
भारत ने मंगलवार को कहा कि उसने चीन को सीमा पर 15 अप्रैल से पहले की स्थिति बहाल रखने के लिए कहा है। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि इस मुद्दे के समाधान के लिए कूटनीतिक स्तर की वार्ता की कोई जरूरत नहीं है।
उधर, भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने चीन के प्रति नरम रुख का त्याग करने और सख्त कदम उठाने की मांग की है।
बताया जाता है कि 15 अप्रैल को चीनी सैनिकों ने भारत-चीन सीमा के पश्चिमी सेक्टर के देपसांग इलाके में अतिक्रमण कर लिया।
खुर्शीद ने कहा, "कूटनीतिक स्तर पर बातचीत की कोई आवश्यकता नहीं है। दोनों पक्ष पहले की तरह ही फ्लैग मीटिंग के जरिए समाधान निकालने के लिए चर्चा करेंगे।"
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि देपसांग इलाके में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर चीन और भारत के बीच 'भिन्न नजरिया' है और चीनी सैनिकों के अतिक्रमण के कारण दोनों देशों के बीच आमना-सामना की स्थिति पैदा हो गई है।
प्रवक्ता ने कहा, "एलएसी पर उनके एकत्रीकरण को लेकर दोनों पक्षों में मतभेद के कारण हम इसे दोनों देशों के समारक्षकों के बीच आमने-सामने की स्थिति का सामना करने के रूप में देखते हैं। हमने चीन से इस सेक्टर में यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा है। यथास्थिति का मतलब इस घटना से पहले की स्थिति बहाल करना है।"
'आमने-सामने' का इशारा एलएसी पर आपसी विश्वास बहाली लागू करने के लिए 2005 में लागू प्रोटोकॉल की तरफ था। प्रोटोकॉल के मुताबिक जब दोनों पक्ष के सीमा रक्षक आमने-सामने की स्थिति में आ जाएंगे तब उन्हें आत्मसंयम बनाए रखना होगा और स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए वे सभी जरूरी कदम उठाएंगे।
इस घटना को स्थानीय घटना करार देते हुए प्रवक्ता ने कहा, "कुल मिलाकर भारत-चीन सीमा पर शांति कायम है। इस तरह की घटनाओं को इससे पहले शांतिपूर्वक सुलझाया जा चुका है और हमें आशा है कि इस घटना को भी शांतिपूर्वक सुलझा लिया जाएगा।"
खबरों के अनुसार, चीनी सैनिक कथित तौर पर लद्दाख में भारतीय सीमा में 10 किलोमीटर अंदर तक घुस आए हैं और वहां उन्होंने अस्थायी चौकी बना ली है। खबर यह भी है कि भारतीय सेना ने भी क्षेत्र में अतिरिक्त सैनिकों को तैनात कर दिया है। बीजिंग ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास किसी भी घुसपैठ से इंकार किया है।
मंगलवार को इस मुद्दे का समाधान करने के लिए दोनों देशों की सेना के बीच ब्रिगेडियर स्तर की फ्लैग मीटिंग भी हुई।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि चीनी घुसपैठ से निपटने के लिए 'बहुत सख्त कदम' उठाने की आवश्यकता है।
इसे बेहद 'गंभीर मुद्दा' करार देते हुए यशवंत ने कहा, "भारत सरकार को इस दिशा में बहुत सख्त कदम उठाने चाहिए।" उन्होंने केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर चीन के प्रति नरम नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे काम नहीं चलेगा।
उधर, भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने चीन के प्रति नरम रुख का त्याग करने और सख्त कदम उठाने की मांग की है।
बताया जाता है कि 15 अप्रैल को चीनी सैनिकों ने भारत-चीन सीमा के पश्चिमी सेक्टर के देपसांग इलाके में अतिक्रमण कर लिया।
खुर्शीद ने कहा, "कूटनीतिक स्तर पर बातचीत की कोई आवश्यकता नहीं है। दोनों पक्ष पहले की तरह ही फ्लैग मीटिंग के जरिए समाधान निकालने के लिए चर्चा करेंगे।"
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि देपसांग इलाके में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर चीन और भारत के बीच 'भिन्न नजरिया' है और चीनी सैनिकों के अतिक्रमण के कारण दोनों देशों के बीच आमना-सामना की स्थिति पैदा हो गई है।
प्रवक्ता ने कहा, "एलएसी पर उनके एकत्रीकरण को लेकर दोनों पक्षों में मतभेद के कारण हम इसे दोनों देशों के समारक्षकों के बीच आमने-सामने की स्थिति का सामना करने के रूप में देखते हैं। हमने चीन से इस सेक्टर में यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा है। यथास्थिति का मतलब इस घटना से पहले की स्थिति बहाल करना है।"
'आमने-सामने' का इशारा एलएसी पर आपसी विश्वास बहाली लागू करने के लिए 2005 में लागू प्रोटोकॉल की तरफ था। प्रोटोकॉल के मुताबिक जब दोनों पक्ष के सीमा रक्षक आमने-सामने की स्थिति में आ जाएंगे तब उन्हें आत्मसंयम बनाए रखना होगा और स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए वे सभी जरूरी कदम उठाएंगे।
इस घटना को स्थानीय घटना करार देते हुए प्रवक्ता ने कहा, "कुल मिलाकर भारत-चीन सीमा पर शांति कायम है। इस तरह की घटनाओं को इससे पहले शांतिपूर्वक सुलझाया जा चुका है और हमें आशा है कि इस घटना को भी शांतिपूर्वक सुलझा लिया जाएगा।"
खबरों के अनुसार, चीनी सैनिक कथित तौर पर लद्दाख में भारतीय सीमा में 10 किलोमीटर अंदर तक घुस आए हैं और वहां उन्होंने अस्थायी चौकी बना ली है। खबर यह भी है कि भारतीय सेना ने भी क्षेत्र में अतिरिक्त सैनिकों को तैनात कर दिया है। बीजिंग ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास किसी भी घुसपैठ से इंकार किया है।
मंगलवार को इस मुद्दे का समाधान करने के लिए दोनों देशों की सेना के बीच ब्रिगेडियर स्तर की फ्लैग मीटिंग भी हुई।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि चीनी घुसपैठ से निपटने के लिए 'बहुत सख्त कदम' उठाने की आवश्यकता है।
इसे बेहद 'गंभीर मुद्दा' करार देते हुए यशवंत ने कहा, "भारत सरकार को इस दिशा में बहुत सख्त कदम उठाने चाहिए।" उन्होंने केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर चीन के प्रति नरम नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे काम नहीं चलेगा।