चंद्रमा पर पहले भी बड़े आकार के गड्ढे पाए गए थे. नासा ने 2009 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक गहरे गड्ढे में पानी के क्रिस्टल पाए थे.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं