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This Article is From Feb 28, 2020

भारत ने UNHRC की चिंता पर दिया जवाब, कहा- किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले बेहतर समझ विकसित करें

भारत ने गुरुवार को सयुंक्त राष्ट्र मानवधिकार परिषद की तारीफ करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर और नागरिकता कानून जैसे विषय़ों के निष्कर्ष पर आने से पहले उनके बारे में बेहतर से जान लें.

भारत ने UNHRC की चिंता पर दिया जवाब, कहा- किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले बेहतर समझ विकसित करें
संरा मानवाधिकार प्रमुख ने CAA पर जताई थी ‘गंभीर चिंता’
नई दिल्ली:

भारत ने गुरुवार को सयुंक्त राष्ट्र मानवधिकार परिषद की तारीफ करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर और नागरिकता कानून जैसे विषय़ों के निष्कर्ष पर आने से पहले उनके बारे में बेहतर से जान लें. भारत का यह सख्त रुख संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख द्वारा दिल्ली में सांप्रदायिक हमलों और CAA पर चिंता जाहिर करने के बाद आया है. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने भारत के संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और दिल्ली में सांप्रदायिक हमलों के दौरान "पुलिस निष्क्रियता" की खबरों पर गुरुवार को "गंभीर चिंता" व्यक्त की थी और राजनीतिक नेताओं से हिंसा रोकने का आग्रह किया था. जिनेवा में विश्वभर में मानवाधिकार घटनाक्रमों पर चल रहे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 43वें सत्र में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त मिशेल बैश्लेट ने जम्मू कश्मीर की स्थिति के बारे में भी बात की थी. उन्होंने कहा कि भारत की संसद द्वारा पारित किया गया CAA "गंभीर चिंता" का विषय है. 

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बैश्लेट ने कहा था, "बड़ी संख्या में भारतीयों, सभी समुदायों ने कानून का ज्यादातर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध किया है, और देश की धर्मनिरपेक्षता की लंबे समय से चली आ रही परंपरा का समर्थन किया है."उन्होंने कहा, "अन्य समूहों द्वारा मुसलमानों के खिलाफ हमलों के दौरान पुलिस के निष्क्रिय रहने की खबरों से मैं चिंतित हूं, और साथ ही पहले की इन खबरों से भी कि पुलिस ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर अत्यधिक बल प्रयोग किया." चिली की पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि स्थिति अब काफी गंभीर हो गई है और रविवार से 34 लोग मारे जा चुके हैं. उन्होंने कहा, "मैं राजनीतिक नेताओं से हिंसा रोकने की अपील करती हूं."

सीएए को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में अब तक 34 लोग मारे गए हैं और 200 से अधिक घायल हुए हैं. उन्मादी भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों और एक पेट्रोल पंप को जला दिया तथा पुलिसकर्मियों पर पथराव किया.  विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां हिंसा रोकने और विश्वास बहाली तथा सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिए अपना काम कर रही हैं. कुमार ने कहा, "सरकार के वरिष्ठ प्रतिनिधि इस प्रक्रिया (स्थिति सामान्य करने) में लगे हैं और प्रधानमंत्री ने शांति एवं भाईचारा बनाए रखने के लिए सार्वजनिक रूप से अपील की है. हम आग्रह करेंगे कि इस संवेदनशील समय में गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी न की जाएं."

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बैश्लेट ने जम्मू कश्मीर पर अपने बयान में कहा कि कुछ राजनीतिक नेताओं को रिहा कर दिया गया है और क्षेत्र में कुछ हद तक जनवजीवन पटरी पर लौट रहा है. उन्होंने हालांकि कहा कि राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं सहित 800 लोगों के हिरासत में होने की खबर है. बैश्लेट ने कहा, "लगातार भारी सैन्य तैनाती रहने से स्कूल, व्यवसाय और आजीविका प्रभावित हुई है और अत्यधिक बल प्रयोग तथा सुरक्षाबलों की ओर से अन्य गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे के समाधान के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं." उन्होंने अपने बयान में कहा, "भारत सरकार ने उच्चतम न्यायालय के महत्वपूर्ण निर्णय के बाद मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं आंशिक रूप से बहाल की हैं, लेकिन अधिकारी सोशल मीडिया के उपयोग पर लगातार अत्यधिक प्रतिबंध लगा रहे हैं."

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