संयुक्त राष्ट्र के मंच पर एक बार फिर भारत ने आतंक का समर्थन करने वाले पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को खूब लताड़ लगाई. खास तौर से पीओके यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में मानवाधिकार हनन के मुद्दे पर घेरा. भारत ने मांग की है कि पाकिस्तान मानवाधिकारों का हनन को बंद करे. भारत ने कहा कि पीओके में पाकिस्तान की सेनाएं लोगों के खुले विद्रोह को दबा रही हैं. वहीं दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र की उस रिपोर्ट को भी गलत बताया है, जिसमें दावा किया गया था कि भारत की पारंपरिक संस्कृति खतरे में है. भारत ने दृढ़ता से कहा है कि देश में पारंपरिक कलाएं और शिल्प पूरी तरह फल-फूल रहे हैं. एक तरह से ये भारत की मुखर कूटनीति बताई जा रही है, जो एक साथ कई मोर्चों पर अपनी बात मजबूती से रख रहा है.
पीओके में मानवाधिकार उल्लंघन पर भारत की आपत्ति
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान पर कड़ा हमला करते हुए कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हो रहा है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की प्रथम सचिव भाविका मंगालानंद ने कहा कि पाकिस्तानी सेना उन नागरिकों को कुचल रही है जो अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए आवाज उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पीओके के लोग अब दमन और शोषण के खिलाफ विद्रोह में हैं.
भाविका ने कहा कि पाकिस्तान बार-बार भारत के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर ध्यान भटकाने की कोशिश करता है, लेकिन सच नहीं बदलता. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का यह पाखंड संयुक्त राष्ट्र के समय और ध्यान के लायक नहीं है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर में चुनावों में लोगों की भागीदारी को लोकतंत्र की मिसाल बताया और कहा कि यह भारत के लोगों की प्रगति और आत्मनिर्णय का प्रमाण है. भारत ने साफ किया कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट पर भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने संयुक्त राष्ट्र की उस रिपोर्ट को 'गलत' बताया जिसमें दावा किया गया था कि देश की पारंपरिक सांस्कृतिक अभिव्यक्तियां खतरे में हैं. भारत की ओर से लोकसभा सांसद इंद्र हांग सुब्बा ने कहा कि भारत की पारंपरिक कलाएं, संगीत, शिल्प और प्रदर्शन हजारों साल पुरानी विरासत हैं और आज भी पूरे देश में फल-फूल रही हैं.
उन्होंने कहा कि भारत ने सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की रक्षा के लिए मजबूत कानूनी ढांचा बनाया है और कॉपीराइट कानून रचनाकारों के अधिकारों की सुरक्षा करता है. सुब्बा ने बताया कि तकनीक और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने इन कलाओं की पहुंच और मांग को बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य की भावनात्मक गहराई को एआई दोहरा नहीं सकता, क्योंकि यह कला इंसान की अनुभूति और रचनात्मकता से जन्म लेती है.
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