प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
अफ़गान तालिबान ने पहली बार माना है कि मुल्ला उमर की मौत हो चुकी है। तंजीम के प्रवक्ता ज़बीबुल्लाह मुजाहिद ने तालिबान की आधिकारिक वेबसाइट पर पश्तों में लिखे संदेश में इस बात की तस्दीक की है।
बुधवार को अफ़ग़ानिस्तान की सरकार के सूत्रों के हवाले से ये दावा किया गया था कि मुल्ला उमर की मौत कराची के एक अस्पताल में अप्रैल 2013 में ही हो गई थी। हालांकि तालिबान ने मुल्ला उमर के पाकिस्तान की ज़मीन पर दम तोड़ने की बात से इनकार किया है और कहा है कि मुल्ला उमर ने हमेशा अफ़ग़ानिस्तान से लड़ाई लड़ी और वो अफ़ग़ानिस्तान से कभी बाहर नहीं गया।
ग़ौरतलब है कि अफ़ग़ान तालिबान की तरफ़ से इस बात का ऐलान तब हुआ है जब उसके वार्ताकारों की टीम इस्लामाबाद में अफ़ग़ान सरकार के साथ दूसरे दौर की शांति वार्ता के लिए पहुंची है। पहले दौर की बातचीत 7 जुलाई को हो चुकी है। बातचीत का मक़सद अफ़ग़ानिस्तान में 14 साल से चल रही लड़ाई को ख़त्म करने के रास्ते तलाशने की है।
अफ़ग़ान तालिबान की तरफ से ये भी जानकारी दी गई है कि मुल्ला अख़्तर मंसूर को तंजीम का नया सुप्रीम कमांडर बनाया गया है। मुल्ला मंसूर अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के कब्ज़े वाली सरकार में उड्डयन मंत्री था। तालिबान लीडरशिप काउंसिल ने हक्कानी गुट के मुखिया सिराजुद्दीन हक्कानी को मुल्ला अख़्तर मंसूर के डिप्टी के तौर पर नियुक्त किया है।
मुल्ला उमर के बाद मुल्ला मंसूर और मुल्ला बरादर अख़ुंड दोनों ही मुखिया बनने के दावेदार थे। ये भी कहा जा रहा था कि मुल्ला उमर की मौत की ख़बर को हवा देने के चलते मुल्ला मंसूर की स्थिति कमज़ोर हो गई थी। मुल्ला उमर ने मुल्ला बरादर के साथ-साथ मुल्ला अबैदुल्लाह अखुंड दोनों को अपना डिप्टी नियुक्त किया था। मुल्ला अबैदुल्लाह की पाकिस्तान की जेल में मौत हो गई थी। ऐसे में मुल्ला बरादर का मुखिया बनना तय था लेकिन आख़िरकार मुल्ला अख़्तर ये ओहदा हासिल करने में क़ामयाब हुआ है।
बुधवार को अफ़ग़ानिस्तान की सरकार के सूत्रों के हवाले से ये दावा किया गया था कि मुल्ला उमर की मौत कराची के एक अस्पताल में अप्रैल 2013 में ही हो गई थी। हालांकि तालिबान ने मुल्ला उमर के पाकिस्तान की ज़मीन पर दम तोड़ने की बात से इनकार किया है और कहा है कि मुल्ला उमर ने हमेशा अफ़ग़ानिस्तान से लड़ाई लड़ी और वो अफ़ग़ानिस्तान से कभी बाहर नहीं गया।
ग़ौरतलब है कि अफ़ग़ान तालिबान की तरफ़ से इस बात का ऐलान तब हुआ है जब उसके वार्ताकारों की टीम इस्लामाबाद में अफ़ग़ान सरकार के साथ दूसरे दौर की शांति वार्ता के लिए पहुंची है। पहले दौर की बातचीत 7 जुलाई को हो चुकी है। बातचीत का मक़सद अफ़ग़ानिस्तान में 14 साल से चल रही लड़ाई को ख़त्म करने के रास्ते तलाशने की है।
अफ़ग़ान तालिबान की तरफ से ये भी जानकारी दी गई है कि मुल्ला अख़्तर मंसूर को तंजीम का नया सुप्रीम कमांडर बनाया गया है। मुल्ला मंसूर अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के कब्ज़े वाली सरकार में उड्डयन मंत्री था। तालिबान लीडरशिप काउंसिल ने हक्कानी गुट के मुखिया सिराजुद्दीन हक्कानी को मुल्ला अख़्तर मंसूर के डिप्टी के तौर पर नियुक्त किया है।
मुल्ला उमर के बाद मुल्ला मंसूर और मुल्ला बरादर अख़ुंड दोनों ही मुखिया बनने के दावेदार थे। ये भी कहा जा रहा था कि मुल्ला उमर की मौत की ख़बर को हवा देने के चलते मुल्ला मंसूर की स्थिति कमज़ोर हो गई थी। मुल्ला उमर ने मुल्ला बरादर के साथ-साथ मुल्ला अबैदुल्लाह अखुंड दोनों को अपना डिप्टी नियुक्त किया था। मुल्ला अबैदुल्लाह की पाकिस्तान की जेल में मौत हो गई थी। ऐसे में मुल्ला बरादर का मुखिया बनना तय था लेकिन आख़िरकार मुल्ला अख़्तर ये ओहदा हासिल करने में क़ामयाब हुआ है।
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