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This Article is From May 02, 2015

नेपाल : घर-घर की शुरू हुई जांच, ख़तरनाक इमारतों की हो रही है पहचान

नेपाल : घर-घर की शुरू हुई जांच, ख़तरनाक इमारतों की हो रही है पहचान
काठमांडू: नेपाल इंजीनियर्स एसोशिएशन की पहल पर काठमांडू में हर उस घर की जांच का काम शुरू किया गया है, जिसे भूकंप से नुकसान हुआ है। यहां रिहा़यशी इमारतों के साथ-साथ सरकारी और ऐसे इमारतों की भी पड़ताल की जाएगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि सुरक्षित और ख़तरनाक घरों की पहचान की जा सके। फिर उसी हिसाब से लोगों को उसमें रहने या न रहने की सलाह दी जा सके।

नेपाल इंजीनियर्स एसोशिएशन के अध्यक्ष ध्रुव थापा ने एनडीटीवी इंडिया को बताया है काठमांडू के क़रीब 90 फीसदी घर और इमारतों पर भूकंप से कुछ न कुछ असर हुआ है। इनमें से 70 फीसदी घर रहने के हिसाब से सुरक्षित हैं, लेकिन 20 फीसदी को मरम्मत के बाद ही रहने लायक बनाया जा सकेगा। जबकि कम से कम 10 फीसदी घर ऐसे हैं, जो बिल्कुल रहने के क़ाबिल नहीं। भूकंप का कोई दूसरा झटका उसे पूरी तरह से तबाह कर सकता है। इसलिए ऐसे घर और इमारतों में लोगों को नहीं रहने की सलाह दी जा रही है।

यहां बहुत से ऐसे लोग जिनके घरों को थोड़ा बहुत भी नुक्सान हुआ है, वह डर के मारे अपने घरों में नहीं जा रहे, बल्कि टेंटों में रह रहे हैं। नेपाल सरकार चाहती है कि जिनके घर रहने लायक हैं वे अपने घरों में लौट जाएं। इसलिए भी इंजीनियरों की ये पहल बहुत अहम है।

इंजीनियर भवन में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है। हेल्प लाइन नंबर के ज़रिये लोग यहां अपने घर का पता लिखवा रहे हैं, ताकि इंजीनियर उनके घर की जांच कर सकें। इस काम में मदद के लिए जर्मनी, अमेरिका, कनाडा जैसे देशों समेत दुनिया भर के इंजीनियर पहुंच रहे हैं। तीन से पांच इंजीनियर का दस्ता अलग अलग इलाकों में जाता है और घरों की जांच करता है।

सिविल इंजीनियर सुभाष चंद्र बरल बताते हैं कि घरों की पहले बाहर से जांच होती है फिर अंदर से। इसमें फ्रेम स्ट्रक्चर से लेकर लोड बियरिंग स्ट्रक्टचर यानी पिलर और बीम से लेकर दीवारों तक की जांच होती है। दीवारों में पड़ी दरार हो या बीम की दरार, उसकी चौड़ाई और गहराई मापी जाती है।

आमतौर पर अगर सिर्फ दीवार में हल्की दरार हो तो घर को ग्रीन कैटेगरी यानि रहने योग्य कैटेगरी में रखा जाता है। लेकिन दरार अगर दो एमएम से अधिक का हो तो उसे सुरक्षित नहीं माना जाता। यह भी देखा जाता है कि मकान का कोई हिस्सी किसी तरफ से धंसा तो नहीं है।

कुल मिला कर इस जांच के ज़रिये लोगों में भरोसा पैदा किया जाता है कि उनका घर अगर रहने लायक है तो बाहर टेंट में रहने की ज़रूरत नहीं। लेकिन इस तरह के हज़ारों घरों की जांच होनी ऐसे में इस प्रक्रिया को पूरा होने में लंबा वक्त लगेगा।

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