नरेंद्र मोदी और बराक ओबामा की फाइल फोटो
वाशिंगटन:
व्हाइट हाउस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे से ठीक पहले कहा है कि उनका यह दौरा भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते सहयोग तथा विश्व मंच पर उनके ‘साझा नेतृत्व’ को दर्शाता है। व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बताया, ‘‘यह दौरा अमेरिका-भारत संबंधों में उल्लेखनीय परिवर्तन का परिचायक है। बीते सात वर्षों के दौरान अमेरिका और भारत ने मित्रता का मजबूत रिश्ता बनाया है जो लोकतांत्रिक मूल्यों, खुले समाज और नियम आधारित व्यवस्था के प्रति सम्मान पर आधारित है।’’अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के आमंत्रण पर मोदी अमेरिका पहुंच रहे हैं। दोनों नेताओं का ओवल ऑफिस में मिलने का कार्यक्रम है।
मोदी करेंगे कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित
उस अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर अमेरिका और भारत मिलकर पहल करें तो जलवायु परिवर्तन की समस्या का हल करने और स्वच्छ ऊर्जा समाधान मुहैया कराने से लेकर आर्थिक एवं व्यापार संबंधों के प्रगाढ़ होने, समुद्र, वायु और अंतरिक्ष में हमारे साझा दायरे की रक्षा करने तक यह दुनिया बेहतर होगी ।’’ मोदी बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। इस साल ऐसा करने वाले वह पहले विदेशी नेता होंगे तथा स्पीकर पॉल रयान के मुताबिक कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित करने वाले पहले नेता होंगे।
चीन की चुनौती
इस बीच, अमेरिका के दो प्रमुख अखबारों ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ और ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ ने कहा है कि ओबामा की ओर से मोदी के साथ संबंध मजबूत करने का बुनियादी मकसद चीन है।
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के अनुसार अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बेंजामिन जे रोडेस ने कहा कि ओबामा और मोदी ने नजदीकी रिश्ता बनाने में निवेश किया है। इस अखबार ने कहा कि चीन के साथ संतुलन बैठाने के लिए अमेरिका, भारत को एक बड़े एशियाई साझेदार के तौर पर प्रोत्साहित कर रहा है तथा भारत, अमेरिकी कंपनियों के निवेश से अपनी अर्थव्यवस्था को गति देना चाहता है।
दोनों नेताओं के बीच सहज संबंध
मोदी के साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से दोनों नेता छह बार मिल चुके हैं। पहली मुलाकात सितंबर, 2014 में हुई थी। इस संबंध में रोडेस ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने इतना अधिक समय साथ बिताया है, जिससे उन्हें एक दूसरे के वैश्विक दृष्टिकोण और घरेलू हालात को अच्छी तरह समझने में मदद मिली है तथा इससे रक्षा संबंधों को प्रगाढ़ बनाना, असैन्य परमाणु सहयोग को आगे ले जाना और जलवायु परिवर्तन पर कामयाबी हासिल कर पाना संभव हुआ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह इस बात का भी संकेत हैं कि राष्ट्रपति ओबामा दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और तेजी से बढ़ते साझेदार के तौर पर भारत के साथ हमारे संबंधों को कितना महत्वपूर्ण मानते हैं।’’ अखबार ने लिखा, ‘‘भारत के वैश्विक हित हैं और वह अपने उन हितों की रक्षा करने की ओर देखता है, लेकिन उसके पास ऐसा करने के लिए पर्याप्त क्षमता का अभाव है। ऐसे में भारत अपनी क्षमता हासिल करने में मदद के लिए अमेरिका पर बड़ा दांव लगा रहा है। हम भारत की मदद करने में सहज हैं।’’
‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ के मुताबिक व्हाइट हाउस मोदी की इस यात्रा के दौरान आर्थिक और रक्षा सहयोग को बढ़ाने को लेकर आशान्वित हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
मोदी करेंगे कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित
उस अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर अमेरिका और भारत मिलकर पहल करें तो जलवायु परिवर्तन की समस्या का हल करने और स्वच्छ ऊर्जा समाधान मुहैया कराने से लेकर आर्थिक एवं व्यापार संबंधों के प्रगाढ़ होने, समुद्र, वायु और अंतरिक्ष में हमारे साझा दायरे की रक्षा करने तक यह दुनिया बेहतर होगी ।’’ मोदी बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। इस साल ऐसा करने वाले वह पहले विदेशी नेता होंगे तथा स्पीकर पॉल रयान के मुताबिक कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित करने वाले पहले नेता होंगे।
चीन की चुनौती
इस बीच, अमेरिका के दो प्रमुख अखबारों ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ और ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ ने कहा है कि ओबामा की ओर से मोदी के साथ संबंध मजबूत करने का बुनियादी मकसद चीन है।
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के अनुसार अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बेंजामिन जे रोडेस ने कहा कि ओबामा और मोदी ने नजदीकी रिश्ता बनाने में निवेश किया है। इस अखबार ने कहा कि चीन के साथ संतुलन बैठाने के लिए अमेरिका, भारत को एक बड़े एशियाई साझेदार के तौर पर प्रोत्साहित कर रहा है तथा भारत, अमेरिकी कंपनियों के निवेश से अपनी अर्थव्यवस्था को गति देना चाहता है।
दोनों नेताओं के बीच सहज संबंध
मोदी के साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से दोनों नेता छह बार मिल चुके हैं। पहली मुलाकात सितंबर, 2014 में हुई थी। इस संबंध में रोडेस ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने इतना अधिक समय साथ बिताया है, जिससे उन्हें एक दूसरे के वैश्विक दृष्टिकोण और घरेलू हालात को अच्छी तरह समझने में मदद मिली है तथा इससे रक्षा संबंधों को प्रगाढ़ बनाना, असैन्य परमाणु सहयोग को आगे ले जाना और जलवायु परिवर्तन पर कामयाबी हासिल कर पाना संभव हुआ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह इस बात का भी संकेत हैं कि राष्ट्रपति ओबामा दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और तेजी से बढ़ते साझेदार के तौर पर भारत के साथ हमारे संबंधों को कितना महत्वपूर्ण मानते हैं।’’ अखबार ने लिखा, ‘‘भारत के वैश्विक हित हैं और वह अपने उन हितों की रक्षा करने की ओर देखता है, लेकिन उसके पास ऐसा करने के लिए पर्याप्त क्षमता का अभाव है। ऐसे में भारत अपनी क्षमता हासिल करने में मदद के लिए अमेरिका पर बड़ा दांव लगा रहा है। हम भारत की मदद करने में सहज हैं।’’
‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ के मुताबिक व्हाइट हाउस मोदी की इस यात्रा के दौरान आर्थिक और रक्षा सहयोग को बढ़ाने को लेकर आशान्वित हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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