नई दिल्ली:
भारत द्वारा सबसे पिछड़े देशों (एलडीसी) के लिए 50 करोड़ डॉलर की सहायता देने की घोषणा करने के एक दिन बाद शनिवार को दुनिया के अन्य देशों से भी इन देशों की गरीबी और पिछड़ेपन को दूर करने के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता दिखाने की अपील की गई। दो दिवसीय भारत-लीस्ट डेवलप्ड कंट्रीज मंत्रीस्तरीय सम्मेलन की समाप्ति पर जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि अत्यधिक गरीबी, संरचनात्मक सुधार द्वारा उत्पादन क्षमता, आर्थिक विकास, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भागीदारी और आपदाओं से निपटने की क्षमता एलडीसी के विकास के सामने सबसे प्रमुख चुनौतियां हैं। बयान में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस्ताम्बुल प्रोग्राम ऑफ एक्शन और चौथे यूएन-एलडीसी सम्मेलन में के महत्वाकांक्षी परिणामों की सफलता में सहयोग करने के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता जताने की अपील की गई। तुर्की द्वारा इस साल 9-13 मई को आयोजित किया जाने वाला इस्ताम्बुल सम्मेलन चौथा यूएन-एलडीसी सम्मेलन होगा। पहला और दूसरा सम्मेलन 1981 और 1991 में पेरिस में और तीसरा 2001 में ब्रसेल्स में हुआ था। बयान में कहा गया कि इस्ताम्बुल सम्मेलन में एलडीसी की विकास की जरूरतों के लिए प्रयास करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्रुवीकरण होना चाहिए। इससे अंतरराष्ट्रीय विकास होगा और सभी के लिए अवसर तैयार होंगे। दक्षिण-दक्षिण सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए भारत ने शुक्रवार को एलडीसी की विभिन्न परियोजनाओं के लिए 50 करोड़ डॉलर की सहायता राशि की घोषणा की और विकास के अपने अनुभवों को उनके साथ साझा करने का प्रस्ताव पेश किया। विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने शुक्रवार को दो दिवसीय मंत्रीस्तरीय सम्मेलन का उद्घाटन किया और कई अन्य घोषणाएं की। इनमें हर एलडीसी के लिए हर साल पांच-पांच छात्रवृत्ति देना और अगले पांच सालों तक हर साल 50 लाख डॉलर का विशेष कोष शामिल है। सम्मेलन में लगभग 35 मंत्रियों और संयुक्त राष्ट्र में एलडीसी के 40 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। संयुक्त राष्ट्र की 2009 की समीक्षा में एलडीसी उस देश को माना जाता है, जहां तीन सालों की औसत प्रति व्यक्ति आय 905 डॉलर है। 7.5 करोड़ से अधिक आबादी वाले देशों को इस समूह में नहीं रखा गया है। पिछले एक दशक में भारत ने एलडीसी में काफी निवेश किया है और कई तरह की ऋण और सहायता योजना शुरू की है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
गरीब, देश, प्रतिबद्धता, भारत