मेलबर्न:
एक भारतीय अरबपति दंपति पंकज और राधिका ओसवाल ने ऑस्ट्रेलिया के एक प्रमुख बैंक पर 1.9 अरब डॉलर का मुकदमा ठोका था. देश के सबसे बड़े बैंकों में शुमार इस कंपनी ने आखिरकार मजबूर होकर इस दंपति से सुलह समझौता कर 110 मिलियन डॉलर देकर मामले का निपटारा किया. दरअसल इस दंपति ने आरोप लगाया था कि ऑस्ट्रेलिया एंड न्यूजीलैंड बैंकिंग ग्रुप (एएनजेड) ने जब उनको शेयरों को बेचा तो उनके शेयरों की कीमत कम आंकी थी.
इस संबंध में ओसवाल दंपति के प्रवक्ता ने कहा, ''वे मामले के निपटारे से पूरी तरह संतुष्ट हैं. उन्हें बहुत खुशी है कि कोर्ट के समक्ष तथ्यों को सही तरह से रख सके और प्रसन्न हैं कि मामले का इस तरह से पटाक्षेप हुआ. अब वे ऑस्ट्रेलिया में भी नहीं रुकेंगे. वे अपनी भावी योजनाएं बना रहे हैं. यह राशि मामले के निपटारे के आकार को नहीं दर्शाती लेकिन इसका पूरा ब्यौरा उजागर नहीं करने की गोपनीयता की शर्तों से बंधे हैं.''
इस संबंध में एएनजेड के सीईओ का कहना है कि इस सेटेलमेंट का आशय यह नहीं है कि बैंक ने अपनी गलती स्वीकार की है. इस मामले में ओसवाल के प्रवक्ता का कहना है कि यह बेहद 'आश्चर्य' की बात है कि बैंक जिन आरोपों को निराधार बता रहा है, उसके निपटारे के लिए इतनी बड़ी धनराशि देने का इच्छुक है.
उल्लेखनीय है कि ओसवाल दंपति को 2010 में पर्थ में अपने भव्य बंगले के निर्माण को उस वक्त रोकना पड़ा था, जब उसके खिलाफ आपत्तियां उठी थीं. यह भवन स्वान नदी पर था और इसको ''स्वान का ताज'' कहा जा रहा था. इसके निर्माण पर 53 मिलियन डॉलर खर्च किया जाना था. इसी सितंबर में स्थानीय कौंसिल ने घोषणा करते हुए कहा है कि इसे गिरा दिया जाएगा.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इस संबंध में ओसवाल दंपति के प्रवक्ता ने कहा, ''वे मामले के निपटारे से पूरी तरह संतुष्ट हैं. उन्हें बहुत खुशी है कि कोर्ट के समक्ष तथ्यों को सही तरह से रख सके और प्रसन्न हैं कि मामले का इस तरह से पटाक्षेप हुआ. अब वे ऑस्ट्रेलिया में भी नहीं रुकेंगे. वे अपनी भावी योजनाएं बना रहे हैं. यह राशि मामले के निपटारे के आकार को नहीं दर्शाती लेकिन इसका पूरा ब्यौरा उजागर नहीं करने की गोपनीयता की शर्तों से बंधे हैं.''
इस संबंध में एएनजेड के सीईओ का कहना है कि इस सेटेलमेंट का आशय यह नहीं है कि बैंक ने अपनी गलती स्वीकार की है. इस मामले में ओसवाल के प्रवक्ता का कहना है कि यह बेहद 'आश्चर्य' की बात है कि बैंक जिन आरोपों को निराधार बता रहा है, उसके निपटारे के लिए इतनी बड़ी धनराशि देने का इच्छुक है.
उल्लेखनीय है कि ओसवाल दंपति को 2010 में पर्थ में अपने भव्य बंगले के निर्माण को उस वक्त रोकना पड़ा था, जब उसके खिलाफ आपत्तियां उठी थीं. यह भवन स्वान नदी पर था और इसको ''स्वान का ताज'' कहा जा रहा था. इसके निर्माण पर 53 मिलियन डॉलर खर्च किया जाना था. इसी सितंबर में स्थानीय कौंसिल ने घोषणा करते हुए कहा है कि इसे गिरा दिया जाएगा.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं