पठानकोट आतंकी हमले का मास्टरमाइंड जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर (फाइल फोटो)
बीजिंग:
संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को प्रतिबंधित कराने के भारत की कोशिशों में आखिरी क्षण में अड़ंगा डालने के बाद चीन ने अब कहा है कि भारत और पाकिस्तान को आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना से जुड़े मुद्दे को 'सीधी' बातचीत और 'गंभीर विचार विमर्श' से सुलझाना चाहिए।
मसूद के मामले पर भारत ने जताया था कड़ा विरोध
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने इस मुद्दे पर पीटीआई को लिखित जवाब में कहा, 'हम मसूद अजहर को सूचीबद्ध करने के मामले से संबंधित सभी पक्षों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे सीधी बातचीत करें और गंभीर विचार विमर्श के जरिये हल निकालें।' अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित कराने के भारत के प्रयास को आखिरी समय में बाधित करने के चीन के कदम पर भारत की ओर से कड़ा विरोध जताया गया था।
चीन को मसूद का मसला हल होने की उम्मीद
इस सवाल पर कि भारत के कई शीर्ष अधिकारियों द्वारा इस कदम पर भारत की गंभीर चिंता से अवगत कराए जाने के बाद क्या इस मुद्दे पर चीन के रुख में कोई परिवर्तन आया है, हुआ ने कहा कि आतंकवाद निरोध पर संयुक्त राष्ट्र की समिति के नियमों के तहत संबंधित देशों के बीच सीधी बातचीत होनी चाहिए। हुआ की टिप्पणी के अलावा चीन के अधिकारियों ने भी भरोसा जताया कि इस मुद्दे का समाधान हो जाएगा, क्योंकि इस मुद्दे पर चीन भी पाकिस्तान के संपर्क में है। हुआ की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों ने राजधानी दिल्ली में बातचीत की, जिसमें भारत ने मसूद अजहर का मुद्दा उठाया।
विदेशमंत्री और रक्षामंत्री भी चीन के सामने उठा चुके हैं मुद्दा
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मास्को में 18 अप्रैल को रूस, भारत, चीन के मंत्रियों के सम्मेलन के इतर चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत में यह मुद्दा उठाया था। इसके अलावा रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी उसी दिन बीजिंग में चीन के रक्षा मंत्री के साथ बातचीत में यह मुद्दा उठाया था। इस मुद्दे को उसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने हाल में सम्पन्न भारत-चीन सीमा वार्ता के 19वें दौर के दौरान अपने चीनी समकक्ष यांग जियेची के समक्ष भी उठाया था।
संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के पांच 'वीटो पॉवर' सदस्य आतंकवाद निरोधक मुद्दों पर 1267 समिति के जरिये आतंकवादी संगठनों को प्रतिबंधित कराने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चीन 'वीटो पॉवर' सदस्य देशों में से एक है और वह एकमात्र देश था, जिसने बीती मार्च में मसूद अजहर को प्रतिबंधित कराने के भारत के प्रयास पर एक तकनीकी रोक लगवा दी थी। इस कदम को संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने 'गुप्त वीटो' बताते हुए इसकी आलोचना की थी।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
मसूद के मामले पर भारत ने जताया था कड़ा विरोध
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने इस मुद्दे पर पीटीआई को लिखित जवाब में कहा, 'हम मसूद अजहर को सूचीबद्ध करने के मामले से संबंधित सभी पक्षों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे सीधी बातचीत करें और गंभीर विचार विमर्श के जरिये हल निकालें।' अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित कराने के भारत के प्रयास को आखिरी समय में बाधित करने के चीन के कदम पर भारत की ओर से कड़ा विरोध जताया गया था।
चीन को मसूद का मसला हल होने की उम्मीद
इस सवाल पर कि भारत के कई शीर्ष अधिकारियों द्वारा इस कदम पर भारत की गंभीर चिंता से अवगत कराए जाने के बाद क्या इस मुद्दे पर चीन के रुख में कोई परिवर्तन आया है, हुआ ने कहा कि आतंकवाद निरोध पर संयुक्त राष्ट्र की समिति के नियमों के तहत संबंधित देशों के बीच सीधी बातचीत होनी चाहिए। हुआ की टिप्पणी के अलावा चीन के अधिकारियों ने भी भरोसा जताया कि इस मुद्दे का समाधान हो जाएगा, क्योंकि इस मुद्दे पर चीन भी पाकिस्तान के संपर्क में है। हुआ की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों ने राजधानी दिल्ली में बातचीत की, जिसमें भारत ने मसूद अजहर का मुद्दा उठाया।
विदेशमंत्री और रक्षामंत्री भी चीन के सामने उठा चुके हैं मुद्दा
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मास्को में 18 अप्रैल को रूस, भारत, चीन के मंत्रियों के सम्मेलन के इतर चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत में यह मुद्दा उठाया था। इसके अलावा रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी उसी दिन बीजिंग में चीन के रक्षा मंत्री के साथ बातचीत में यह मुद्दा उठाया था। इस मुद्दे को उसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने हाल में सम्पन्न भारत-चीन सीमा वार्ता के 19वें दौर के दौरान अपने चीनी समकक्ष यांग जियेची के समक्ष भी उठाया था।
संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के पांच 'वीटो पॉवर' सदस्य आतंकवाद निरोधक मुद्दों पर 1267 समिति के जरिये आतंकवादी संगठनों को प्रतिबंधित कराने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चीन 'वीटो पॉवर' सदस्य देशों में से एक है और वह एकमात्र देश था, जिसने बीती मार्च में मसूद अजहर को प्रतिबंधित कराने के भारत के प्रयास पर एक तकनीकी रोक लगवा दी थी। इस कदम को संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने 'गुप्त वीटो' बताते हुए इसकी आलोचना की थी।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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